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anujkumar8213
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Anuj kumar "ASHK"

I am advocates from Lucknow

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Anuj kumar "ASHK"

White 

यदि कोई संकल्प लेना ही है तो वह आत्मिक विकास का लीजिए । स्वयम् से प्रेम करने का लीजिए । इसे प्रकट न करिए , मन में रखिए । बेहतर जीवन किसे नहीं आकर्षित करता, कौन नहीं जीना चाहता ? लेकिन बिना योग / धर्म के संसाधन भी नहीं आते । योग की तरफ जाने , योगाभ्यास करने के लिए यदि कोई महत्वाकांक्षाओं को भी आधार बनाकर चलता है तब भी कुछ दोष नहीं । मुक्ति हर किसी के लिए नहीं है । पहले भोग पूरा होगा, तभी सम्पूर्ण अस्तित्व में विलय की ओर जीवात्मा बढ़ सकेगी । भोग शेष होगा तो वापस खींचेगा ही खींचेगा । प्रकृति का नियम है ।जिस किसी देवता / देवी के प्रति अनुराग है उसे पकड़िए । यदि अनुराग नहीं है , भौतिक गुरु नहीं है और सूक्ष्म जगत की चेतनाओं का कोई अनुभव नहीं है तब भी सम्पूर्ण अस्तित्व / ईश्वर आपकी मदद करेगा । प्रकृति में विद्यमान 'गुरु तत्व' आपको गाइड करेगा । प्रकृति के पास सैकड़ों माध्यम है वह किसी भी माध्यम से आपको जो जरूरी होगा , पहुंचा देगी । इसलिए प्रतीक्षा नहीं करनी चल पड़ना है और शुरुआत बहुत छोटी छोटी चीजों से करना है । बहुत बड़े संकल्प नहीं लेने, छोटे छोटे परिवर्तनों से शुरुआत करनी है ।१ - भोजन में सात्विकता बढ़ानी है । एकदम से सात्विकता का अभ्यास नहीं करना लेकिन बहुत अधिक तामसिक भोजन छोड़कर धीरे-धीरे सात्विकता की तरफ बढ़ना है ।
२ - समसामयिक घटना और राजनीति में अपनी चेतना को बहुत अधिक शामिल करके मन को अब और अधिक प्रदूषित नहीं करना है । सत्ता हमेशा आपको इसमें उलझा कर रखना चाहती है ताकि आपकी चेतना का विकास ना हो सके उनकी नजर में आप एक प्रोडक्ट भर हैं । क्या आप एक उत्पाद भर बनकर रह जाना चाहते हैं ?३ - आपको इससे मतलब नहीं होना चाहिए कि महाभारत में क्या हुआ? इतिहास में फलाने राजा ने क्या किया, कौन सही था कौन गलत था । गैर जरूरी सवालों में उलझ कर आप कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे । आपको स्वयं का विकास देखना है और आप कैसे कह सकते हैं कि किस पुस्तक का लिखा सही है और कौन सा दृष्टिकोण गलत है? इसलिए स्वयं का विकास सर्वोपरि होना चाहिए आपको जीवन इसलिए नहीं मिला है कि आप न्यायाधीश बनें । सत्य स्वयं स्थापित है । ४ - स्वयं के प्रति स्वार्थी होना है, स्व अर्थ बुरी बात नहीं । और स्वयं से प्रेम करना है यदि आप या कोई भी समाज को कुछ देना भी चाहता है तो वह तभी दे पाएगा जब भीतर होगा और वर्तमान में धरती को सबसे अधिक प्रेम‌ की, सकारात्मकता की जरूरत है ।५ - स्वयं के प्रति कभी भी कोई हीन भावना ना देनी न किसी से स्वीकार करनी है । भले ही सामने वाला अनइंटेंशनली कह रहा हो तब भी नहीं । उसे स्वीकार करके आप चेतना में उस ऊर्जा को जमा कर लेते हैं और वही बाद में आपको कभी बैठे-बैठे अचानक उदास करती है, अलग-अलग रूपों में चित्त पर प्रकट होती है । आप जो हैं, जिस स्तर पर हैं उसकी भी अपनी एक कीमत है उसे समझिए ।६ - जीवन में मौजूद ( विशेषकर व्यक्तिगत जीवन में ) सभी नकारात्मक चेतना, आसुरी वृत्तियों के लोगों को काटना सीखें, अपनी चेतना से अलग करना सीखिए । उनसे व्यवहार को सीमित से सीमित कर देना है ।७ - आध्यात्मिक जगत का उच्च स्तर का साहित्य पढ़ने से बचना है और वही पढ़ना है जिसकी प्रेरणा हो । प्रकृति इतनी सक्षम है कि वह आप तक संदेश पहुंचा देगी इसलिए बहुत अधिक पढ़ने से बचना है ।८ - जीवन में जो लोग बुरा करके गए उन्हें माफ कर देना है ‌। हम नहीं जानते कि वह हमारे प्रारब्ध के फल स्वरुप हमारे सामने आया था या उस व्यक्ति के द्वारा किए गए नए कर्म के कारण इसलिए बेहतर यही है कि प्रकृति की न्याय व्यवस्था में विश्वास रखना है और सामने वाले के लिए नहीं बल्कि सबसे पहले अपने लिए ऐसे सभी लोगों को माफ कर देना है । क्योंकि प्रतिशोध, शिकायत का भाव रखकर हम मन के एक हिस्से को ब्लॉक कर लेते हैं और ऐसे सैकड़ों बल्कि अनगिनत ब्लॉक्स हमने पाल रखें हैं, न जाने कितने जन्मों से ढोते आ रहे हैं, अवचेतन में जमा हैं । यही आत्मिक विकास में बाधक है यहां तक कि भौतिक विकास में भी ।एक साधक, सन्यासी होने के नाते हम इतना विश्वास दिलाते हुए कह सकते हैं कि कोई भी कर्म खाली नहीं जाता यदि आपके साथ कुछ गलत हुआ है तो प्रकृति उसका न्याय करेगी ही करेगी इसलिए न्यायिक बात यही है कि प्रकृति की न्याय व्यवस्था पर छोड़ दिया जाना चाहिए और स्वयम् के आत्मिक विकास को सर्वोपरि रखना चाहिए ।
सर्वमंगल हो, सभी का कल्याण हो ।

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

Unsplash हसरतें ख्वाब सब यही रहेंगे,
हम चाहे जितना गुरूर कर लें। 
❤️ अश्क ❤️

©Anuj kumar "ASHK" #library
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Anuj kumar "ASHK"

White ख्वाब हसरत पल में टूट जाते है,
  उसके बदल जाने से,
जिसके लिए गुजारी हो,
उम्र तन्हा सारी।अश्क

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White माना  मजबूर दिल से हो,
मै भी मजबूर दिल से हूं,
वरना इतनी मिन्नते,
इतनी जिलत्तो में, 
इश्क को कौन ढूंढता भला, 
एक उम्मीद ख़त्म नहीं होती,
इश्क में कभी,
इसलिए मजबूर हम भी दिल से सनम।

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White काश मेरी खामोशी मेरी उदासी,
मेरी चाहत का ऐतबार होता,
तो दिल ये यूं उदास न होता।

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White शब का गुरूर,
दिनकर ने किया दूर,
हुस्न का गुरूर,
समय करेंगा दूर।
 ❤️ अश्क ❤️

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White हमने तो दिल से चाहा,
बिना किसी स्वार्थ के,
मोहब्बत के अलावा,
कभी कुछ मांगा नहीं,
फिर भी तनहाईयों में,
गुजरी हैं जिंदगी।

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White उम्र गुजर गई,
इश्क के रास्ते से,
गुरूर से फुर्सत,
मिली नहीं अभी,
इश्क के वास्ते।

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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Anuj kumar "ASHK"

White कुछ लोग गुमराह कर देते है मुसाफिर को, 
हर एक से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।
 " शुभ रात्रि"

©Anuj kumar "ASHK" #Thinking
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Anuj kumar "ASHK"

White मंजिल अभी मिली नहीं,
सफर ने आधी जिंदगी छीन ली.... ❤️ अश्क ❤️

©Anuj kumar "ASHK" #Sad_Status
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