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dharmendrasingh9696
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Dharmendra Singh

नही जानता कि आग हूँ या दरिया हूँ, ख़ुश हूँ कि दर्द बांटने का जरिया हूँ !!

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Dharmendra Singh

शारीरिक सुंदरता
ही
सुंदरता नहीं है,
सुंदर है -
आपका ज्ञान,
चरित्र,
व्यवहार और 
क्रियाशीलता।

©Dharmendra Singh # सामाजिकता

# सामाजिकता #Life

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Dharmendra Singh

है नहीं रुचि कोई अपनी,
जग के इन सिंहासनों में।
राज अपना ही रहा,जल,
थल,गहन गिरि,काननों में।।
✍परेशान✍

©Dharmendra Singh #king
#tiger
#Forest 
#Sariska
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Dharmendra Singh

छत्तीसगढ़ में माँ भारती के सपूतों पर नक्सलियों द्वारा किये गए कायराना हमले में शहीद हुए वीरों को मेरा सादर नमन🙏।
मेरी हार्दिक संवेदनाएँ उनके परिजनों के साथ हैं और न केवल मेरी बल्कि मीडिया की,कर्मचारियों की, सामाजिक संस्थाओं की, नेताओं की,राजनीतिक पार्टियों की, सरकार की,और समस्त जनता की हार्दिक संवेदनाएँ उनके साथ हैं।
लेकिन दुर्भाग्य है कि सिर्फ संवेदनाएँ ही हैं,और कुछ नहीं।
क्या निंदनीय कह देने से, संवेदनाएँ व्यक्त करने से,शहीदी पैकेज देने से या लंबे चौड़े भाषणों से यह अपूरणीय क्षति पूर्ति हो सकती है।
देश की अग्रणी रक्षापंक्ति पर इस तरह से सशस्त्र हमला कोई क्षेत्रीय समस्याओं के लिए किया जा रहा सामान्य आंदोलन नहीं है बल्कि कुछ अतिमहत्त्वाकांक्षी लोगों के द्वारा देश के विरुद्ध किया जा रहा अघोषित युद्ध है,
छद्मआतंकवाद है
और खुला देशद्रोह है।
भारतीय सेना विश्व में कहीं भी,कैसे भी हालातों में शत्रु का खात्मा करने में सक्षम है,फिर घर में उसकी ऐसी हालत क्यों है? अक्सर सेना की ऐसे कुत्सित कृत्यों की जवाबी कार्यवाही को समझौते की मेज तक ही सीमित कर दिया जाता है।जिम्मेदारों का बार बार ऐसा रवैया कहीं विनीत चौहान जी की उन पंक्तियों को सही साबित ना कर दे ,जब वो कहते हैं कि ,
''इतना खून नहीं छिड़को कि मौसम फागी हो जाये।
सेना को इतना मत रोको कि सेना बागी हो जाये।।''
ये देश के जिम्मेदारों के मुँह पर मारा गया एक ऐसा तमाचा है जो अपना प्रतिशोध चाहता है।इसका उन्मूलन आवश्यक है और सिर्फ सेना को इस कार्यवाही के लिए मुक्त कर देना भर इस समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त है।
मानवाधिकार आयोग,अंतरराष्ट्रीय संगठन और अन्य कई अनाम अवरोधक इसमें बाधा बनेंगे लेकिन सब जानते हैं कि सरकार की,सेना की,और जन सामान्य की प्रबल इच्छाशक्ति इन सब पर भारी रही है।
'जा तन लागी सो तन जाने।'
सेना स्वयं इससे निबट लेगी।उसे सिर्फ मुक्तहस्त की आवश्यकता है।आज सेना ही नहीं हर देशवासी आहत है,आवेश में है,और इसका समाधान चाहता है।हम उनके इस कुत्सित कृत्य का जवाब वार्ता से अब नहीं चाहते।
मित्र 'अक्षांश' की ये पंक्तियाँ आज बार-बार याद आ रही हैं जब वो कहते हैं कि,
उठो,शत्रु को मारो-काटो, विप्लव हो,तो होने दो।
मेरी माँ यदि रोती है,तो दुश्मन की भी रोने दो।।'
शायद उन वीरप्रसूता माँओं को उनकी इस असहनीय क्षति का यह समुचित प्रतिदान हो सके।
इतिहास गवाह है बिना भय के प्रभु श्रीरामजी की विनती भी स्वीकार नहीं की गयी।जिम्मेदारों की उदासीनता से ये सपोले स्वयं को अजगर अहसास कराने का प्रयास करने लगे हैं जिनका फन कुचलना निहायत जरूरी है।
क्या हुक्मरान कोई सार्थक कदम उठाएंगे?
क्या सेना इस क्षति को,इस अपमान को सहन कर पाएगी ?
क्या वह इसका उत्तर देते हुए कोई कार्यवाही करेगी?
क्या जनता इसके लिए जिम्मेदारों पर कोई दवाब बनाएगी?
या फिर से सब कुछ वही , जैसा चलता आया है?
जनभावनाऍं उबाल पर हैं,
उचित और स्थायी समाधान संभव है और इस कायराना हमले के बाद समय माकूल है तो फिर "मत चूकै चौहान।"
आखिर देर क्यों?
इस समस्या के स्थायी समाधान के इंतजार में एक 'परेशान' मन😣😣
एक बार पुनः,
माँ भारती के वीर सपूतों को भावभीनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि || 🙏🙏😭😭
और दुर्भाग्य से सिर्फ आक्रोश और संवेदनाएँ 😡😡🙏🙏
          ✍️ परेशान✍️

©Dharmendra Singh #शहीद
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Dharmendra Singh

ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ?

दिया तो दुनिया को दुनियाभर का ग़म।
ढेरों सितम।।
इंसान की इच्छाएँ ध्वस्त कीं।
जीवनचर्या अस्त-व्यस्त की।।
काम-धंधे बंद।
सब नजरबंद।।
इरफान और सुशांत को तू खा गया।
कुछ लोगों से राहत तो दिलाई मगर प्रणव जैसों को भी लेकर चला गया।।
तू दुनिया पर आफत बनकर आ गया।
कोरोना बनकर कहर ढा गया।।

कोरोना भी दोगला कोरोना..
जो बिना मास्क अकेले पैदल जा रहे गरीब आदमी को तो संक्रमित कर जाता है।
और नेताओं की रैलियों में भीड़ के पैरों तले कुचलकर मर जाता है।।
भले ही इस भय के बाजार में तेरी हर चीज बिकी है
पर सोनू सूद जैसों के रूप में इंसानियत भी दिखी है।
इंसान की अभिलाषा तेरे द्वारा छली गयी है।
अनुष्का से आस थी,वो खुशी भी 2021 के लिए चली गयी है।।
क्या बताऊँ कैसे-कैसे सितम ढाये हैं।
घर में बैठे-बैठे लोगों के पेट निकल आये हैं।।
कमीज़ के बटन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने लगे हैं।
परिवार के साथ समय बिताने की खुशी ने ठगे हैं।
तेरे समय में अब रिश्तों में भी डाउट हो जाता है।
जब 50 की लिस्ट से नाम आउट हो जाता है।।
कंगना और मुम्बई प्रशासन आमने-सामने खड़ा किया।
किसान धरने पे अड़ा दिया।।
कैसा जुल्म तूने भारत की जनता के संग कर दिया।
मोदी जैसे PM से जनता का मोहभंग कर दिया।।
खेलों की खुशी भी तुझे रास नहीं आई।
भारतीय टीम 36 पर ऑल आउट करायी।
पास रहकर बच्चे माँ-बाप से बिलकुल नहीं डरते हैं।
सोचा भी नहीं होगा,ऐसी-ऐसी शरारतें करते हैं।।
तूने कुछ ऐसा नहीं किया कि तेरी विदाई पर रोऊँ।
तेरी कोई ऐसी अदा नहीं जिस पर फिदा होऊँ।
तूने पूरी दुनिया की खुशियों में आग लगाई है।
चुपचाप दबे पाँव निकल जा ,इसी में सबकी भलाई है।।
खैर लड़ेंगे क्योंकि मनुष्य की फितरत है परिस्थितियों से लड़ जाए।
पर ऐसा समय लेकर कभी कोई साल नहीं आये।।
तेरे बारे में सोचकर क्यों समय बरबाद करूँ?
ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ।।
       ✍🌹परेशान🌹✍

©Dharmendra Singh #कोरोना
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Dharmendra Singh

मेरे निर्णय हैं नहीं,
इच्छा का परिणाम।
समाविष्ट उनमें रहीं,
मजबूरियाँ तमाम।।
 ✍परेशान✍

©Dharmendra Singh

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Dharmendra Singh

चुपके से आकर के मुझे अल्फाज़ कितने कह गयी।
वो न आये सिर्फ उनकी याद आकर रह गई।।
            ✍✍परेशान✍✍

©Dharmendra Singh

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Dharmendra Singh

🙏🙏भावों की गहराइयाँ, माप सका है कौन,
शब्द जहाँ असमर्थ हों,वहाँ बोलता मौन।।
..🙏🙏

©Dharmendra Singh 🙏🙏भावों की गहराइयाँ, माप सका है कौन,
शब्द जहाँ असमर्थ हों,वहाँ बोलता मौन।।
..🙏🙏
#lost

🙏🙏भावों की गहराइयाँ, माप सका है कौन, शब्द जहाँ असमर्थ हों,वहाँ बोलता मौन।। ..🙏🙏 #lost

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Dharmendra Singh

सब गोधन के पोषणकर्त्ता,
        सबरे ब्रजजन के सुखकारी।
हो अतिशय प्रिय तुम नटवर को,
   विहरन हित सुखद भूमि सारी।।
विपदा से 'परेशान' ब्रज की,
         बन छत्र करी तैनें रखवारी।
है पर्वतराज कृपा तुम्हरी,
  जो श्याम विरुद भयौ गिरधारी।।
       ✍✍परेशान✍✍
        🌺🌺👏🏻👏🏻🌺🌺

©Dharmendra Singh #jai giriraj

#jai giriraj

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Dharmendra Singh

जीवन और क्रिकेट से, 
मिली एक सी सीख।
वही करे स्टंप जो, 
है सबसे नजदीक।।
                     ✍परेशान✍
#Fearless

जीवन और क्रिकेट से, मिली एक सी सीख। वही करे स्टंप जो, है सबसे नजदीक।। ✍परेशान✍ #Fearless #Life_experience

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Dharmendra Singh

जग में नर मतिमंद की,
कैसी है तकदीर।
औरों का तिनका दिखे,
खुद का ना शहतीर।।
 ✍परेशान✍ जग में नर मतिमंद की,
कैसी है तकदीर।
औरों का तिनका दिखे,
खुद का ना शहतीर।।
          ✍परेशान✍
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जग में नर मतिमंद की, कैसी है तकदीर। औरों का तिनका दिखे, खुद का ना शहतीर।। ✍परेशान✍ #height

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