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barshukumar4775
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Barshu Kumar

Bahut kathin hai murti ke dhun Ko chher Pana ... Tum to bhul gyi ho mujhe Mere liye bahut muskil hai Tujhe bhul Pana my Instagram ID barshu.kumar

https://youtube.com/@shivcoolstatus

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Barshu Kumar

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Barshu Kumar

ajka shubichar #mahadev #mahadevbhakto
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Barshu Kumar

आज का शु:विचार

आज का शु:विचार #Bhakti

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Barshu Kumar

आज का शु:विचार #mahadev #mahadevbhakto

आज का शु:विचार #mahadev #mahadevbhakto #Bhakti

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Barshu Kumar

आज का शु:विचार Swati sharma sakshi yadav Sanju Slathia Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Neha Pandey

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Barshu Kumar

आज का शु:विचार #mahadev #mahadevbhakto Neelam Modanwal Priyasharmaofficial12 Sanju Slathia sivia अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!

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Barshu Kumar

White jai shree mahakal 🙏🏻

©Barshu Kumar
  #Sad_shayri #mahadev #mahadevbhakto
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Barshu Kumar

आज का शु:विचार #mahadev #mahadevbhakto

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Barshu Kumar

आज का शु:विचार sakshi yadav Komal Sharma Sircastic Saurabh Sanju Slathia Kajal Singh [ ज़िंदगी ]

आज का शु:विचार sakshi yadav Komal Sharma Sircastic Saurabh Sanju Slathia Kajal Singh [ ज़िंदगी ] #Bhakti

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Barshu Kumar

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी
जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी

रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने
कालजई मित्रों से मिलकर दगा किया खिलजी ने
खिलजी का चित्तौड़दुर्ग में एक संदेशा आया
जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया

दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया
यदि ना रूप की रानी को तुमने दिल्ली पहुँचाया
तो फिर राणा रत्न सिंह का शीश कटा पाओगे
शाही शर्त ना मानी तो पीछे पछताओगे

यह दारुण संवाद लहर सा दौड़ गया रण भर में
यह बिजली की तरह क्षितिज से फैल गया अम्बर में
महारानी हिल गयीं शक्ति का सिंहासन डोला था
था सतित्व मजबूर जुल्म विजयी स्वर में बोला था

रुष्ट हुए बैठे थे सेनापति गोरा रणधीर
जिनसे रण में भय खाती थी खिलजी की शमशीर
अन्य अनेको मेवाड़ी योद्धा रण छोड़ गए थे
रत्न सिंह की संधि नीति से नाता तोड़ गए थे

पर रानी ने प्रथम वीर गोरा को खोज निकाला
वन वन भटक रहा था मन में तिरस्कार की ज्वाला
गोरा से पद्मिनी ने खिलजी का पैगाम सुनाया
मगर वीरता का अपमानित ज्वार नहीं मिट पाया

बोला मैं तो बहुत तुच्छ हू राजनीति क्या जानूँ
निर्वासित हूँ राज मुकुट की हठ कैसे पहचानूँ

बोली पद्मिनी, समय नहीं है वीर क्रोध करने का
अगर धरा की आन मिट गयी घाव नहीं भरने का
दिल्ली गयी पद्मिनी तो पीछे पछताओगे
जीते जी राजपूती कुल को दाग लगा जाओगे

राणा ने जो कहा किया वो माफ़ करो सेनानी
यह कह कर गोरा के क़दमों पर झुकी पद्मिनी रानी
यह क्या करती हो गोरा पीछे हट बोला
और राजपूती गरिमा का फिर धधक उठा था शोला

महारानी हो तुम सिसोदिया कुल की जगदम्बा हो
प्राण प्रतिष्ठा एक लिंग की ज्योति अग्निगंधा हो
जब तक गोरा के कंधे पर दुर्जय शीश रहेगा
महाकाल से भी राणा का मस्तक नहीँ कटेगा

तुम निश्चिन्त रहो महलो में देखो समर भवानी
और खिलजी देखेगा केसरिया तलवारो का पानी
राणा के सकुशल आने तक गोरा नहीँ मरेगा
एक पहर तक सर कटने पर धड़ युद्ध करेगा

एक लिंग की शपथ महाराणा वापस आएँगे
महा प्रलय के घोर प्रभंजन भी न रोक पाएँगे
शब्द शब्द मेवाड़ी सेनापति का था तूफानी
शंकर के डमरू में जैसे जाएगी वीर भवानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी

खिलजी मचला था पानी में आग लगा देने को
पर पानी प्यास बैठा था ज्वाला पी लेने को
गोरा का आदेश हुआ सज गए सात सौ डोले
और बाँकुरे बदल से गोरा सेनापति बोले

खबर भेज दो खिलजी पर पद्मिनी स्वयं आती है
अन्य सात सौ सखियाँ भी वो साथ लिए आती है
स्वयं पद्मिनी ने बादल का कुमकुम तिलक किया था
दिल पर पत्थर रख कर भीगी आँखों से विदा किया था

और सात सौ सैनिक जो यम से भी भीड़ सकते थे
हर सैनिक सेनापति था लाखो से लड़ सकते थे
एक एक कर बैठ गए सज गयी डोलियाँ पल में
मर मिटने की होड़ लग गयी थी मेवाड़ी दल में

हर डोली में एक वीर था चार उठाने वाले
पांचो ही शंकर के गण की तरह समर मतवाले
बजा कूच का शंख सैनिकों ने जयकार लगाई
हर हर महादेव की ध्वनि से दशों दिशा लहराई

गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा
मातृ भूमि चित्तौड़दुर्ग को फिर जी भरकर देखा
कर अंतिम प्रणाम चढ़े घोड़ो पर सुभट अभिमानी
देश भक्ति की निकल पड़े लिखने वो अमर कहानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी

जा पंहुची डोलियाँ एक दिन खिलजी के सरहद में
उधर दूत भी जा पहुँच खिलजी के रंग महल में
बोला शहंशाह पद्मिनी मल्लिका बनने आयी है
रानी अपने साथ हुस्न की कलियाँ भी लायी है

एक मगर फ़रियाद उसकी फकत पूरी करवा दो
राणा रत्न सिंह से एक बार मिलवा दो
खिलजी उछल पड़ा कह फ़ौरन यह हुक्म दिया था
बड़े शौक से मिलने का शाही फरमान दिया था

वह शाही फरमान दूत ने गोरा तक पहुँचाया
गोरा झूम उठे उस क्षण बादल को पास बुलाया
बोले बेटा वक़्त आ गया अब कट मरने का
मातृ भूमि मेवाड़ धरा का दूध सफल करने का

यह लोहार पद्मिनी भेष में बंदी गृह जायेगा
केवल दस डोलियाँ लिए गोरा पीछे धायेगा
यह बंधन काटेगा हम राणा को मुक्त करेंगे
घुड़सवार कुछ उधर आड़ में ही तैयार रहेंगे

जैसे ही राणा आएँ वो सब आँधी बन जाएँ
और उन्हें चित्तौड़दुर्ग पर वो सकुशल पहुँचाएँ
अगर भेद खुल जाये वीर तो पल की देर न करना
और शाही सेना आ पहुँचे तो फिर बढ़ कर रण करना

राणा जाएँ जिधर शत्रु को उधर न बढ़ने देना
और एक यवन को भी उस पथ पावँ ना धरने देना
मेरे लाल लाडले बादल आन न जाने पाए
तिल तिल कट मरना मेवाड़ी मान न जाने पाए

ऐसा ही होगा काका राजपूती अमर रहेगी
बादल की मिट्टी में भी गौरव की गंध रहेगी
तो फिर आ बेटा बादल सीने से तुझे लगा लू
हो ना सके शायद अब मिलन अंतिम लाड लड़ा लूँ

यह कह बाँहों में भर कर बादल को गले लगाया
धरती काँप गयी अम्बर का अंतस मन भर आया
सावधान कह पुनः पथ पर बढे गोरा सैनानी
पोंछ लिया झट से मुड़कर बूढी आँखों का पानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी

गोरा की चातुरी चली राणा के बंधन काटे
छाँट छाँट कर शाही पहरेदारो के सर काटे
लिपट गए गोरा से राणा ग़लती पर पछताए
सेनापति की नमक हलाली देख नयन भर आये

पर खिलजी का सेनापति पहले से ही शंकित था
वह मेवाड़ी चट्टानी वीरो से आतंकित था
जब उसने लिया समझ पद्मिनी नहीं आयी है
मेवाड़ी सेना खिलजी की मौत साथ लायी है

पहले से तैयार सैन्य दल को उसने ललकारा
निकल पड़ा टिड्डी दल रण का बजने लगा नगाड़ा
दृष्टि फिरि गोरा की मानी राणा को समझाया
रण मतवाले को रोका जबरन चित्तौड़पठाया

राणा चले तभी शाही सेना लहरा कर आयी
खिलजी की लाखो नंगी तलवारें पड़ी दिखाई
खिलजी ललकारा दुश्मन को भाग न जाने देना
रत्न सिंह का शीश काट कर ही वीरों दम लेना

टूट पड़ों मेवाड़ी शेरों बादल सिंह ललकारा
हर हर महादेव का गरजा नभ भेदी जयकारा
निकल डोलियों से मेवाड़ी बिजली लगी चमकने
काली का खप्पर भरने तलवारें लगी खटकने

राणा के पथ पर शाही सेनापति तनिक बढ़ा था
पर उस पर तो गोरा हिमगिरि सा अड़ा खड़ा था
कहा ज़फर से एक कदम भी आगे बढ़ न सकोगे
यदि आदेश न माना तो कुत्ते की मौत मरोगे

रत्न सिंह तो दूर न उनकी छाया तुम्हें मिलेगी
दिल्ली की भीषण सेना की होली अभी जलेगी
यह कह के महाकाल बन गोरा रण में हुँकारा
लगा काटने शीश बही समर में रक्त की धारा

खिलजी की असंख्य सेना से गोरा घिरे हुए थे
लेकिन मानो वे रण में मृत्युंजय बने हुए थे
पुण्य प्रकाशित होता है जैसे अग्रित पापों से
फूल खिला रहता असंख्य काटों के संतापों से

वो मेवाड़ी शेर अकेला लाखों से लड़ता था
बढ़ा जिस तरफ वीर उधर ही विजय मंत्र पढता था
इस भीषण रण से दहली थी दिल्ली की दीवारें
गोरा से टकरा कर टूटी खिलजी की तलवारें

मगर क़यामत देख अंत में छल से काम लिया था
गोरा की जंघा पर अरि ने छिप कर वार किया था
वहीँ गिरे वीर वर गोरा जफ़र सामने आया
शीश उतार दिया, धोखा देकर मन में हर्षाया

मगर वाह रे मेवाड़ी गोरा का धड़ भी दौड़ा
किया जफ़र पर वार की जैसे सर पर गिरा हथौड़ा
एक वार में ही शाही सेना पति चीर दिया था
जफ़र मोहम्मद को केवल धड़ ने निर्जीव किया था
ज्यों ही जफ़र कटा शाही सेना का साहस लरज़ा
काका का धड़ देख बादल सिंह महारुद्र सा गरजा

अरे कायरो नीच बाँगड़ों छल से रण करते हो
किस बुते पर जवान मर्द बनने का दम भरते हो
यह कह कर बादल उस क्षण बिजली बन करके टुटा था
मानो धरती पर अम्बर से अग्नि शिरा छुटा था

ज्वाला मुखी फटा हो जैसे दरिया हो तूफानी
सदियाँ दोहराएँगी बादल की रण रंग कहानी
अरि का भाला लगा पेट में आंते निकल पड़ी थीं
जख्मी बादल पर लाखो तलवारें खिंची खड़ी थी

कसकर बाँध लिया आँतों को केशरिया पगड़ी से
रंचक डिगा न वह प्रलयंकर सम्मुख मृत्यु खड़ी से
अब बादल तूफ़ान बन गया शक्ति बनी फौलादी
मानो खप्पर लेकर रण में लड़ती हो आजादी

उधर वीरवर गोरा का धड़ अरिदल काट रहा था
और इधर बादल लाशों से भूतल पाट रहा था
आगे पीछे दाएँ बाएँ जम कर लड़ी लड़ाई
उस दिन समर भूमि में लाखों बादल पड़े दिखाई

मगर हुआ परिणाम वही की जो होना था
उनको तो कण कण अरियों के शौन से धोना था
मेवाड़ी सीमा में राणा सकुशल पहुच गए थे
गारो बादल तिल तिल कर रण में खेत रहे थे

एक एक कर मिटे सभी मेवाड़ी वीर सिपाही
रत्न सिंह पर लेकिन रंचक आँच न आने पायी
गोरा बादल के शव पर भारत माता रोई थी
उसने अपनी दो प्यारी ज्वलंत मणियाँ खोयी थी

धन्य धरा मेवाड़ धन्य गोरा बादल बलिदानी
जिनके बल से रहा पद्मिनी का सतीत्व अभिमानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी

©Barshu Kumar
  veer gora badal #motivatation  Sircastic Saurabh Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Manish Thakur Sanju Slathia Priyanka Choudhary

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