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श्री कन्हैया शास्त्री जी

Motivaional speaker and Indian spritualist

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

मैं लिखता हूं उस शख्स के लिए

जिसने मुझे कभी पढ़ा ही नही  याद रहेगा एक दौर हमको


क्या खूब तरसे हे एक शख्स के लिए

याद रहेगा एक दौर हमको क्या खूब तरसे हे एक शख्स के लिए

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

जब कांच उठाने पड़ जाए
तुम हाथ हमारे ले जाना...
जब कोई न हो साथ तुम्हारे
तुम साथ हमे अपने ले जाना

जब देखो के तुम तन्हा हो
और रास्ते है दुशवार बहुत
तब हमको अपना कह देना
बेबाक सहारा तुम ले जाना

अगर याद हमारी आ जाए
तुम पास हमारे आ जाना
बस एक मुस्कान हमे दे देना
फिर जान भी चाहे ले जाना जब कांच उठाने पड़ जाए
तुम हाथ हमारे ले जाना...

जब कोई न हो साथ तुम्हारे
तुम साथ हमे अपने ले जाना

जब देखो के तुम तन्हा हो
और रास्ते है दुशवार बहुत

जब कांच उठाने पड़ जाए तुम हाथ हमारे ले जाना... जब कोई न हो साथ तुम्हारे तुम साथ हमे अपने ले जाना जब देखो के तुम तन्हा हो और रास्ते है दुशवार बहुत

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

...........हो तुम ❣️

आवारा से लड़के का एक हसीं ठहराव हो तुम
मेरी बेरंग सी ज़िन्दगी का रंगीन बदलाव हो तुम

लिखने को तो बहुत कुछ लिखता आ रहा हूं मैं
पर मेरी जिवन से जुड़ी पहली किताब हो तुम

ज्यादा तो नही पता कि क्या लिखूं तुम्हारे बारे में
बस मेरी हर उलझन का इकलौता सुझाव हो तुम

दर्द ओ गम का ना पूछिएवह बहुत है हमारे पास
फिर भी  घुटन भरे जिंदगी में राहत की सांस हो तुम

#कृष्णांबिका  आवारा से लड़के का एक हसीं ठहराव हो तुम
मेरी बेरंग सी ज़िन्दगी का रंगीन बदलाव हो तुम

लिखने को तो बहुत कुछ लिखता आ रहा था मैं
पर मेरी ज़िंदगी से जुड़े पहली किताब हो तुम

ज्यादा तो नही पता कि क्या लिखूं तुम्हारे बारे में
बस मेरी हर उलझन का इकलौता सुझाव हो तुम

आवारा से लड़के का एक हसीं ठहराव हो तुम मेरी बेरंग सी ज़िन्दगी का रंगीन बदलाव हो तुम लिखने को तो बहुत कुछ लिखता आ रहा था मैं पर मेरी ज़िंदगी से जुड़े पहली किताब हो तुम ज्यादा तो नही पता कि क्या लिखूं तुम्हारे बारे में बस मेरी हर उलझन का इकलौता सुझाव हो तुम #कृष्णांबिका

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

मौसम वही, सर्दी वही, वही दिलकश नवम्बर है

चाय वही,अदरक वही, वही दिल में बवंडर है.... मौसम वही, सर्दी वही, वही दिलकश नवम्बर है

चाय वही,अदरक वही, वही दिल में बवंडर है....

मौसम वही, सर्दी वही, वही दिलकश नवम्बर है चाय वही,अदरक वही, वही दिल में बवंडर है....

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

जिन्दगी

जिन्दगी धीरे धीरे खफा होने लगी है 
यूं कहूं तो बेवफा होने लगी है
हसरतें भी अब शोर नहीं करती 
मानो मुझसे ही गुमशुदा होने लगी है

कभी मनाता हूं कि आ बैठ मेरे पास
कुछ अपनी कहेंगे कुछ तुम्हारी सुनेंगे
रूठने मनाने के कुछ अफसाने गढ़ेंगे
मगर वो तो अब मुंह चिढ़ाने लगी है

जिन्दगी अब खुदपर इतराने लगी है
बड़े रंग देखे , बड़े ढंग देखें
बस इतना कहूंगा अब तू मुझे समझ आने लगी हैं  जिन्दगी

जिन्दगी धीरे धीरे खफा होने लगी है 
यूं कहूं तो बेवफा होने लगी है
हसरतें भी अब शोर नहीं करती 
मानो मुझसे ही गुमशुदा होने लगी है
कभी मनाता हूं कि आ बैठ मेरे पास
कुछ अपनी कहेंगे कुछ तुम्हारी सुनेंगे

जिन्दगी जिन्दगी धीरे धीरे खफा होने लगी है यूं कहूं तो बेवफा होने लगी है हसरतें भी अब शोर नहीं करती मानो मुझसे ही गुमशुदा होने लगी है कभी मनाता हूं कि आ बैठ मेरे पास कुछ अपनी कहेंगे कुछ तुम्हारी सुनेंगे

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

मौजों   में    रवानी   चाहिए
                              एक   खूबसूरत  सी  कहानी  चाहिए
कभी   हौसला   कम  न  हो  दिल  का 
                             बस   ऐसी   ही   जिंदगानी   चाहिए….
हां मुझे एक दीवानी चहिए........😊 मौजों   में    रवानी   चाहिए
                              एक   खूबसूरत  सी  कहानी  चाहिए
कभी   हौसला   कम  न  हो  दिल  हो
                             बस   ऐसी   ही   जिंदगानी   चाहिए….
हां मुझे एक दीवानी चहिए........😊

मौजों में रवानी चाहिए एक खूबसूरत सी कहानी चाहिए कभी हौसला कम न हो दिल हो बस ऐसी ही जिंदगानी चाहिए…. हां मुझे एक दीवानी चहिए........😊

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

दूसरो को मारकर खाना ये विकृति हैं ,

 वो अपना खाए आप अपना खाओ ये प्रकृति हैं 

लेकिन दूसरा खा सके आप उसकी चिंता करके खाओ

 यही संस्कृति हैं।

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

पसंद न आए मेरा साथ तो बता देना

इतना पीटूंगा की सब अच्छा लगने लगेगा

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

*अंतर्मन की पीड़ा*

कौन समझ पाया अंतर्मन की पीड़ा,
सभी ने मिलकर उसका उपहास किया।
कहा जब भी दुखी हूं मैं अन्दर से,
लोगों ने उन बातों को दरकिनार किया।।

पीड स्वयं की स्वयं ही महसूस कर नादान,
सब स्वार्थी हैं यहाँ उनकी कर तू पहचान,
भीतरी घाव कोई नहीं ठीक कर पाएगा,
तेरा दर्द तुझसे ही बाँटा जाएगा,
हुई परिस्थिति का सभी ने तिरस्कार किया।
कहा जब भी दुखी हूँ मैं अन्दर से,
लोगों ने उन बातों को दरकिनार किया।।

कोई अपना बिना कहे ही सब आभास करें,
उदास,हताश हूँ तो बैठकर कुछ देर बात करें ,
मुझें कहे कि तू अकेला नही है मैं हूं तेरे साथ,
इतना कहने से ही अन्दर से हौंसला आएगा,
पीड़ा कैसी भी हो तू सब पार कर जाऊंगा,
कहा जब भी दुखी हूँ  मैं अन्दर से,
लोगों ने उन बातों को दरकिनार किया।।

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श्री कन्हैया शास्त्री जी

#स्क्रीन 📱📱

खुश होने से ,दिखाना जरूरी है।
हर बात लोगो को बताना जरूरी हैं 
हर बात अपडेट करते रहते
कितना हैं प्यार मोबाइल पे सेट करते

कभी रोते चेहरे दिखाते
कभी बेबजह ही खिलखिलाते
कितने फेक हो गए हम,तुम
बस कैमरे के सामने मुस्कुराते 

एक आभासी दुनिया में जी रहे
हर पल को बस कैद कर रहे
या तो यों कहें .....
खुद स्क्रीन में कैद हो गए

खुल के अब मुस्कुराते तक नहीं 
महफ़िल कहकहो की सजाते नहीं 
इस स्क्रीन से परे भी हैं दुनिया
क्यों उस दुनिया में आते जाते नहीं
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