Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser5779842224
  • 12Stories
  • 4Followers
  • 67Love
    8.2KViews

निष्ठा परिहार

  • Popular
  • Latest
  • Video
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

#हिंदीदिवस 
#BoloAazadi
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

कुछ पंक्ति लिखनी चाही है, 
                      आवाज उठानी चाही है,
छिटकी एक चिंगारी को,
                         आग बनानी चाही है,
जो कांट रहे वृक्षो को ,
                       उनको राज बतानी चाही है,
फिर से वसुधा को हरियाली की चादर देनी चाही है।2
वह छाया तुमको कड़े धूप से ,
                     फिर ना कभी बचाएगी,
वह कोयल तुमको मीठे स्वर के,
                      गान न फिर सुनाएगी,
वह फल तुमको एक स्वाद भरा,
                    संसार न फिर दे पाएंगे,
जरा सोचो बिन हवाओं के,
                    हम स्वास कहाँ ले पाएंगे,
वर्षा की रिमझिम बूंदे,
                      जब तुमको नही सताएगी ,
पर दिनकर की वे किरणे ,
                      हर लम्हें पर तड़पायेगी,
जब बंजर धरती पे ,
                     ममता के अन्न न उग पाएंगे,
जरा सोचो ऐसे में ,
                      हम जीवन कहाँ बिताएंगे ,
एक नासमझी में पृथ्वी का,
                      संसार बिगड़ भी सकता है,
और कुछ करने से अपना ,
                     ये संसार संवर भी सकता है,
अपने संग के लोगो को ,
                    ये राज बतानी चाही है,
वृक्षों के जीवन की वह ,
                    सौगात बतानी चाही है,
वक़्त रहते वक़्त का ,
                    जुनून गर समझ गए,
तो फिर वसुधा को हरियाली की चादर देनी चाही है।।।2

©निष्ठा परिहार #savetreesavelife 

#Nature
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

शर्म भले गहना हो मेरा,
त्याग मेरा हथियार है,
जो कहते अबला नारी को ,
उनसे मेरा ये सवाल है,
कुंती ने त्याग पुत्र,
यशोदा ने ममता भी त्यागी है,
राधारानी ने त्यागी ,
अपनी वो प्रेम कहानी है,
सीता माँ ने त्यागा रघुकुल,
जिस कुल की वो अधिकारी थी,
संयम, धीरज का पाठ पढ़ाई ,
वो साधारण नारी थी,
इतिहास के पन्ने-पन्ने में,
नारी को पूजा करते है,
यह है नारी की छवि देखो,
जिनको हम अबला कहते है।।

©निष्ठा परिहार #नारी शक्ति

#girl
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

सदियों से भारत भूमि को,
 हमने माता ही पुकारा है,
दृणता,संयम, ममता, करुणा,
सारा गुण इनसे आया है,
इतिहास के पन्ने-पन्ने में,
भारत को माता कहते है,
यह है नारी की छवि देखो,
 जिनको हम अबला कहते हैं।

जो है सादगी की मूरत,
शौर्य जिसकी परिभाषा है,
जिनके होने से जनभर में,
वंशानुक्रम की आशा है,
जिसके कुछ कहने से, 
भारत में, महाभारत संग्राम हुआ,
जिसके चुप रहने ,
से रामायण का जन भर में नाम हुआ,
जिसकी शौर्य शक्ति के आगे,
अंग्रेजो के भाल झुके,
जिसकी भक्ति के आगे,
नारायण खुद भी भगवान हुए,
जिसके प्रेम की छाया ,
निर्मल निश्छल बहती रहती है,
जिसकी ममता बच्चों के,
आने वाले दुख हर लेती है,
जिसकी चंचलता घर के आंगन को,
 हर पल महकती है,
जिसकी डोली हर आंगन को 
सूना-सूना कर जाती है,
जो बांध रही संबंधों को,
उनको रमणी भी कहते है,
यह है नारी की छवि देखो,
जिनको हम अबला कहते है।

©निष्ठा परिहार नारी शक्ति

#girl

नारी शक्ति #girl #कविता

0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

हम शहादत की इबादत करते हैं,
                         जो करते है सरे आम करते है,
छुपकर बैठना अपनी आदत नहीं,
                              तो चलो.....
तो चलो ,मुकम्मल हिंदुस्तान करते है।
तो चलो मुकम्मल हिंदुस्तान करते है।

शहीदों को आज भी मलाल होगा,
                        आज भी माथा गुस्से से लाल होगा,
जो देखा होगा सबने भारत का नजारा,
                     शाहीद होने पर हर शख्श शर्मसार हुआ होगा,
 ये वो हिन्द नहीं ,
                      जिसपर गांधी नेहरू को कभी अभिमान था,
ये हिन्द नहीं 
                      जिसके आगे बच्चा भी कभी कुर्बान था,
लालच ईर्ष्या,द्वेष, द्वंद, 
                       अब ये हमारे गहने है,
ध्यान रहे ये आज़ादी हम उधार ले पहने है,
                  कर्ज है हमपे अरबो का ,
करते है सौदा खरबो का,
                   गद्दी पर बैठे है पर हम शहंशाह नहीं,
अब ये वो हिंदुस्तान नहीं।।
              
                                           
                     ✍️निष्ठा,✍️

©निष्ठा परिहार देशभक्ति

देशभक्ति #कविता

0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

अब  ये वो हिन्दुतान नहीं


#Januarycreators

अब ये वो हिन्दुतान नहीं #Januarycreators #कविता

0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

कभी अल्फाज कम थे बयां ज़िन्दगी के लिए,

तो खामोशी हमने खुद ही चुन ली,

क्या बात करे जमाने के किस्सों से,

जब दोस्ती हमने किताबों से कर ली।।

©निष्ठा परिहार #बुक्स 

#lonely
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

मुस्कुराहट हर खुशी का आगाज नही,
हम जो कल थे वो आज नही,
जो आईने राज बता गए,
थे,शीशे इसके मोहताज नही,
पत्थर की पूजा ने इंसान को पत्थर बना डाला,
आज ऐसा पल आया क्यों हमने घर जला डाला,
इंसानियत फीकी पड़ी है धर्म के नाम पे,
क्यों हिंदुस्तान को हमने शमशान घाट बना डाला,
रब के नाम पे लड़ पड़े,
क्या रब को तुमने देखा है,
क्यों एक कल्पना मात्र का आसरा करता असलियत अनदेखा है,
हर शब्द के पहले हमें क्यों, 
क्यो लगाना पड़ता है? 
क्यों हर वक़्त समझाने के वास्ते वही बताना पड़ता है
क्यों आज भी धरती लहू से लाल की जाती है,
और वह नई कहानी बन जाती है
धर्म नहीं, कर्म का नाम है
यह सोच भला क्यों गुमनाम है,
आज भी
 जब मंदिर में लोगी को माँ पिता दिखाई दे,
प्रशाद में उन्हें आशीर्वाद दिखाई दे,
तब होगा देश उजागर,
जब इंसान को माँ बाप में भगवान दिखाई दे।।

©निष्ठा परिहार #beinghuman
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

🙏  स्वरचित कविता 🙏

  👧माता-पिता👨


जीवनपथ पर , जीवनपर्यंत, हरपल जिनका आशीष रहा।
जिनको खुश रखना बचपन से, अपना भी एक सपना रहा।
जिनके कर कदमो में बीता, अपना प्यारा बचपन है।
उनपर चाह रहा हूँ लिखना पर लिखने में कुछ अड़चन हैं।

शब्दहीन हूँ, भावहीन हूँ, असमंजस में हूँ पड़ा,
कहाँ शुरू ,कहाँ खत्म करू ,मैं हूँ अभागा सोच रहा।
शेषा, बचपन, यौवन, जीवन के किस अवस्था का करू,
जरा तुम्हीं बता दो, माँ-पापा को मैं कितना धन्यवाद कहूँ।

कुछ तारीफ में कह पाऊ,तो इतना ही कह पाऊंगा,
मिल जाना तुम्ही हर बार,जन्म जब मैं धरती में पाऊंगा।
सारी खुशियां, सारा जीवन, सबकुछ मुझपर ही वार दिया,
छोड़कर सारे रिश्ते,सबसे ज्यादा मुझसे प्यार किया।

ख्वाहिशे अपनी सारी मुझपर ही लुटाई है,
सारी जिद्द छोड़ी है अपनी ,पर ज़िद्दी मुझे बनाई है,
मैं हूँ, जैसा हूँ, जो कुछ हूँ, बस आपका ही साया हूँ,
सच कहता हूँ, बड़ी किस्मत से आप सभी को पाया हूँ।

आपके,
स्नेह,प्रेम की सरिता निर्मल,निश्छल, ही बहती जाए,
पर संयम, धीरज, दृणता का एक बाँध बनाना वाजिब है,
है, माँ-पिता का साथ,तो जग में अपनी जीत भी वाजिब है।।

©निष्ठा परिहार #motherfatherlove 

#OneSeason
0ca87bca3d45cd5a5acf7cb1499072f5

निष्ठा परिहार

उम्मीदों के पंख उड़ा, फिर से उड़ने की बारी है,
जो थके-थके से रुके हुए थे उन पंखों की बारी है,
सन्नाटे की छाया में महीनों से गुम मुस्कान रहीं,
कुछ ना कर सकने की लाचारी महीनों अपने साथ रहीं,
कुछ कैद थे चार दीवारों में, कुछ जोखिम के दीवाने थे,
कुछ सरहद पे अपनी हद छोड़े खड़े देश दीवाने थे,
कुछ पैदल चले सफर को अपने , कुछ दीप जला के साथ दिया,
कुछ ने देख विकट स्थिति बड़े प्यार से साथ दिया,
आशा एक संजीवनी की अभी हमारे साथ है,
हैं अपनो का साथ सदा हर विघ्न लगे आसान है,
हर हार से  जीतने की अब अपनी बारी है
नूतन वर्ष में सपनों के सच होने की बारी है।

कहते है गुजरा साल बड़े ही मुश्किलों से गुजरा है,
पर याद रहे ,
उसने मुश्किलों को आधा करने के लिए अपनो का साथ दुगुना भी किया है।

😍😍Happy New Year 2021........😍😍

©निष्ठा परिहार #New_Year 

#2021Wishes
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile