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vinodkumar8399
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Vinod Kumar

आवारा हूँ ' इससे ज्यादा और क्या बताउँ ! आसान भाषा में समझिए...इश्क़ का मारा हूँ बस

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Vinod Kumar

जब प्राकृतिक के निकट होते है ,
तो हमें मुस्कुराने की आवश्कता नहीं पड़ती है  !! 

पेड़ों की टहनियां ... समंदर की लहरें,
बुद्ध के बातों की तरह हमें स्पर्श करती हैं  !!

©Vinod Kumar
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Vinod Kumar

एक सुहागन पुरवाई में, 
फैलाएं अपना आंचल   ! 

एक सूचना पश्चिम लाएं, 
परदेस पिया से रात मिलन   !!

©Vinod Kumar #Love
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Vinod Kumar

गिलहरी के कोमल तन पर किसने गुलेल चलाया  ! 
किसने सुन्दर वन में भयानक आग लगाया  !! 

मुर्दा हो चला लगता है शहर के अब इंसान  ! 

एक नहीं ' दो नहीं सैकड़ों बेटियां हर दिन होती है दरिंदों से शिकार  !! 

आखिर कबतक सहेगा यह हिन्दूस्तान  .. 

कैन्डल मार्च नहीं चौराहों पर फंदे बांधना होगा   ! 
जिस्म छूने वाले उंगलियों को काट बहाना होगा !! 

इस उन्नति सदीं में अब भी नारी असुरक्षित हैं  !
मानो महात्माओं कि धरती को दरिंदे धूमिल करने की कोशिश करत है  !! 

यह सब आखिर कब तक सहेगा हिंदुस्तान..,. 

विनोद कुमार

Rip manisha

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Vinod Kumar

तुम्हारी याद में चाय उबल कर गिर जाए  ... प्यार में जायज़ है 

मगर छानते बखत हाथ जल जाये यह जुलम है प्रिय

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Vinod Kumar

इश्क़ इबादत अश्क बहे तो कायर कहतीं दुनिया .....!! 

चलीं कलम जब धुआंधार तो शायर कहतीं दुनिया  .....!! 


                            विनोद कुमार...

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Vinod Kumar

अन्ना का अपना अलग  SWAGG  ... 
गलती अपनी फिर भी तोड़ - फोड़ ...

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Vinod Kumar

भरोसे की चिनगारियाँ जहाँ धधकती   ,

झरने झीलों से छुपकर बातें  करतीं  ! 

विराने में गुनगुनाने का शबब यह दोस्ती  , 

औघड़ पगडंडी पर गरियाये जो दोस्ती  !! 

                                    विनोद कुमार  ......

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Vinod Kumar

हिन्दी दिवस शुभ हो  ... 

प्रयत्न शेष भर थम जाए ' गरम हवा हिन्दी कि मिल जाए... ! 

वह रूकता नहीं बल्कि लक्ष्य साधकर यौवन विशेष बनाए  ....!!

         जय हो

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Vinod Kumar

रूह कशमकश एक दिशा में चलतीं  , 

साहिल से नादियां जैसे लिपट के बहती  ! 

उस रोज वफ़ा की लहर समन्दर में कहीं नहीं  समाती , 

फक्त़ अंधेरी मोड़ पर खानाबदोश सफर के लिए  न छोड़ी होती  !! 

                                                               विनोद कुमार   ......

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Vinod Kumar

Satellite जैसे होकर हम कितनी दफा़ तेरे गली के चक्कर काटे है   ! 


माना तू किसी और ग्रह से है फिर भी  तुझपर ये नज़र टिके  है  !!

 ग्रह के चारो ओर इस उद्देश्य से एक आर्बिटर निरंतर घुमता है  !  


जैसे इश्क़ की निगरानी एक दिवाना सुबह ओ शाम करता है  !!



विनोद कुमार  .....

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