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अच्छा बुरा, सही गलत, सोचा ही नहीं, उनके हरेक बात पे हाँ करते गए..! उलझनों की भीड़ में लापता है ज़िन्दगी..! वादों की तरह इश्क भी आधा रहा, मुलाकातें कम रही इन्तेजार ज्यादा रहा..! कितने आजीब लोग है न, दिल तोड़ कर कहते है खुश रहो..!
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