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tarachandrakandp6970
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Tara Chandra

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Tara Chandra

मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ 
ही घर की बुनियाद नहीं होते, 
...
...
माता–पिता, दादा–दादी आदि के 
अनगिनत सपने, 
मेहनत तथा प्यार 
भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।।

©Tara Chandra #Home
#घर
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Tara Chandra

World looks friendly,
When you have power(s),
.
.
Else, it's friendly...
subject to the mercy of Powerful.

©Tara Chandra #Real_worlds
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Tara Chandra

White यह मकान नहीं...
यह भी फ्लैट नहीं....
.
.
यह ”जन्मभूमि“ है,
प्यारा “घर“ है।।

©Tara Chandra #प्यारा_घर
#अपना_घर
#स्वीट_होम
#Sweet_Home
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Tara Chandra

तुम अनगिन सूर्य से उजले हो,
तुम हृदयकमल, तुम प्रसन्नमन, 
अंजन से युक्त नेत्र सुन्दर,
बाणों सी चोट करती चितवन,
तुम विरह अग्नि पीने वाले,
तुम किशोर कांति अंग वाले,
श्रीजी संग सदा विहार करें,
श्रीकृष्णचन्द्र! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 8/8

श्रीकृष्ण_स्तुति 8/8 #समाज

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Tara Chandra

तुम गुण की खान, आनंदज्ञान,
देवों पे कृपा तुम करते हो,
तुम दैत्य नाश भी करते प्रभु,
सृष्टि को नाच नचाते हो,
पूर्ति करते, अभिलाषा की,
तुम ही निकुंज में विराजते,
हे नृत्य नाट्य के मूल स्रोत,
घनश्याम! मेरा शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण _स्तुति 7/8

श्रीकृष्ण _स्तुति 7/8 #समाज

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Tara Chandra

धरती का भार, तुम उतारते,
भवसागर से तुम उबारते,
तुमसे क्या छुपा? अन्तर्यामी,
सम्पूर्ण कला के तुम स्वामी,
सेवित हो दिव्य सखी से तुम,
गीताज्ञानी तुम नित्य नए, 
कमनीय कटाक्ष चलाने में,
हे दक्ष कृष्ण! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 6/8

श्रीकृष्ण_स्तुति 6/8 #समाज

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Tara Chandra

स्थापित हैं तुम्हारे चरणकमल,
मेरे मनरूप सरोवर में,
अति सुन्दर अलक हैं माथे पर,
दर्शन में नित खो जाता मैं,
तुम भय, विषाद हरने वाले,
मन दोषों को दलने वाले,
जग का पोषण करने वाले,
श्री कृष्णचन्द्र! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 5/8

श्रीकृष्ण_स्तुति 5/8 #समाज

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Tara Chandra

कानों में कदम्बपुष्प कुंडल,
मनमोहक छवि, कपोल सुन्दर,
तुम एकमात्र बृज प्राणाधार,
तुम नन्द बाबा के दुलार,
तुम एकमात्र आनंददायक,
तुम ग्वालसखा, तुम गोपालक,
तुम निकट अति तुम दुर्लभतम,
गोपाल! मेरा शत–शत प्रणाम।। श्री.....।

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 4/8

श्रीकृष्ण_स्तुति 4/8 #समाज

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Tara Chandra

तुम इन्द्र! मान मर्दन करते,
गिरिराज! धार, बृज दुःख हरते,
रतिपति! की प्रतिष्ठाभंग करते,
गोपी में ’प्रेम–प्राण’ भरते,
महारास रचाते निधिवन में,
हर गोपी को निज संग दिखते।
गजराज सदृश मत्त धुन वाले,
श्रीपति! तुमको शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  #श्रीकृष्ण_स्तुति 3/8
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Tara Chandra

मेरी प्रीत वही नन्दनन्दन, हैं,
जिन मस्तक मोरमुकुट सोहे,
अधरों पे सुरीली बंशी स्वर,
जो प्रेम-तरंगित सागर हैं,
मेरे असंख्य जन्मों के, तुम
सारथी! रहे मेरे माधव,
देवकी, यशोदा के तारे,
हे वासुदेव! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 2/8

श्रीकृष्ण_स्तुति 2/8 #समाज

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