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yashwantrai7346
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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

दीप जले , जग दीप  जले। 

नव - नव मंगल कृति बने।। 

हर प्रीत रहे, हर रीति फले।

दीपोत्सव संग संप्रीति रहे।। 

धनतेरस व दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏🙏

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ' #HappyDhanteras2023
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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'


When you use 
someone, you will 
definitely become 
someone's consumption. 
But when you are grateful 
for human values, then you 
become matchless. It depends 
whether you are a consumer or a utility.

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  thought

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

जब आप किसी का 
उपयोग करते हैं, तो 
आप भी किसी न किसी 
के उपभोग जरूर बनेंगे। 
परंतु जब आप मानवीय 
मूल्यों के प्रति कृतज्ञ रहते हैं, 
तब आप अतुलनीय हो जातें हैं। 
निर्भर करता है, कि आप उपभोगी 
है या उपयोगी।

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  विचार

विचार

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

तलाश..... 
जर् से जर्जर हो गया है मकान चलो अब कही, 
इक नया आशियाना कोई और तलाशा जाए। 

रहबरों ने क्या खूब चालें चलीं है अपना कह कर,
चलो कुछ और बिसातें फिर से आज़माया जाए। 

बेमौसम के तू़फान ने शहर को फिर से उजाडा़ है, 
चलो इक नया जहां कहीं और तलाशा जाए। 

कब किसे फुर्सत मिला है जिंदगी में कभी कहीं, 
चलो एक नया अवकाश फिर से मनाया जाए।

कब लौट कर आई है फिर वही रीतियाँ-प्रितियां
चलो झूठे ही सही मन को आशाएँ दिलाई जाए। 

तरन्नुम में तेरे न जाने कितने ही प्यासे मरे होगें, 
जमज़म को बेवजह और ज़ाया न गिराया जाए। 

हमने देखे हैं जमाने में एक से एक बढ़कर श्रेष्ठ, 
किसी को श्रेष्ठ मानकर फिर मन डिगाया जाए।

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  #andhere तलाश

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

विरासत में मिलीं हुई, 
........सोने की कलम। 
सोने जैसे भाव नहीं लिखती, 
अगर सोने जैसा विचार न हो। 
सोने जैसा विचार....रखने वाला, 
हीरे जैसे शब्द जरूर लिख सकता है।

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  विचार

विचार

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

जर् से जर्जर हुआ.. 
तेरा दिया हुआ लिबास। 
अब और मरम्मत के काबिल नहीं।
या तो हमें बदल, या फिर इसे बदल!

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ' Life

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

जब भी मिलो, सामने से मिलो। 

पीछे से........आवाज देने वाले, 

अक्सर बहुत पीछे छूट जाते हैं!

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  # Happiness Anjna Agrawal

# Happiness Anjna Agrawal #ज़िन्दगी

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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'


बिना उद्देश्य के जीवन.... 

पशुता के समान है जो सिर्फ, 

जीवन में उपभोग करता है! 

पर आनंद कभी नहीं पाता!! 

🙏जय श्री राधेकृष्ण जी🙏

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  #worldmusicday
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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

अघोषित युद्ध.... 

अघोषित युद्ध हुआ यह जीवन, 
बिना रुके निरंतर चलता जाता। 
हर  तरकश  के  तीरों  को  तन, 
बिना  दर्द  ही  सहता   जाता।। 
अघोषित युद्ध हुआ यह जीवन... 

फिर  स्वार्थ  के निज  बंधन से, 
वो ढ़ाल कहाँ से ढ़ूंढ़ कर लाता। 
जंजीरों में सब ख्वाहिशें जकड़े, 
किलेबंदी को कौन तोड़ पाता।। 
अघोषित युद्ध हुआ यह जीवन...

बिना गुनाह का मुज़रिम घोषित, 
फिर जीने की  लालसा  बढ़ाता। 
कश्मकश की भरी कारागार से, 
स्वयं को  मुक्त कौन कर पाया।। 
अघोषित युद्ध हुआ यह जीवन...

 बच न पाई जिनकी अस्मिताएं, 
झूठे  स्वांगों  को  खूब   रचाया। 
श्रेष्ठ जीवन की खा खाकर कस्में, 
सत्य कभी स्वीकार न कर पाया। 
अघोषित युद्ध हुआ यह जीवन...

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ' #writer
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यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

अगर कोई पाठक या मित्र गण इच्छुक हो 
सामाजिक उपन्यास 'शुकंजय की हवेली' 
पढने के लिए तो अपना पता पिन कोड 
सहित भेजने की कृपा करें। आपके पते 
पर पब्लिशर द्वारा पुस्तक पहुंचे जाएगी। 
अगर उपन्यास अच्छा लगे तब पब्लिशर 
को उपन्यास की कीमत भेजिएगा। अब 
तक यह पुस्तक अपनी क्षमताओं पर खरी 
उतरी है। सनातन् संस्कृति और अध्यात्म  
पर आधारित यह पुस्तक प्रत्येक साहित्य 
प्रेमी को पढने के लिए प्रेरित कर रही है। 
🙏जय श्री राधेकृष्ण जी🙏

©यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
  उपन्यास

उपन्यास #प्रेरक

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