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rakhigupta3359
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Rakhi Om

लेखनी मेरा शौक नहीं है लिखनी मेरी आदत है मैं इससे और वह मुझ से रूबरू होती है मानो जैसे कलम का रिश्ता हो कागज से

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Rakhi Om

White 


 समुद्र में अंधेरा 
मन में उजाला 
 आसमान में टिम टिम करते तारे 
 विश्वास दिलाते हैं 
अंधेरे में भी रोशनी की किरण रहती है

©Rakhi Om #sad_qoute
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Rakhi Om

White बस थोड़ी सी रोशनी 
 संकेत है निराशा को आशाओं में बदलने का

©Rakhi Om #sad_quotes
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Rakhi Om

White यह अंधेरे नही 
रोशनी के संकेत है

©Rakhi Om #sad_quotes
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Rakhi Om

White अनुभूति

 
कभी तू हवा बन के परम चैतन्य का  एहसास कराती
 कभी तू परम चैतन्य को मां गंगा जैसा मुझ में बाहती 

 कभी तू हृदय में 
 अपनी प्रेम की अनुभूति करवाती 
 कभी सहस्रार में अपना सिंहासन ले बैठती 

 कभी तो हृदय में सहस्रार का आवाहन करती 
कभी तू ही सहस्रार  में हृदय बन के धड़कती  

 कभी तो चित्त को हिमालय ले जाती  
 कभी हिमालय को सहस्रार ले आती 

 कभी तू सूक्ष्म यंत्र बनाकर शून्य करती
 कभी तू शून्य में मुझको विलन करती

©Rakhi Om #sahajyoga
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Rakhi Om

White चांद कभी धरती पर आ जाए
 तो पूछना तुझे 
चांदनी से इतनी मोहब्बत क्यों है

©Rakhi Om #good_night
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Rakhi Om

White चल चांद की ओर 
 यहां जहां चांद करता हो
 चांदनी से मन की बात

 चले  खुले आसमान की ओर 
 जहां सितारे रोशन करते हो 
 धरती को

©Rakhi Om #good_night
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Rakhi Om

आओ करें सूर्य के
 प्रकाश का आवाहन
 सूर्य अपने प्रकाश से 
धरती को उपजाऊ करना

©Rakhi Om #makarsankranti
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Rakhi Om

चित्त को कृपा कर
 माँ  बिखरने न दे 
निर्विचारिता में मुझ को 
माँ रहने दे 
 सहस्रार से प्रदक्षिणा तक
 मुझे वलीन कर 
 शून्य कर, शून्य कर 
 श्री माताजी मुझे शून्य कर

©Rakhi Om #sahajyoga
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Rakhi Om

Unsplash सोचा कल से उठाएंगे
 फिर कोशिश करेंगे
 
 फिर से मुस्कुराएंगे 
फिर से जीना सीखेंगे

©Rakhi Om #Book
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Rakhi Om

Unsplash चारों ओर धुआं धुआं  हुआ बैठा है
सब कुछ खाक हुआ बैठा है
 जीवन भर की पूंजी 
राख मे मिल बैठी है 
 कभी चारों ओर 
भव्य मंजर हुआ करता था
 अब चारों ओर शोक समुद्र

©Rakhi Om #snow
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