भीड़ में हम हंस दिये
वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही थीं जैसे कुछ खो गया हो उसका। सहेलियां बातें कर रही थीं हंसी ठिठोली कर रही थी मगर राधा हूं हां ही कर रही थी ।
इतने में अचानक उसको वो दिख गया जिसको उसकी नजरें बेसब्री से तलाश रही थीं।सामने था दीपक साथ में उसके दोस्त,एक राधा का मूंह बोला भाई था तो बात करने में राधा को झिझक नहीं हुई,,,अरे रोहित भाई तू भी आया है।क्यों तुम आ सकती हो तो मैं नहीं आ सकता क्या।
और फि
Kaushal Bandhna punjabi
दिनांक ९/८/२०१९एफ भी पर
अधूरे ख्वाब।
वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।
अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?
अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।
Kaushal Bandhna punjabi
अंतिम क्षण। लघुकथा
मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए !
बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए एक लंबे समय के बाद सितार उठाया,मान्यता ने और बजाना शुरू कर दिया।ना जाने फिर कब खो गई अतीत की यादों के ताने बाने में। कैसे कालेज में म्यूजिक क्लास का पहला दिन और सिद्धार्थ से उसकी मुलाकात।
क्लास में एंट्री करते ही नज़र सामने बैठे सिद्धार्थ पर पड़ी जो एकटक मान्यता को देख रहा था। दोनों जैसे सुध-बुध खो से बैठे थे।
म्यूज़िक टीचर की आवाज़ सुनते ही टूट गया