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purushottamgour4933
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साहित्य संजीवनी

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साहित्य संजीवनी

White मेरी खुशियों को मिलकर बांटने वाला कोई तो हो 
गमों के बादलों को छांटने वाला कोई तो हो 
अगर घर देर से लौटूं उसी अधिकार से अब भी 
मेरी गलती पे मुझको डांटने वाला कोई तो हो।

-दिनेश रघुवंशी

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White पुरानी कश्ती को पार लेकर फ़कत हमारा हुनर गया है,
नए खेवयै ये ना समझें नदी का पानी उतर गया है।

-उदय प्रताप सिंह

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White मैं हिंदुओं और मुसलमानों को बर्दाश्त कर सकता हूँ लेकिन चोटी वालों और दाढ़ी वालों को नहीं।चोटी हिंदुत्व नही है,दाढ़ी इस्लाम नही है।

-काज़ी नज़रुल इस्लाम

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White मरीज़ हमको दवाएँ बताने लगते हैं
बुरा हो वक़्त तो सब आज़माने लगते हैं
नए अमीरों के घर भूलकर भी मत जाना 
हर एक चीज़ की कीमत बताने लगते हैं

-मलिकज़ादा जावेद

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है,
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है।

अकबर इलाहाबादी

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास-रजत-नग-पगतल में।
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में।

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White कर्ज और फ़र्ज एक साथ

©साहित्य संजीवनी #Hindi #hindiquotes
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साहित्य संजीवनी

White हिंदी दिवस के दिन, हिंदी बोलने वाले, हिंदी बोलने वालों से कहते हैं कि हिंदी में बोलना चाहिए ।

हरिशंकर परसाई

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White जिस राजा के राज्य में प्रजा को किसी भी तरह का कष्ट हो रहा हो तो उस राजा को कोई भी उत्सव मनाने का अधिकार नहीं है।

-रामचरित मानस

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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साहित्य संजीवनी

White सरकार एक बार जिसको पुरस्कार देने का ठान लेती है फिर उसके काम-वाम नहीं देखती।

-सम्पत सरल

©साहित्य संजीवनी #Thinking
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