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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, 
हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, 
हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, 
हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। 
(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी 
४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो

# जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो #मोटिवेशनल

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
_______________________
हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 #कविता

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

White चेतना के सुविचार---
कुछ बच्चे देखकर सीखते हैं तो कुछ  बच्चे अभ्यास से सीखते हैं और कुछ  बच्चे सीखना ही नहीं चाहते , तो उनको सीखाना मुश्किल हो जाता है।  जिन बच्चों के अंदर  सीखने की ललक  होगी , वह बच्चा अपने लगन से हर क्षेत्र में निपुण होगा। 
चेतना प्रकाश चितेरी  (चेतना सिंह ) 
२३ / ७ /२०२४ , ८:३९ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज #Sad_shayri  मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे सीखने की ललक

#Sad_shayri मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे सीखने की ललक

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

कुछ तो हुआ है परेशान - सी लगती हो
कुछ  तो बात है  जो  मुझसे  छुपाती  हो, 
कह  दो  तुम  अपने  दिल की  बात , 
गैर नहीं, मुझको तो अपना  समझती हो।

( मौलिक रचना ) 
चेतना प्रकाश चितेरी

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

परार्थ
_______
निज  स्वार्थ त्याग कर , प्रभु का स्मरण कर। 
मानव जनम मिला   है , जग में परार्थ कर । । 

 
कवयित्री - चेतना प्रकाश चितेरी , 
दिनांक -२८/५/२०२४

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

White साहिल
__________

एक छोर पर तू  है  एक छोर  पर मैं  हूंँ , 
हम तुम बिछड़े नदी के साहिल जैसे हैं ।
मगर, इस जनम में  हमारा   मिलना  नहींं  है , 
पर, तुम मायूस मत हो परीक्षा की घड़ी यही है।

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
दिनांक - १७/५/२०२४ , ५:३३ अपराह्न
दिन - शुक्रवार

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
  #sad_shayari
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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

White आज के ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं  जिन्हें अपने बीवी बच्चों से ज़्यादा दूसरों के बीवी बच्चों की  फ़िक्र होती है। 
इतनी चिंता  नि:स्वार्थ रूप से हो तो अच्छा है‌।  किंतु  पत्नी  को कुछ आश्चर्य - सा लगता है।
३/५/२०२४ ,शुक्रवार

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज #Hope
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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है  , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश  चितेरी, प्रयागराज
५/४/२०२४ , ६:२६  अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
  # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #

# स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

मेरा दिल टूट कर , तुम्हें ही चाहता है, तुम ही बता दो , मैं तुम्हें क्या उपहार दूंँ।
चेतना प्रकाश चितेरी 
९/१०/२०२३, ३:३१अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
  #tootadil दिल तुम्हें चाहता है

#tootadil दिल तुम्हें चाहता है #लव

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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

आज के दौर में  नि:स्वार्थ भाव से कोई नहीं जुड़ता । जब मुझे एहसास हुआ । कि मुझसे लोग स्वार्थ से जुड़ते हैं, तब दिल मेरा टूट गया ‌। 
दूसरे  पल ही दिल को उसी जोड़ लिया, यह सोचकर हम तो उसकी आशाओं की उम्मीद हैं। 
९/१०/२०२३ , १२:२० अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज #tootadil आशाओं की उम्मीद

#tootadil आशाओं की उम्मीद

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