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sumansingh1782
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Suman singh

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Suman singh

उसने हर बार जज्बातों को छोड़,
  शब्दों से परखा मुझे ☘

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Suman singh

इस भीड़ में बस बेनकाब है चेहरा उसका
 वरना हर नक़ाब के पीछे राज है गहरा
 मेरी कमजोरियों को भी जान जो मुझे धोखा ना देता हो
 अंधेरे में भी जुगनूओ का काम करता हो 
कमजोर जो रहूं मैं, मेरा ढाल  बनता हो 
मेरी मुस्कुराहट में चार चांद लगाता हो 
जो अपनी हर बात मुझसे साझा करता हो
 कोई और नहीं दोस्त है  वो मेरा ❤

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Suman singh

मेरे  औदे को बड़ा कर दिया तुमने 
उस पत्थर पे चढ़ाकर जिसे तुम भगवान कहते हो 
मुझे सौगात बना  किसी और को सौंप देते हो
 पैरों की धूल भी बना देते हो 
बिना मेरी चाह जाने मुझसे ही दूर कर देते हो
 जरूरी नहीं तुम्हारा दिया दुनिया पसंद आए
 फिर भी मैं तुम्हारे मुताबिक ही जीती हूं 
अपनी खुशियों के खातिर बेदर्दी बन तोड़ देते हो ,
मुझे उन कांटों के साथ ही रहने दो जो साथ होकर भी दर्द नहीं देते 🍁

🍁

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Suman singh

उस रात जैसे नींद में आखिरी बार दस्तक दी थी 
जवाब काफी गहरा था, साथ सबका अधूरा था
 अपना होने का अहसास दिला सके हर वह चीज मुझसे दूर था 
वक्त का इशारा था मुझको,फिर भी उन  गलतियों को दोहरा रही थी 
अंजाम जानते हुए भी उस दलदल को अपना रही थी
 अंत हुआ कुछ ऐसा,कि अब खुद को कहीं खो चुकी थी वक्त का इशारा

वक्त का इशारा

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Suman singh

झूठ का सहारा ले खुद को भरोसा दिला रही थी,,, कमबख्त दिल ने पकड़ लिया.

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Suman singh

अफसोस नहीं अब कि तू मेरा ना हो सका पर,
तड़पी तो बहुत ही हूं तेरे खातिर,
अब गम नहीं कुछ और छिन जाए तो पर,
 आज भी डरती हूं तेरे खातिर,
छीन लिया जमाने ने तुझे मुझसे मगर
 शिकायत भी किससे करूं ,
अब तो हर रास्ता अंजाना सा लगता है
 तेरी यादें भी बेगाना सा लगता है
कसूरवार तो मैं नहीं इस दिल का
पर खुद की वकालत भी नहीं कर पाती अफसोस नहीं अब कि तू मेरा ना हो सका

अफसोस नहीं अब कि तू मेरा ना हो सका

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Suman singh

उसके पास दिल जो ना था तो कैसे मेरे दर्द को महसूस कर पाता,
बेवफा है वो फिर भी उससे वफा करने को जी चाहता,
उसका ही दिया है कि आज फिर से मैंने खुद को जीते देखा है,
वरना उसके खातिर तो कब का खुद को दफना दिया था,
दीवानगी ही तो है उसकी खातिर कि आज बेगानों की गलियों में भी प्यार लिए खड़ा हूं,
कि शायद यहीं मिल जाए,,,
दूर कर दिया खुद से मुझे, इस दूरियों से क्या उखाड़ लोगे,
मुझे तुझसे प्यार करने को क्या रोक लोगे,
रोक सको तो रोक भी लो,
 पर क्या दीवानों की गलियों में हाजिरी लगाओगे,
एक बात बताओ, मेरे बाद किसको सताओगे,,, मेरे बाद किसको सताओगे

मेरे बाद किसको सताओगे

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Suman singh

तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी,
आके एक बार मिल मुझसे,
 मेरी जिंदगी की डोर अब मेरे हाथों में नहीं,एक बार थाम ले इसे, थामले इन हाथों को किसी और का ना होने दें, 
वादा है नजरे ना मिला आएंगी आंखें, बस एक बार देख ले इसे, निगाहें भर देख बेबसी को दूर कर जा मेरे,
 ओंठ दबे हुए हैं अब मेरे ,आके अल्फाजों को बयां कर दे, 
दिल पर एक बोझ है मेरे आके उतार दे इसे, 
मेरी चाहते तो कब की चल बसी,अब रूह  को भी दफनाकर मुझे सुकून अदा कर दे,
टूटा तो दिल तेरा भी है फिर भी इसे मेरा ही रहने दे ,
तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी,आके एक बार मिल मुझसे... तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी

तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी

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Suman singh

तेरे आने का इंतजार है मुझे 
हां, आज फिर तेरे आने का इंतजार है मुझे
 जिस्मों के दरमियां फासले तो हो गए पर, दिलों का रुखसत होना अभी बाकी है 
लफ्जों से अल्फाज निकलना बंद हो गए पर, आंखों से बयां करना अभी भी बाकी है
 दर्द छुपाने का सिलसिला जारी है पर, तेरे कंधे पर सर रखकर रोना अभी भी बाकी है
 फासले तो बहुत है दरमियां हमारे पर, नजदीकी या अभी भी बाकी है 
तुझसे नफरत तो हुई पर, प्यार अभी भी बाकी है 
साथ तेरा अभी बाकी है
 चल आज फिर साथ चलते हैं जिंदगी अभी भी बाकी है... तेरे आने का इंतजार है मुझे

तेरे आने का इंतजार है मुझे

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Suman singh

वक्त जो मिले कभी तो आकर मना लेना मुझे,
कुछ बातें मेरी मान लेना कुछ मैं तेरी,
 मेरी हर एक बात मान सको इतना बड़ा दिल साथ लाना,
एक उम्मीद साथ लाना अपने कि सुकून से जी सकूं ,
 कोई शिकवा ना रह जाए तुझसे क्योंकि जालिमो सा दर्द दिया है तूने,
अपनी गलतियों को मान मना लेना मुझे, 
वक्त मिले कभी तो आकर मना लेना मुझे, 
मान जो जाऊं मैं तो अबकी बार स्वार्थ का नाम ना देना इसे, 
अपने दिल को पत्थर नहीं बनाना चाहती तेरे खातिर ,
वक्त जो मिले कभी तो आकर  मना लेना मुझे ,
रूठना नहीं चाहती तुझसे रुलाया मत कर मुझे,
मैं हारी हुई है अब और हारना नहीं है 
वक्त जो मिले कभी तो आकर मना लेना मुझे,, वक्त जो मिले कभी

वक्त जो मिले कभी

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