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रोज़ होती रहती है भेंट यूँ तो स्वप्न की गलियां मधुर

रोज़ होती रहती है भेंट यूँ तो स्वप्न की गलियां मधुर हैं,
संवारते हो जब केश मोहन स्वप्न वो सबसे मधुर हैं।
  रात के प्रहरी ठहर कर सुन तो लो बातें हमारी 
बस बातें बची हैं अब सुनाने कुछ भी नहीं मुरारी 

जाओ अगर तुम उनके सफऱ उनके शहर तक
बातें ना सही ले जाना उनके हक़ की दुआ सारी

सुनो ना रात के प्रहरी
रोज़ होती रहती है भेंट यूँ तो स्वप्न की गलियां मधुर हैं,
संवारते हो जब केश मोहन स्वप्न वो सबसे मधुर हैं।
  रात के प्रहरी ठहर कर सुन तो लो बातें हमारी 
बस बातें बची हैं अब सुनाने कुछ भी नहीं मुरारी 

जाओ अगर तुम उनके सफऱ उनके शहर तक
बातें ना सही ले जाना उनके हक़ की दुआ सारी

सुनो ना रात के प्रहरी

रात के प्रहरी ठहर कर सुन तो लो बातें हमारी बस बातें बची हैं अब सुनाने कुछ भी नहीं मुरारी जाओ अगर तुम उनके सफऱ उनके शहर तक बातें ना सही ले जाना उनके हक़ की दुआ सारी सुनो ना रात के प्रहरी