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kaushalbandhnapu9790
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Kaushal Bandhna punjabi

लेखिका, कवयित्री

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Kaushal Bandhna punjabi

पर्यावरण पयर्यावरण से खेलना इन्सान का मनोरंजन हो गया जैसे। यहां मन किया पेड़ काट दिए या पहाड़ काट दिए या फिर नदियों के मुख मोड़ दिए।
इन मनमर्जियों के खामियाजे का भुगतान करती है सारी मानवता।

आज कोरोना काल में लोगों की आक्सीजन कम हो रही है। क्या आज भी नहीं समझेगा इन्सान कि वह प्रकृति व मानवता की कितनी क्षति कर रहा है।

ईश्वर ने यहां पहाड़ नदियों का निर्माण किया था वह ग़लत था क्या? क्या इन्सान ईश्वर से ऊपर समझ रखने वाला हो गया?

कितने प्राणी ,पशु व पक्षी सांस लेते हैं इस हवा में। फेक्ट्रियों का दूषित धुआं हवा को दूषित करता ऊपर से पेड़ों की कमी सांसों को रोकने में सहायक।

विज्ञान समझ नहीं आता पर्यावरण का रक्षक या भक्षक है। क्योंकि पर्यावरण विनाश में एक बड़ा हाथ वैज्ञानिक सोच का भी है।

क्यों मनुष्य इतना बड़ा वैज्ञानिक हो गया कि ईश्वर के बनाए नियमों में ही उलटफेर करने लगा।बारिश नहीं हुई तो बादलों में बारिश के लिए इंजेक्शन लगा दिए।

यह कुदरत पर्यावरण से छेड़छाड़ महंगी पड़ रही मानवता को।यदि समय रहते इन्सान ना संभला, पर्यावरण की रक्षा ना की तो मानवता का विनाश निश्चित है।

कौशल बंधना पंजाबी।

©Kaushal Bandhna punjabi #EnvironmentDay2021
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Kaushal Bandhna punjabi

पर्यावरण पयर्यावरण से खेलना इन्सान का मनोरंजन हो गया जैसे। यहां मन किया पेड़ काट दिए या पहाड़ काट दिए या फिर नदियों के मुख मोड़ दिए।
इन मनमर्जियों के खामियाजे का भुगतान करती है सारी मानवता।

आज कोरोना काल में लोगों की आक्सीजन कम हो रही है। क्या आज भी नहीं समझेगा इन्सान कि वह प्रकृति व मानवता की कितनी क्षति कर रहा है।

ईश्वर ने यहां पहाड़ नदियों का निर्माण किया था वह ग़लत था क्या? क्या इन्सान ईश्वर से ऊपर समझ रखने वाला हो गया?

कितने प्राणी ,पशु व पक्षी सांस लेते हैं इस हवा में। फेक्ट्रियों का दूषित धुआं हवा को दूषित करता ऊपर से पेड़ों की कमी सांसों को रोकने में सहायक।

विज्ञान समझ नहीं आता पर्यावरण का रक्षक या भक्षक है। क्योंकि पर्यावरण विनाश में एक बड़ा हाथ वैज्ञानिक सोच का भी है।

क्यों मनुष्य इतना बड़ा वैज्ञानिक हो गया कि ईश्वर के बनाए नियमों में ही उलटफेर करने लगा।बारिश नहीं हुई तो बादलों में बारिश के लिए इंजेक्शन लगा दिए।

यह कुदरत पर्यावरण से छेड़छाड़ महंगी पड़ रही मानवता को।यदि समय रहते इन्सान ना संभला, पर्यावरण की रक्षा ना की तो मानवता का विनाश निश्चित है।

कौशल बंधना पंजाबी।

©Kaushal Bandhna punjabi #EnvironmentDay2021
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Kaushal Bandhna punjabi

#lovebeat
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Kaushal Bandhna punjabi

#lovebeat
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Kaushal Bandhna punjabi

#lovebeat
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Kaushal Bandhna punjabi

मेरे गांव की मिट्टी

मेरे गांव की मिट्टी

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Kaushal Bandhna punjabi

किताब जिंदगी की

किताब जिंदगी की #कविता

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Kaushal Bandhna punjabi

भीड़ में हम हंस दिये

वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही थीं जैसे कुछ खो गया हो उसका। सहेलियां बातें कर रही थीं हंसी ठिठोली कर रही थी मगर राधा हूं हां ही कर रही थी ।
इतने में अचानक उसको वो दिख गया जिसको उसकी नजरें बेसब्री से तलाश रही थीं।सामने था दीपक साथ में उसके दोस्त,एक राधा का मूंह बोला भाई था तो बात करने में राधा को झिझक नहीं हुई,,,अरे रोहित भाई तू भी आया है।क्यों तुम आ सकती हो तो मैं नहीं आ सकता क्या।
और फिर तुम लोगों की सुरक्षा भी चाहिए, भीड़ बहुत है। अच्छा ऐसी बात क्या।
बातों बातों में आंखों आंखों में सजदा कर दिया था एक दूसरे को राधा और दीपक ने।
अच्छा चलते हैं हम कुछ खरीद भी लें आएं हैं तो।दीपक और दोस्त भी आगे बढ़ गये। दोनों का मन कहां भरा था अभी जैसे फिर नज़रें भटकने लगीं थीं। खैर कुछ खास नहीं खरीदा ,सभी सहेलियां घूमी फिरी इतने में पानी पूरी वाला दिखा तो पानी पूरी खाने लगीं। मैं आसपास रही उनके वो मुझे नहीं जानते थे पर मैं जानती थी उनको,मेरी कहानी के पात्र ज्यों थे वो सभी।
इतने में दीपक रोहित भी वहीं आ गये पानी पूरी खाने, अचानक से राधा बोल उठी,अरे तुम लोग क्या हमारा पीछा कर रहे हो,और उनके साथ मेले की भीड़ में हम हंस दिये।
वो सभी अपनी बातों में व्यस्त हो गये।दीपक और राधा आंखों से मोहब्बत के पैगाम देते रहे,मेले की भीड़ से अंजान अपनी दुनिया में खोए हुए थे वो,और मैं अपने मन उनकी प्रेम कहानी लिए लौट आई मेरे से।

कौशल बंधना पंजाबी। भीड़ में हम हंस दिये

वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही थीं जैसे कुछ खो गया हो उसका। सहेलियां बातें कर रही थीं हंसी ठिठोली कर रही थी मगर राधा हूं हां ही कर रही थी ।
इतने में अचानक उसको वो दिख गया जिसको उसकी नजरें बेसब्री से तलाश रही थीं।सामने था दीपक साथ में उसके दोस्त,एक राधा का मूंह बोला भाई था तो बात करने में राधा को झिझक नहीं हुई,,,अरे रोहित भाई तू भी आया है।क्यों तुम आ सकती हो तो मैं नहीं आ सकता क्या।
और फि

भीड़ में हम हंस दिये वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही थीं जैसे कुछ खो गया हो उसका। सहेलियां बातें कर रही थीं हंसी ठिठोली कर रही थी मगर राधा हूं हां ही कर रही थी । इतने में अचानक उसको वो दिख गया जिसको उसकी नजरें बेसब्री से तलाश रही थीं।सामने था दीपक साथ में उसके दोस्त,एक राधा का मूंह बोला भाई था तो बात करने में राधा को झिझक नहीं हुई,,,अरे रोहित भाई तू भी आया है।क्यों तुम आ सकती हो तो मैं नहीं आ सकता क्या। और फि

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Kaushal Bandhna punjabi

दिनांक ९/८/२०१९ fbशीर्षक साहित्य परिषद

अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।

अनू बोली बहन‌ ये जो किस्मत है ना बहुत रंग दिखाती है, पिता जी आर्मी में थे, और अच्छी भली ज़िन्दगी थी हमारी । तीन बहनें थीं हम ‌।पापा की पोस्टिंग हुई और बार्डर पर ड्यूटी लग गई।
और एक दिन अचानक हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए।
उनके बाद मामा लोग मां को कहने लगे अनु के हाथ जल्दी से पीले करदो तुम्हारी जिम्मेदारी बड़ी है।
और अनु बीस वर्ष की हो गई है बालिग भी है।

मां ने मजबूर सी आंखों से मुझे देखा और मैं भी मां का दर्द और मजबूरी समझ गई।
और मैंने भी कुछ नहीं कहा, कहती भी क्या ?उस समय मां की मजबूरी से बहुत छोटा था मेरा ख्वाब या यूं कहूं मेरे अधूरे ख्वाब।
अश्रू धारा दोनों की आंखों से बह रही थी,और अंजू अनू को हौंसला देकर अनु को चुप करवा रही थी।

कौशल बंधना पंजाबी।(स्वरचित)
11/feb/2020 दिनांक ९/८/२०१९एफ भी पर
अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।

दिनांक ९/८/२०१९एफ भी पर अधूरे ख्वाब। वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो। अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप? अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।

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Kaushal Bandhna punjabi

अंतिम क्षण। लघुकथा,, 

मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए !
बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए एक लंबे समय के बाद सितार उठाया,मान्यता ने और बजाना शुरू कर दिया।ना जाने फिर कब खो गई अतीत की यादों के ताने बाने में। कैसे कालेज में म्यूजिक क्लास का पहला दिन और सिद्धार्थ से उसकी मुलाकात।
क्लास में एंट्री करते ही नज़र सामने बैठे सिद्धार्थ पर पड़ी जो एकटक मान्यता को देख रहा था। दोनों जैसे सुध-बुध खो से बैठे थे।
म्यूज़िक टीचर की आवाज़ सुनते ही टूट गया था ध्यान जैसे।
धीरे धीरे दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया सिद्धार्थ ने।रोज म्यूज़िक कक्षा का इंतज़ार जैसे दोनों के लिए घंटे नहीं महीने या साल हों।
जब मान्यता सितार बजाती खो जाता सिद्धार्थ उसके संगीत में,,,,ना जाने मान्यता को साथ लेकर किन आसमानों में उड़ जाता कल्पना के।
समय बीतता गया और कालेज का अंतिम साल भी खत्म हुआ।घर जाने से पहले सिद्धार्थ ने मान्यता के आगे शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा ,,,, बहुत जल्दी नौकरी देखकर तुम्हरा हाथ मांगने आऊंगा,,,,,क्या तुम इंतज़ार करोगी मेरा।
यह सुनकर मान्यता की आंखें भर आईं थीं।शब्द जुबान पर नहीं आ रहे थे,गला भर आया था उसका।वह यह जानकर इतनी खुश थी कि कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे वह अपनी खुशी का इजहार करे।पर सिद्धार्थ समझ चुका था वह कुछ कहती इससे पहले सिद्धार्थ ने उसको गले से लगा लिया।
आज फिर ध्यान टूटा मगर म्यूज़िक कक्षा में नहीं,घर के एक कमरे में यहां सिद्धार्थ सामने सदा के लिए मंत्रमुग्ध हो चुका था।वह कभी ना जगने वाली नींद में था और मान्यता गुमसुम एकटक उसको देख रही थी कि शायद आज फिर उठकर उसको गले से लगा लेगा,इसी इंतज़ार में शायद आंसू भी रूक गये थे आंख की कोर पर।

कौशल बंधना पंजाबी।
पंजाब।
19 जनवरी 2020 अंतिम क्षण। लघुकथा 

मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए !
बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए एक लंबे समय के बाद सितार उठाया,मान्यता ने और बजाना शुरू कर दिया।ना जाने फिर कब खो गई अतीत की यादों के ताने बाने में। कैसे कालेज में म्यूजिक क्लास का पहला दिन और सिद्धार्थ से उसकी मुलाकात।
क्लास में एंट्री करते ही नज़र सामने बैठे सिद्धार्थ पर पड़ी जो एकटक मान्यता को देख रहा था। दोनों जैसे सुध-बुध खो से बैठे थे।
म्यूज़िक टीचर की आवाज़ सुनते ही टूट गया

अंतिम क्षण। लघुकथा मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए ! बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए एक लंबे समय के बाद सितार उठाया,मान्यता ने और बजाना शुरू कर दिया।ना जाने फिर कब खो गई अतीत की यादों के ताने बाने में। कैसे कालेज में म्यूजिक क्लास का पहला दिन और सिद्धार्थ से उसकी मुलाकात। क्लास में एंट्री करते ही नज़र सामने बैठे सिद्धार्थ पर पड़ी जो एकटक मान्यता को देख रहा था। दोनों जैसे सुध-बुध खो से बैठे थे। म्यूज़िक टीचर की आवाज़ सुनते ही टूट गया

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