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vikassrivastav8639
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Vikas Srivastav

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Vikas Srivastav

सपनो की दुनिया में हम खोते गये,
होश में थे फिर भी मदहोश होते गये,
जाने क्या जादू था उस अजनबी चेहेरे में,
खुद को बहुत रोका फिर भी उसके होते गये..

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Vikas Srivastav

कोई रास्ता नही दुआ के सिवा,
कोई सुनता नही खुदा के सिवा,
मैने भी ज़िंदगी को करीब से देखा है मेरे दोस्त,
मुस्किल मे कोई साथ नही देता आँसू के सिवा.. Sochi

Sochi

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Vikas Srivastav

एक जगह चार दीपक जल रहे थे। वे आपस में बातें करने लगे। पहला दीपक बोला- ‘‘हे ईश्वर! इस दुनिया में कितनी मार-काट मची हुई है। लोग स्वार्थ से अंधे हो गए हैं। ऐसे लोगों के लिए मेरी रोशनी किस काम की। और वह बुझ गया।’’

 

उसकी बात सुन रहा दूसरा दीपक भी कहने लगा, ‘‘लोगों के लिए पैसा ही सब कुछ हो गया है। जीवन से ज्ञान और संस्कार का प्रकाश खत्म हो चुका है, फिर मैं ही जल कर क्या कर लूंगा?’’ और वह भी बुझ गया।

 

तीसरा दीपक तो और भी निराश था। हालांकि उसमें पहले दो दीपों से ज्यादा तेल बाकी था। वह बोला, ‘‘अच्छी बात बताई जाए सही राह दिखाई जाए तो लोग बुरा मानने लग जाते हैं, मजाक उड़ाते हैं। फिर मेरी रोशनी से क्या फर्क पड़ जाएगा।’’ और वह भी मंद पड़ कर बुझ गया।

 

लेकिन चौथा दीपक जलता रहा। उसने मन ही मन कहा, ‘‘जब तक मुझ में तेल और बाती बाकी है, मैं जलता रहूंगा।’’  हमें इस चौथे दीपक की तरह बनने की जरूरत है।

 

शिकायतें न करें, हताश न हों। सच्चाई के मार्ग पर चलते रहें। यही नहीं, बुझ चुके अन्य दीपों को भी रोशन करते चलें। KY kro he

KY kro he

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Vikas Srivastav

काली रात की साये ने जब मुझे चारो ओर से घेर लिया था...
तब तुमने ही उम्मीद की किरण दिखाई
,... जिंदगी की हार ने इतना लाचार कर दिया था कि
फूलों से भी चुभन महसूस होने लगी...।।
खुद अपनी ही परछाई रो में डरने लगी थी...
तुम्हारी दस्तक से जिंदगी ऐसे सवरने लगी जैसे मेरी आजादी को तुम्हारी तलाश थी... KY kru

KY kru

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Vikas Srivastav

 ho na
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Vikas Srivastav

बादलों के दरमियान कुछ ऐसी साज़िश हुई; मेरा मिटटी का घर था वहां ही बारिश हुई; फ़लक को आदत थी जहाँ बिजलियाँ गिराने की; हमको भी जिद्द थी वहां आशियाना बनाने की! drmiyan

drmiyan

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Vikas Srivastav

Well 
Well Said
अगर कुछ बड़ा बनना है तो
अपनी मर्यादा में रहो क्यूकी

हर बड़ी कम्पनी के नाम के पीछे भी limited लिखा  होता है........ #alone ये तो है

#alone ये तो है

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Vikas Srivastav

काश मैं लौट जाऊँ बचपन की उन गलियों में… जहां ना कोई ज़रूरत थी, ना कोई ज़रूरी था. #Zindagi ye to ho

#Zindagi ye to ho

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Vikas Srivastav

 ya too
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Vikas Srivastav

 ye to such hi

ye to such hi #nojotophoto

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