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sanjeevshukla7852
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Sanjeev Shukla

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Sanjeev Shukla

*ग़ज़ल*

धूल यादों की उड़ रही होगी l
चश्म-ए-नम की वज़ह यही होगी l

जिसको हँसने का हुनर आता है.. 
उसने तकलीफ भी सही होगी l

तैरने में वो शख़्स माहिर है.. 
नाव उसकी कभी बही होगी l

हमज़ुबाँ ज़ब नहीं मिला होगा...  
बात शेरों में तब कही होगी  l

आप अपने दिलों पे मत लेना.. 
बात उसकी खुद-आगही होगी l

मौत को भूलना नहीं यारो... 
आखिरी हमसफ़र वही होगी l
©रिक़्त

©Sanjeev Shukla #vacation
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Sanjeev Shukla

*ग़ज़ल*
बिक रहा है ईमान लोगे क्या ? 
आप सस्ता समान लोगे क्या ? 

झूठ की बस्तियों में खाली है.... 
एक सच का मकान, लोगे क्या? 

हम दरख़्तों का जिगर रखते हैँ.. 
सब्र का इम्तिहान, लोगे क्या ? 

झूठ पर मुस्तगीस के हमको.. 
यूँ खतावार मान लोगे क्या ? 

कुछ कहूँ मैं अगर सफ़ाई में... 
आप मेरा बयान लोगे क्या ?         

जो भी मिलता है सलाह देता है 
यार बच्चे की जान लोगे क्या ? 

जिनकी आदत है तोडना वादे.. 
फिर उन्ही से ज़ुबान लोगे क्या ? 

'रिक़्त' ये भी अज़ब तिज़ारत है... 
फायदे में..... ज़ियान लोगे क्या ?

©Sanjeev Shukla #Music
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Sanjeev Shukla

इक और साल बीत गया प्यार की तरह l
आया तो गुल हसीन गया खार की तरह ll

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Sanjeev Shukla

फ़ना होने का दम हो तो मोहब्बत के हुनर सीखो...
 अजी फुरसत की कुछ बेचैनियाँ उल्फत नही होतीं l

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Sanjeev Shukla

खामियाँ  मुझ  में  जमाने ने यूँ निकाली हैं l शख्शियत और ज़हन खूबियों से खाली हैं ll

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Sanjeev Shukla

खामियाँ  मुझ  में  जमाने ने यूँ निकाली हैं l शख्शियत और ज़हन खूबियों से खाली हैं ll

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Sanjeev Shukla

अज़ब हैं  लोग  धक्का दे ,हमे  पहले गिराते  हैं l
और खुश हो के गिरता देख,फिर ताली बजाते हैं

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Sanjeev Shukla

फ़िज़ाओं में धुँआ जो आज-कल है l
 सियासत के खुदाओं का फ़ज़ल है ll

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Sanjeev Shukla

खूब मज़बूत सी बुनियाद मकां की रखना ,
तुम्हारा ख्वाब का घर भी न कहीं गिर जाए l
मुख़्तसर  ठोकरों में ज़लज़ले आ जाते हैं
आशियाँ ख्वाब का झटकों से ना बिखर जाए ll

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Sanjeev Shukla

एक  लबादे में उम्र  गुज़र गयी,
तक़ाज़े  ज़िंदगी  के  रोज  नए l
दागों से खूब बचके चले मगर ,
लिबास  में  पैबंद  बढ़ते  गए ll

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