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joshijoshidiljal6538
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joshi joshi diljala

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joshi joshi diljala

White 

महसूस हो रहा है कि तन्हा नहीं हूँ मैं 
शायद कहीं क़रीब कोई दूसरा भी है 

क़ातिल ने किस सफ़ाई से धोई है आस्तीं 
उस को ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है 

ग़र्क़ाब कर दिया था हमें ना-ख़ुदाओं ने 
वो तो कहो कि एक हमारा ख़ुदा भी है 

हो तो रही है कोशिश-ए-आराइश-ए-चमन 
लेकिन चमन ग़रीब में अब कुछ रहा भी है 

ऐ क़ाफ़िले के लोगो ज़रा जागते रहो 
सुनते हैं क़ाफ़िले में कोई रहनुमा भी है 

हम फिर भी अपने चेहरे न देखें तो क्या इलाज 
आँखें भी हैं चराग़ भी है आइना भी है 

'इक़बाल' शुक्र भेजो कि तुम दीदा-वर नहीं 
दीदा-वरों को आज कोई पूछता भी है 

         Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #good_night_images
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joshi joshi diljala

White 

मैं बिस्तर-ए-ख़याल पे लेटा हूँ उस के पास 
सुब्ह-ए-अज़ल से कोई तक़ाज़ा किए बग़ैर 

उस का है जो भी कुछ है मिरा और मैं मगर 
वो मुझ को चाहिए कोई सौदा किए बग़ैर 

ये ज़िंदगी जो है उसे मअना भी चाहिए 
वा'दा हमें क़ुबूल है ईफ़ा किए बग़ैर 

ऐ क़ातिलों के शहर बस इतनी ही अर्ज़ है 
मैं हूँ न क़त्ल कोई तमाशा किए बग़ैर 

मुर्शिद के झूट की तो सज़ा बे-हिसाब है 
तुम छोड़ियो न शहर को सहरा किए बग़ैर 

उन आँगनों में कितना सुकून ओ सुरूर था 
आराइश-ए-नज़र तिरी पर्वा किए बग़ैर 

याराँ ख़ुशा ये रोज़ ओ शब-ए-दिल कि अब हमें 
सब कुछ है ख़ुश-गवार गवारा किए बग़ैर 

गिर्या-कुनाँ की फ़र्द में अपना नहीं है नाम 
हम गिर्या-कुन अज़ल के हैं गिर्या किए बग़ैर 

आख़िर हैं कौन लोग जो बख़्शे ही जाएँगे 
तारीख़ के हराम से तौबा किए बग़ैर

©joshi joshi diljala
  #good_night
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joshi joshi diljala

White मेरे ही लहू पर गुज़र-औक़ात करो हो 
मुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो 

दिन एक सितम एक सितम रात करो हो 
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो 

हम ख़ाक-नशीं तुम सुख़न-आरा-ए-सर-ए-बाम 
पास आ के मिलो दूर से क्या बात करो हो 

हम को जो मिला है वो तुम्हीं से तो मिला है 
हम और भुला दें तुम्हें क्या बात करो हो 

यूँ तो कभी मुँह फेर के देखो भी नहीं हो 
जब वक़्त पड़े है तो मुदारात करो हो 

दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़ 
तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो 

बकने भी दो 'आजिज़' को जो बोले है बके है 
दीवाना है दीवाने से क्या बात करो हो 

       Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #good_night
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joshi joshi diljala

White अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें 

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो 
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें 

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा 
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें 

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर 
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें 

अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' 
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में

©joshi joshi diljala
  #Dosti
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joshi joshi diljala

White 

तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझे 
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगे 

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो 
कि आस-पास की लहरों को भी पता न लगे 

वो फूल जो मिरे दामन से हो गए मंसूब 
ख़ुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगे 

न जाने क्या है किसी की उदास आँखों में 
वो मुँह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे 

तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई कर 
कि तेरे बा'द मुझे कोई बेवफ़ा न लगे

©joshi joshi diljala
  #alone_quotes
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joshi joshi diljala

White कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को 
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को 

दुआ बहार की माँगी तो इतने फूल खिले 
कहीं जगह न रही मेरे आशियाने को 

मिरी लहद पे पतंगों का ख़ून होता है 
हुज़ूर शम्अ' न लाया करें जलाने को 

सुना है ग़ैर की महफ़िल में तुम न जाओगे 
कहो तो आज सजा लूँ ग़रीब-ख़ाने को 

दबा के क़ब्र में सब चल दिए दुआ न सलाम 
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को 

अब आगे इस में तुम्हारा भी नाम आएगा 
जो हुक्म हो तो यहीं छोड़ दूँ फ़साने को 

'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई 
चले हो चाँदनी शब में उन्हें बुलाने को 

          Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #life_quotes
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joshi joshi diljala

White बुझने के बाद जलना गवारा नहीं किया,
हमने कोई भी काम दोबारा नहीं किया।

अच्छा है कोई पूछने वाला नहीं है यह
दुनिया ने क्यों ख़याल हमारा नहीं किया।

जीने की लत पड़ी नहीं शायद इसीलिए
झूठी तसल्लियों पे गुज़ारा नहीं किया।

यह सच अगर नहीं तो बहुत झूठ भी नहीं
तुझको भुला के कोई ख़सारा नहीं किया

          Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #life_quotes
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joshi joshi diljala

White हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते

रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना
हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते

मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद
लोग हँसते हैं मुझे देख के आते जाते

अबकि मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था
तुम तो दरिया थे मिरी प्यास बुझाते जाते

            Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #Emotional_Shayari
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joshi joshi diljala

White मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी 
मोहब्बत की कहानी में अदाकारी नहीं करनी 

हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से 
कहीं जाना नहीं जाने की तय्यारी नहीं करनी 

तहम्मुल ऐ मोहब्बत हिज्र पथरीला इलाक़ा है 
तुझे इस रास्ते पर तेज़-रफ़्तारी नहीं करनी 

हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर 
यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी 

ग़ज़ल को कम-निगाहों की पहुँच से दूर रखता हूँ 
मुझे बंजर दिमाग़ों में शजर-कारी नहीं करनी 

वसिय्यत की थी मुझ को क़ैस ने सहरा के बारे में 
ये मेरा घर है इस की चार-दीवारी नहीं करनी 

                 Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #hindi_poem_appreciation
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joshi joshi diljala

White हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए 
चराग़ों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाए 

कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए 
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए 

अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर 
मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए 

समुंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दे हम को 
हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए 

मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा 
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 

मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ 
कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए 

              Joshi_Joshi_Diljala

©joshi joshi diljala
  #sad_shayari
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