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sudhaupadhyay5067
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Sudha Upadhyay

सूखा हुआ समंदर हूँ मैं गया हुआ वक्त नहीं रवानी पर इक रोज लौटूँगी जरुर।

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Sudha Upadhyay

किस किस का गिला करे,
कभी ये मिला, कभी वो ना मिला,
टुकड़ों मे जोड़कर जिंदगी के हर 
सिरे को रच कर सिला.

हर आज में कल को बुनते रहे,
बस ऐसे ही उम्र को खर्च करते रहे,
अंजाम ये कि ना आज ही जी सके,
और ना ही कल को पा सके.

हसरतों ने रुकने दिया ना कभी,
जरूरतों ने न थकने दिया ना कभी,
हौसलों की उड़ान भी बोझ लगती है,
चलो अब कोई और खुदा ढुँढा जाये.

©Sudha Upadhyay
  जीवन

जीवन #कविता

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Sudha Upadhyay

हर सिम्त मैं बिखर गयी
तो कभी खिल के सँवर गयी,
बस इक निगाह का ये असर है।
जो मुड़ गयी तो बिखर गयी,
जो पड़ गयी तो सँवर गयी।
तू जो मुझको न चाहे तो 
ये तेरे शौक की बात है,
पर मेरे तो जिंदगी का सवाल है।
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Sudha Upadhyay

गमे दौर की मुसाफ़िरी में 
उलझा हुआ हूँ अपनी ही 
तनहाईयों में 
तू भी भला कब तक 
अपनी तनहाईयों से लड़ता 
मेरे खातिर।
इक ख्वाहिशों का ज्वार है 
कि जिसको अभी तक 
करार नहीं 
और इधर उम्र पल पल
भाटा सा घटता जा रहा।
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Sudha Upadhyay

मेरे नजरों के सामने तो नित नये उजाले हैं, तेरी जलवों के 
जा कभी मेरे दिल में उतर कर अँधेरों का जलवा भी देख आ। 

मैं तुझसे मिलूँ ना मिलूँ इसकी खबर नहीं मुझको 
पर तू जा कभी मेरे दिल में उतर कर खुद से मिल आ।
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Sudha Upadhyay

इक चेहरे पे कई चेहरे लगाये बैठे हैं लोग 
रहने दो अभी कुछ और भरम के अपने हैं, ये लोग।
 
ऊँगलियाँ पकड़कर राह चलना सिखाया था जिन्हें 
वही आज ऊँगली दिखा रहे हैं मेरे घर के दरवाजे का हमें। 

माफी के तलबगार हैं वो हमसे ,
जिनकी हर खताओं को माफ किया है, हंसकर दुआओं से हमने।

जिनकी जिंदगी को मुकम्मल करने के वास्ते ,
कई बार गुजरे गुनाहों के रास्ते भी, 
वही आज मेरे गुनाहों के मुंसिफ बनते हैं।

अपने हिस्से का सूरज भी जिनके झोली में भर दिया,
वही आज हवा दे रहे हैं बुझाने को मेरा दिया।
 
कल हम रहे न रहे, घर का एक कोना,
भरा रहेगा सदा तेरी पासबाँ के लिए,
फिर चाहे तेरी हाफ़िजा(याद) में रहूँ ना रहूँ।

जा तेरी जिंदगी भरी रहे चाँद सितारों से,
कामयाबी का आफताब न ढले कभी, 
मैं जो अँधेरों में भटक रहा हूँ तो क्या,
तेरी ये सौगात भी अज़ीज़ है मुझे तेरी ही तरह। वृद्धाश्रम की ओर कदम बढ़ाते माता-पिता के हृदय की व्यथा

वृद्धाश्रम की ओर कदम बढ़ाते माता-पिता के हृदय की व्यथा #कविता

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Sudha Upadhyay

वक्त अपनी पूरी रवानी पर है 
और मुकद्दर भी कसौटी पर खड़ा है।
देखें दुआएँ किधर का रुख मोड़ती है। 
इस तरफ मैंने भी दीप उम्मीदो
के जला रखे हैं।
आँधियों को कह दो की वो
 बेसहारा न आए। दुआ

दुआ

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Sudha Upadhyay

मन का अँधेरा ये तब ही छँटेगा  जब तेरी मुस्कराहटों  का आफताब  फिर से खिलेगा। 
अभी फैसला करना ये बाकी है कि मैं खुशी मनाऊँ या के गम, 
इक मैं ही नहीं तेरी दोस्ती का तलबगार, कई और भी हैं मुंतजिर तेरी वस्ल के।
तेरा इक  (हाँ)  मेरे तकदीर का चांद और सितारा दोनों भी लिए बैठा है।
मेरे जिंदगी मेंं जो आ जाते तो हर दिन मेरी दिवाली हो जाती। दीवाली

दीवाली

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Sudha Upadhyay

धरा का ग्यान चक्षु है बनारस
देवों की दिव्य भूमि है बनारस, 
भक्ति का सार है, ये सारनाथ बनारस।
मृत्यु में अर्मत्यता का सत्य खोजता बनारस, 
महानिर्वाण के धाम का पथ
 खोलता ये बनारस।

तपस्वीयों की तपस्थली, 
देवताओं की देव-स्थली,
पतितों को पावन करती पुण्यस्थली, 
शाप विमोचिनी, पाप तिरोहिनी, 
शिव जटा प्रवाहिनी, माँ पुण्य सलिला सुरसरि ,
काशी वास निवासिनी। 

 बम-बम भोले, हर-हर भोले, 
जय उद्घघोषिनी, 
तन-मन भक्ति तरंगिणी, 
कण-कण हर चेतन, शिव भक्ति संचारिणी,
रज-रज में, हर दिक् में,
चिता-भसम उधेड़ते शीतल बयार।
मंद-मंद ध्वनि घंटनाद संग लिए बहते पवन,
भक्ति रस में डोलते, जा लिपटते
शिव जटा से।

हृदय के द्वार खोलता, निज तन के घट में,
विराजित शिवतत्व को जगाता,
मन को काशी धाम बनाता यह बनारस।

संपूर्ण सृष्टि की चेतना में,
शिव भक्ति का आवाहन करता,
यह विश्व धाम बनारस।

शव से शिव का मिलन कराता, 
चेतनता में अलख का बोध जगाता।
धन्य -धन्य है यह काशी बनारस। बनारस

बनारस

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Sudha Upadhyay

हर रंग तन पर खिल रहा,
हर रूप मन में बस रहा, 
ये आईना, आज मै किसकी
नजर से देख रही हूँ। 

हर शब्द मन को छू रहे, 
हर भाव दिल में घुल रहे,
ये आईना, आज मैं किसकी
नजर से देख रही हूँ। 

ना कोई वादा है, 
ना किसी का इंतजार ही,
फिर क्यों खुशी से झूमता ये
 जीवन है,
ना जाने किस भरम पर घूमती हूँ। 
ये आईना, आज मैं किसकी 
नजर से देख रही हूँ। किसकी नजर से देख रही हूँ।

किसकी नजर से देख रही हूँ। #कविता

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Sudha Upadhyay

स्वच्छ भारत जब स्वच्छ तन तो होगा स्वच्छ मन भी, 
तो क्योंकर न होगा स्वच्छ आचरण भी।
मन होगा भरा अनुराग देश के प्रति,
तो क्योंकर न होगा सर्मपण भी।
जब हित जन का, संकल्प सर्व का, 
तो क्यों इस गंद का वरण कर,
हानि करें  निज देश के अभिमान का।
हँसती धरा हो, मुस्कुराता गगन हो, स्वच्छता के अभियान से प्रेरित अखिल विश्व हो। #SwacchBharat
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