Nojoto: Largest Storytelling Platform
sunitajais1109
  • 208Stories
  • 841Followers
  • 4.4KLove
    18.5KViews

sunita sonawrites

जब कोई दिल टूट कर बिखर जाता है यक़ीन मानो वो अल्फ़ाज़ बनकर पन्नो पर निखर जाता है

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

96 Bookings

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

बरसात अबकी जब तुम आना ,तो,
मेरा बचपन साथ ले आना,
"छपाक" से तरबतर बचपन,
ज़िम्मेदारियों की परिभाषा से मुक्त,
किसी कॉपी के पन्नो के लगातार फटने की आवाज़
और उन पन्नो पर मंझे हुए कलाकार सी,
चलती उंगलिया और उनसे तैयार होती ,
सपनों की सुनहरी कश्तियाँ,
छत की नाली की झांकती आंखों पर,
अपने ही किसी नन्हे कपड़े की पट्टी बांधकर,
पूरे छत को स्वीमिंग पूल में बदल कर,
एक विजेता सा एहसास होना,और,
फिर डुबकियां लगाता ,खिलखिलाता बचपन,
जाने कहाँ छुप गए वो दिन,कहीं नजर नही आते,
"बरसात"अबकी जब तुम आना,तो,
मेरा बचपन साथ ले आना।

©sunita sonawrites
  bachpan aur barish

bachpan aur barish #कविता

234 Views

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

बरसात अबकी जब तुम आना ,तो,
मेरा बचपन साथ ले आना,
"छपाक" से तरबतर बचपन,
ज़िम्मेदारियों की परिभाषा से मुक्त,
किसी कॉपी के पन्नो के लगातार फटने की आवाज़
और उन पन्नो पर मंझे हुए कलाकार सी,
चलती उंगलिया और उनसे तैयार होती ,
सपनों की सुनहरी कश्तियाँ,
छत की नाली की झांकती आंखों पर,
अपने ही किसी नन्हे कपड़े की पट्टी बांधकर,
पूरे छत को स्वीमिंग पूल में बदल कर,
एक विजेता सा एहसास होना,और,
फिर डुबकियां लगाता ,खिलखिलाता बचपन,
जाने कहाँ छुप गए वो दिन,कहीं नजर नही आते,
"बरसात"अबकी जब तुम आना,तो,
मेरा बचपन साथ ले आना।

©sunita sonawrites
  #बचपन और बारिश#

#बचपन और बारिश# #कविता

157 Views

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

49 Bookings

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

कुछ ज़ख्म हलक में उम्र भर अल्फ़ाज़ बनकर अटके रह जाते हैं
अंदर रहे तो नासूर और बाहर निकले तो तमाशा बन जाते हैं।

©sunita sonawrites
  #dard#
#nasoor#
#mere ehsas#

dard# nasoor# mere ehsas#

250 Views

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

नारी आज भी कहाँ आज़ाद है
आज भी सुनती है,
ऐसे चलो,ये मत पहनो,ऐसे क्यों किया
इतनी जोर से हंसने की क्या ज़रूरत थी,
जगह जगह सेल्फी क्यों लेती हो,
तुम्हे वहां बोलने की क्या जरूरत थी,
पचास की उम्र मे अब सलवार कमीज ही पहनो
जीन्स पहनने की अब उम्र नही रही
बालों को क्यों कलर करती हो
नेचुरल सफेदी रहने दो,
लिखती हो ठीक है मगर गोष्ठी में क्यों जाना,
नारी को पसंद है दुर्गापूजा के भंडारे का खाना
अपनी हमउम्र बहनों के ,दोस्तो के साथ ,
भीड़ में घुसकर हाथों में गर्म भंडारा लिये बाहर आना
और फिर तमाम् हिदायते सुनना,
अच्छा लगता है क्या इस तरह भीड़ में जाना?
आज के बदलते वक्त की बात करो तो,
एक जवाब सुनो
"मर्द आज भी खड़ा होकर पेशाब करता है,तुम करोगी क्या?
और बस नारी की चुप्पी और उधर किला फतह।

©sunita sonawrites #naari ka jeevan#

20 Love

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

अब ईंटे तरसती हैं और कहती हैं
मुझे जोड़कर एक आंगन बना दो,
फिर से एक माँ का दिल कहता है
मेरे बंटवारे की ये दीवार गिरा दो
आंसू भरी रात मे बाप सोंच रहा
कौन सा बेटा कंधा देगा ये बता दो
न कोई गलत पूरा न सही कोई पूरा
इल्ज़ामों की उठी हर उंगली झुका दो।
घनी छावं लिये वो नीम उदास बैठा है
रिश्तों का वहाँ फिर से जमघट लगा दो।

©sunita sonawrites #फिर से#
#मेरे ज़ज़्बात#
#मेरी कविता#

#फिर से# #मेरे ज़ज़्बात# #मेरी कविता#

20 Love

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

जब आप असफल हो रहे होंगे,तानों का शोर बढ़ेगा
जब आप सफल हो जाएंगे,वाहवाही का शोर बढ़ेगा।

     "इसे ही दुनिया कहते हैं"

©sunita sonawrites "सफलता"और "असफलता"

#alone

"सफलता"और "असफलता" #alone #विचार

17 Love

0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

"स्त्री"
     हाँ!तुम बदल रही हो
जीने का हुनर सीख रही हो।
पुरानी रीतियों में सम्मान से संशोधन कर के
तुम "नारीत्व"की नई इबारत लिख रही हो।
सुबह की ट्रे में ,
चाय की एक प्याली खुद के लिये भी रख रही हो।
आईना साफ करते हुए ,
खुद को नज़र भर देख रही हो।
अपनो का पूरा ख्याल रखकर,
खुद का भी ख्याल रख रही हो।
साड़ी से मोहब्बत करती हो ,
थोड़ा जीन्स टी शर्ट  को भी आजमा रही हो।
फरमाइशों के पकवान पर ,
मिली तारीफ पर जी भर इतरा रही हो।
पति  और बच्चो के दिल जीतने के साथ
तुम देश के लिये मेडल भी जीत ला रही हो।
घर की चारदीवारी से बाहर भी तुम
अपनी पहचान बना रही हो।
कल की नारी की परिभाषा को बदल कर
तुम नारीत्व के नए आयाम बना रही हो।
नमन है तुम्हे "स्त्री"
तुम नई पहचान बना रही हो।

©sunita sonawrites #womensday
0cc1223df46467b70b4ba976b4ba94e7

sunita sonawrites

31 Bookings

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile