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shivanshdixit4790
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Shivansh dixit

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Shivansh dixit

लोग इधर की बात  उधर करने मे माहिर बन गये,
अपने बनकर लोगो के चहेते 
से बन गये,
इधर की बाते उधर करने का सीलसीला ये जारी रहा,
एक दिन ऐसा भी आयेगा की ये तमाशा मुस्कराकर हम भी देखेगे।।

©Shivansh dixit
  #gandhijayanti ये तमाशा मुस्कराकर हम भी देखेगे

#gandhijayanti ये तमाशा मुस्कराकर हम भी देखेगे #कविता

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Shivansh dixit

जिन लम्हो मे तुम खामोशी चाहते हो,
वो पल मेरे साथ काट सकते हो।
जब भी कोई  तकलीफ हो या परेशानी,
तुम वो जज्बात मेरे साथ बांट सकते हो।
कभी गुस्से से मन भारी हो जाए तो,
तुम मुझे बेझिझक डाट सकते हो।
मेरा रिश्ता तुम पर कोई बोझ नही है,
अगर बोझ हो तो रिश्तेदारो ये डोर काट सकते हो।

©Shivansh dixit
  #talaash हम और तुम

#talaash हम और तुम #कविता

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Shivansh dixit

नमन हृदय की गहराइयो से,
कुर्बानी तुम्हारी व्यर्थ न जाए।
तुम आदर्श हमारी पाढी के,
डर है देश फिर बंट न जाए।।
.....................................................                                                 कर्ज उनका कभी चुका नही सकते,शामिल यादो मे नमन हृदय सेकरते।
भक्ति का साकार किया,
देशके लिए तत्पर रहे सदा।
बलिदान देह का किया,
राज गुरु कहलाते थे।
देश मे सभी के दिलो मे राज करते थे,
क्रांति की ज्वाला दिल  मे जलती निरंतर देश हित कर्मरत रहते थे।।
.....................................................                                            सुखदेव नाम पाया जिसने,
सुख माना देश की सेवा को।
देवो ने सलाम  किया होगा,
जब गया स्वर्ग रहने को

©Shivansh dixit
  #paani देश
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Shivansh dixit

करके विधिवाद न खेद करो, निज लक्ष्य निरंतर भेद करो।                                             बनता बस उद्यम ही विधि है समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को, नर हो न निराश करो मन को।स्वरचित कविता

©Shivansh dixit
  #TiTLi लक्ष्य

#TiTLi लक्ष्य #कविता

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Shivansh dixit

लहरपुर मे रहकर भी हमने गांव से रिश्ता जोडा है,  अनजान रहे हम लोगो से उनसे ही हमने सीख लिया। लोगो से जो प्रेम मिला उसका हमने सम्मान  किया, जनसेवा कल्याण के खातिर कन्हैयालाल ने मंदिर का निर्माण किया।कुछ झण बीते हम भी लोगो के प्यार भरे रिश्ते को भूल गए, भूल के कारण लोगो ने हमको सरलता से भूला दीया। फिर से हम रिश्ता जोडेगे गांव मे प्यार बटोरेगे। गांव से मिलकर हम फिर  से प्रधान कहायेगे, हम गांव का नाम बढायेगे हम फिर से नाम कमायेगे।                              स्वरचित कविता

©Shivansh dixit
  गांव पर मेरा आत्मविश्वास

गांव पर मेरा आत्मविश्वास #कविता


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