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अजय शुक्ला

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अजय शुक्ला

मैंने बहुत कुछ लिखने की
 कोशिश की तुम्हारी याद में 
वक्त हो तो पढ़ना ज़रूर
 दिल से हमारी याद में
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अजय शुक्ला

किसी के मरने का 
अब ग़म कैसा
ज़िंदा लोग अपनों
 से दूर जाने लगे
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अजय शुक्ला

Tunnel सो गये अरमान
खाकर गोली नींद की
मुसाफिर सुबह को ताके
फ़िर से उम्मीद की जीवन

जीवन #विचार

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अजय शुक्ला

बीत रही रात
कल दिन कैसे बीते
सोच रहा मजूर
फटी चादर को सीते Madhavi Choudhary Saloni Singh Dr.Imran Hassan Barbhuiya Kusumlata

Madhavi Choudhary Saloni Singh Dr.Imran Hassan Barbhuiya Kusumlata

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अजय शुक्ला

वो बाहर की दुनिया
मेरी दुनिया नहीं
ऐसा बताया सभी ने
एक दुनिया मेरे भीतर
ये पता हैं उन्हें फ़िर भी
प्रकृति को कैद कर रखा हैं
कुछ विनाशकारियों ने 
पेड़ सूखने लगे हैं
जल संकट छाने लगा हैं
फिर भी आंख नही खुल रही
यह सच हैं 
बिल्कुल सच , सुनो....
एक दिन प्रलय आएगा 
कुछ नही  बचेगा, न तुम
न ये अत्याचार 
जो तुम, हर छन कर रहे हो
मेरे और प्रकृति के साथ Mukesh Poonia Madhavi Choudhary Saloni Singh Sahiba Sridhar Shalu Kumari

Mukesh Poonia Madhavi Choudhary Saloni Singh Sahiba Sridhar Shalu Kumari

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अजय शुक्ला

चुप थे 
सह रहे थे

भूत को 
भविष्य 
नहीं बनाएंगे

हाँ सच हैं

न चुप रहेंगे
न गलत सहेंगे चुप नही रहेंगे

चुप नही रहेंगे

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अजय शुक्ला

अकेलापन छूट गया देखो मेरा अपना मेला
माँ छूटी , बहना छूटी, छूटा हाथ से थैला
अंधियारा डरा रहा मुझको सुन ओ माँ
भीड़ बड़ी इस जग की पर मैं यहाँ अकेला

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अजय शुक्ला

वो बातें जो मैंने
तुझसे की हैं
कभी उसे मत बताना
नही पूछता मैं भी 
क्या उसने कहा है
मेरे सारे ख़त फाड़कर, चाँद
गुज़ारिश है जब  
जोड़ने उठे ख़तों को 
तो अमावस कर देना चाँद एक गुज़ारिश है

चाँद एक गुज़ारिश है

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अजय शुक्ला

रोज़ लिखकर सोता हूँ
कि कल तू आएगी
मेरे घर मे फिर से
बन रोशनी आएगी
रोज़ पढ़ती है दिल मेरा
कब जज़्बात पढ़ेगी
मैं भी थोड़ा  गुरुर में हूँ
कब तू मगरूर आएगी
रोज़ लिखकर सोता हूँ
कि कल तू आएगी मगरूर आएगी

मगरूर आएगी

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अजय शुक्ला

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