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rajatsingh4927
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Rajat Singh

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Rajat Singh

कृष्ण कहूं या कहूं कन्हैया ?
केशव कहूं या गोपाला ?
श्याम कहूं या नन्दलाला ?
इतने सारे रूप हैं तेरे !
किसको पूजूं प्रभू ओ मेरे ?
मेरी दुविधा दूर करो,
मुझे ना खुद से दूर करो!
आया हूं तेरे चरणों में,
मैं अज्ञानी भ्रमित हूं पथ से,
अंधकार ये दूर करो!
बीच भंवर में फसी हुई है
पार लगा दो जीवन की नैया। 
कृष्ण कहूं या कहूं कन्हैया?
केशव कहूं या गोपाला?

©Rajat Singh #janmaashtami
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Rajat Singh

मैं बटा हुआ महसूस करता हूं
खुद को चंद शहरों, कुछ लोगों के बीच। 
दिन के किसी हिस्से में अचानक ही लगता है 
की शायद मैं अभी भी अपने दोस्तों के साथ हूं 
शाम होते ही मिलूंगा उनसे, फिर एकदम ही 
ये अहसास होता है की नही मैं वहां नही हूं ।
मैं बंट गया हूं कई हिस्सों में।
मेरी दोस्ती एक शहर में है!
मेरी जवानी दूसरे में!
मेरा घर किसी और शहर में!
एक घर गांव में भी है !
और एक मेरी नौकरी वाला शहर 
वहां भी तो एक घर बनाना है!
पर मैं रहता कहां हूं?
पूरा किसी शहर का हो पाऊंगा?
या बटा हुआ रहूंगा यूं ही कई टुकड़ों में?
क्या सब कुछ मिल जाना 
एक ही शहर में मुमकिन है किसी के लिए?
या हर टुकड़े को तड़पना पड़ता है भूलना पड़ता है 
हर शहर को नए शहर को अपनाने के लिए
क्या कोई मुझे याद रखेगा 
या मुझे कब तक याद रहेंगे ये सारे शहर?
खुश तो हूं हर शहर में, हर जगह कुछ अपने हैं, 
छोड़ भी तो नहीं सकता किसी को भी।
पर शायद खुशी और सुकून या पूरा पा लेना, 
पूरा हो जाना, किसी शहर का, 
इनमें भी बहुत फर्क है।
"मुझे दौड़ना नही है, भागना नहीं है, 
गिरना है! 
पर वापस नए शहर की तलाश में चलना नही है"
मैं रुकना चाहता हूं, मुकम्मल शहर की तलाश को
खत्म करना चाहता हूं।
बस सवाल ये है की शहर तो मुकम्मल मिल जाए 
पर वो हिस्से जो अलग अलग शहरों में छूट गए है
क्या उनको वापस पूरा कर पाऊंगा कभी?

©Rajat Singh #inbetweenrightandwrong 

#Journey
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Rajat Singh

बस इज्ज़त लूट के छोड़ देता!

अब बलात्कार लगता है कम
क्या इतना हार गए हैं हम?

Read the caption.....

©Rajat Singh बस इज्ज़त लूट के छोड़ देता!

कल सुना किसी को ये कहते 
की हाथ पैर तोड़ने की क्या ज़रूरत थी
उसकी जुबान काटने की क्या ज़रूरत थी
बस इज्ज़त लूट के छोड़ देता!

अब बलात्कार लगता है कम

बस इज्ज़त लूट के छोड़ देता! कल सुना किसी को ये कहते की हाथ पैर तोड़ने की क्या ज़रूरत थी उसकी जुबान काटने की क्या ज़रूरत थी बस इज्ज़त लूट के छोड़ देता! अब बलात्कार लगता है कम #बात #Stoprape #hangtherapist #inbetweenrightandwrong

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Rajat Singh

#OpenPoetry कल प्रभू श्री राम दिखे थे मुझको मेरे सपने में , बैठ के संग लक्ष्मण के फिर वो बोले मेरे सपने में 
की काश अगर मैं राम ना होता ,तो सीता का अपमान ना होता 
मां कैकेयी के हाथों से , पती मृत्यु का पाप ना होता 
मेरे अनुज भ्रात लक्ष्मण से , सुपर्णखा पे वार ना होता 
खुद मेरे पुत्रों लव और कुश से , अश्वमेघ में हार ना होता
ये सुन के लक्ष्मण , बोल पड़े 
हे भाई , हे भाई मेरे राम सुनो -
ना रावण हूँ मैं , ना राम ही हूँ , बस मेरे ज्येष्ठ भ्रात का छोटा सा अभिमान ही हूँ 
ना तुम जैसा पुरषोत्तम हूँ , ना उस जैसा ही ज्ञानी हूँ 
ना मुझको वन में जाना था 
ना शक्ति बाण ही खाना था
ना पत्नी वियोग ही सहना था 
ना सुपर्णखा से , कुछ कहना था
लक्ष्मण रेखा जो खींची थी वो बन्दिश नहीं वो रक्षा थी 
मेरी तो कुछ ना गलती थी , मुझको भी ताने मारे हैं 
हे भाई - मेरे राम कहो, कैसे ये तुमको पूजेंगे 
ये हनुमान कहाँ पाएंगे , जिनके सीने में राम बसें 
ये रावण के सब वंशज हैं ये रावण को ही पूजेंगे.....
हे भाई मेरे राम - कहो कैसे ये तुमको पूजेंगे
ये रावण के सब वंशज हैं , ये रावण को ही पूजेंगे

अये रावण तू तो अमर रहे, श्री राम को सबने छोड़ दिया 
श्री राम बिठा के मंदिर में , रावण को खुल्ला छोड़ दिया
तब जला के लंका आये थे , अब अपने ही घर की बारी है
ना भाई भाई की सुनता है , ना पुत्र पिता से डरता है 
सब रावण के ही वंशज हैं , सब रावण से अभिमानी हैं 
सुपर्णखा के नाम पे ये , सीता को हर भी लाएंगे 
अपने झूठे आदर्शों को फिर , तुमको ये दिखलाएंगे 
गर प्रिय इतनी वो बहना थी , तो उसके पती को क्यों मार दिया?
ये प्रश्न नहीं वो पूछेंगे , ना तुमको कुछ बतलायेंगे -
रावण को श्राप तो ये भी था , गर करे दुराचार किसी स्त्री से तो सब सिर उसके फट जाएंगे 
सीता इसलिए सुरक्षित थी , सीता को हाथ लगाए ना रावण इतना नहीं अच्छा था
पर ये रावण से ही ढोंगी हैं , ये रावण को ही पूजेंगे
सब नष्ट भले ही हो जाए , ये लोभ ना अपना छोड़ेंगे
ये रावण से ही लोभी हैं , ये रावण को ही पूजेंगे
दस शीश तेरे ये क्यों काटें , एक शीश इनका भी इश्मे है
सब रावण के ही वंशज हैं , सब रावण को ही पूजेंगे। #OpenPoetry #RavanKeVansaj
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Rajat Singh

Good evening quotes in English   कुछ कुछ लगती है, तू मेरी चाय की प्याली
लत सी लगी है तेरी भी मुझको, तुझ बिन सुबह मेरी लगती है खाली।
कुछ कुछ लगती है, तू मेरी चाय की प्याली

दूध सी हैं जो आंखें ये तेरी, मुझको पसंद, उनमें कम ही हो पानी।
शक्कर सी लगती है तेरी हसी, उसके बिना तू, मुझको लगती है फिकी।
अदरक सी लगती है, तेरी अदाएं, ज्यादा हो जाएं, तो लगती है तीखी।

कप के किनारों से, तेरी गालों के गड्ढे, देखुं उन्हें तो बस होठों से छू लूं।
चाय के संग, बिस्किट ज़रूरी है जैसे, तेरी बक बक बिना तू अधूरी है वैसे।
मुझको पसंद तेरा सांवला सा रंग ही, मुझको है भाती, ना गोरी ना काली।
रातों की चाय सी, तेरे कानों की बाली, नीदें उड़ाने को होती है खाली।

कुछ कुछ लगती है, तू मेरी चाय की प्याली। #chai#tea#love#poetry#shayari#hindi
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Rajat Singh

उसके पैरों में पायल नहीं है
ये उसकी हंसी की खनक है।

उसको बोलो की चेहरे से पर्दा तो उठाओ
उसकी गली में आज अंधेरा बहोत है।

पीछे से आकर मेरी आंखों को मूंदा है तूने ही
मैं पहचानता हूं तेरी खुशबू भी, ये तेरी ही महक है।

बिन मौसम की बारिश यूं ही नहीं हुई आज
ये काली घटाएं तेरी खुली जुल्फ़ों का असर है।

उसके पैरों में पायल नहीं है
ये उसकी हंसी की खनक है। #hindishayari#hindiwriter
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Rajat Singh

तुम गए हो जो इतनी जल्दी में
अपनी यादें छोड़ के
कभी फुर्सत मिले तो वापस लेने आना।

तुम गए हो जो इतने गुस्से में
अपनी हसी छोड़ के
कभी फुर्सत मिले तो फ़िर से मुस्कुराना। #inbetweenrightandwrong#quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn#wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry
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Rajat Singh

होली के रंगों सी होती ज़िन्दगी 
तो रंग देता मैं सबको अपने ही रंग में।
हर आशिक़ का रंग गुलाबी रखता
उसकी आंखों का रंग शराबी रखता।
पैसे वालों का रंग नवाबी रखता
ग़रीबी का रंग लाचारी रखता।
सारी खुशियों का रंग उजाला रखता
सब गमों को अंधेरा रखता।
दूर से ही पहचान लेता धोखेबाजों को
काश मैं रंगों की ऐसी समझदारी रखता।
सब मजहबों को रंगता इंसानियत के रंग से
मजहब के ठेकेदारों का रंग हैवानियत रखता।
होली के रंगों सी होती ज़िन्दगी
तो रंग देता मैं सबको अपने ही रंग में। #NojotoQuote #happyholi
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Rajat Singh

बारिश की पहली बूँद तो सबको प्यारी है पर उस आखरी बूँद की किसको पड़ी है 
वो भी तो उसी का हिस्सा है उसका भी तो कोई ना कोई किस्सा है 
वो पहली बूँद तो सोंधी सोंधी खुश्बू लाती है पर आखरी बूँद भी तो हमे प्यास का अहसास कराती है 
मिट्टी और पहली बूँद के इश्क़ में तो सब कुछ ना कुछ कहते हैं पर कमल के पत्ते और उस आखरी बूँद के इश्क़ के बारे में सब क्यों चुप रहते हैं 
पहली बूँद अगर प्यार के अहसास को जगती है तो आखरी बूँद भी जुदाई के किस्से सुनाती है 
अब हम साथ नहीं इस बात का अहसास कराती है ।
पहली बूँद अगर प्यार करना सिखाती है तो आखरी बूँद उस प्यार को भूलना सिखाती है 
और ये तो सबको पता है की प्यार होना जितना आसान है उसको भुलाना उतना मुश्किल 
तो आज उस आखरी बूँद को सलाम जो आखिर तक साथ निभाती है उस तन्हाई में हमारे साथ बैठ के हमारे गम को सुलाती है । #NojotoQuote #barish
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Rajat Singh

Monday ko kam pe jate time #NojotoQuote

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