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दलित-ए-अभिशाप ( वर्तमान ) मंज़िल-मंज़िल दर ब दर भटक

दलित-ए-अभिशाप ( वर्तमान )

मंज़िल-मंज़िल दर ब दर भटकती रही मै इंसाफ के लिए,
थोड़े आँशुओ के साथ थोड़े गमो के दीप लिए,
इस डगर से उस डगर चौखट-चौखट पसीने के खून पिए,
इंसाफ़ की तलाश न मिली मुझे किसी डगर,
रोते बिलखते आँशुओ के घूट पी-पी कर बिताए मैने अपने जीवन के वो अंतिम दिन,
आश मन मे लिए जगह-जगह बताए मैने अपने गम,
न सुना मुझे किसी ने और मुझे ही रौंद दिया,
क्योंकि मैं दलित समाज की बेटी थी...२ #Dalit #gilslife #notsayingpeace 
#Stoprape
दलित-ए-अभिशाप ( वर्तमान )

मंज़िल-मंज़िल दर ब दर भटकती रही मै इंसाफ के लिए,
थोड़े आँशुओ के साथ थोड़े गमो के दीप लिए,
इस डगर से उस डगर चौखट-चौखट पसीने के खून पिए,
इंसाफ़ की तलाश न मिली मुझे किसी डगर,
रोते बिलखते आँशुओ के घूट पी-पी कर बिताए मैने अपने जीवन के वो अंतिम दिन,
आश मन मे लिए जगह-जगह बताए मैने अपने गम,
न सुना मुझे किसी ने और मुझे ही रौंद दिया,
क्योंकि मैं दलित समाज की बेटी थी...२ #Dalit #gilslife #notsayingpeace 
#Stoprape
kavivikramsingh2407

ViRan

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