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अहम या वहम, मेरा ज

     अहम या वहम,
                           मेरा जीवन,
         ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇)
Please give your precious comments and suggestions 
               ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है,
मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान नहीं पाते है ,
जीवन महत्वपूर्ण प्रश्न करना है,
कई बार हमारा रवैया किसी चीज के प्रति लोगों को पसंद नहीं आता पर वह हमारा जीने का तरीका या कहे आदत बन जाता है,
जैसे कई प्रश्नों पर विवाद हो ता है , मुझे मेरे   रैवये के लिए कई बार मुझे लोगों ने घमंडी कहकर मेरा विरोध किया, मुझे लोगों से नफरत थी जिसमें उन लोगों से जो साथ देने का नाटक करते पर पीठ पीछे आपको पीछे करने की साजिश रचते है,
यथार्थ इन सब को देख कर जब मैंने सोचा कि शांत रहना सबसे अच्छा है किसी चीज पर टिप्पणी ना करना अपने कार्य को करना जिससे मैं कम बोलने वाला एक व्यक्ति के रूप में खुद को ढालने लगा परंतु यह सही
 था या गलत लोगों की अवधारणाएं या यूं कहें उनके विचार मेरे प्रति संतोषजनक नहीं थे उन्होंने मुझे मेरे रैवये के लिए गलत ठेराना शुरू किया , और मेरा मतभेद इस विषय में था कि एक व्यक्ति शांत रहता है उसका यह मतलब नहीं कि वह घमंडी है, अपनों का बोलबाला लोग बहुत बताते हैं
पर कार्य आने पर सबसे पहले अकेला छोड़ देना अपने लोगों की आदत रही है,
     अहम या वहम,
                           मेरा जीवन,
         ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇)
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               ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है,
मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान नहीं पाते है ,
जीवन महत्वपूर्ण प्रश्न करना है,
कई बार हमारा रवैया किसी चीज के प्रति लोगों को पसंद नहीं आता पर वह हमारा जीने का तरीका या कहे आदत बन जाता है,
जैसे कई प्रश्नों पर विवाद हो ता है , मुझे मेरे   रैवये के लिए कई बार मुझे लोगों ने घमंडी कहकर मेरा विरोध किया, मुझे लोगों से नफरत थी जिसमें उन लोगों से जो साथ देने का नाटक करते पर पीठ पीछे आपको पीछे करने की साजिश रचते है,
यथार्थ इन सब को देख कर जब मैंने सोचा कि शांत रहना सबसे अच्छा है किसी चीज पर टिप्पणी ना करना अपने कार्य को करना जिससे मैं कम बोलने वाला एक व्यक्ति के रूप में खुद को ढालने लगा परंतु यह सही
 था या गलत लोगों की अवधारणाएं या यूं कहें उनके विचार मेरे प्रति संतोषजनक नहीं थे उन्होंने मुझे मेरे रैवये के लिए गलत ठेराना शुरू किया , और मेरा मतभेद इस विषय में था कि एक व्यक्ति शांत रहता है उसका यह मतलब नहीं कि वह घमंडी है, अपनों का बोलबाला लोग बहुत बताते हैं
पर कार्य आने पर सबसे पहले अकेला छोड़ देना अपने लोगों की आदत रही है,