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devrishidevta6297
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Dev Rishi

वो शख्स मेरा है ये हक़ जताता रहता हूं पर उसकी लिबास ए लफ्ज़... मैं नहीं " ✍️

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Dev Rishi

White तनहा युग की बातें नहीं होती है 
संवेदना भरी संसार होती है..!

©Dev Rishi #Couple
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Dev Rishi

रातें.... 
 अपना धर्म खो देता है 
जगी हुई आशिकों के
 संवाद के अंदर 
और....
बचीं हुई नींदों को थाम कर,
 उसी सनसनाहट में 
खुद को देखता हूं 
रोने के दो आंसू पकड़े 
संघर्ष के माटी में लगाता हूं ...!
तब भी.... 
कुछ रह जाता है
 कल के आंखों में...
 आज के लिए..
उत्कर्ष की रातों के लिए......!

और कानों को 
कहते हुए सुनता हूं कि...
संघर्ष की मज़हब... 
एक उन्मादी रंगें ली हुई है...!

बाद के , बचें हुए 
रातों में  .. 
ये खोजना अभी तक  
रह ही गया है..
कि , करना क्या है..
इस जीवन में...
सपनों की माटी 
लगीं हुई इस शरीर में...!

एक ज्योत जगी हुई है 
खुद के आंतरिक मन में 
वह बोल रहा है...
 सच ये है कि.. संघर्ष करों 
 उठाओ कलम...  
तब तक नहीं रखों
जब तक..  कि.....
कोई ओहदा  न ले लो...!

©Dev Rishi #Music
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Dev Rishi

White मेरी नारी,  राधा रानी.....
ऐसा ही है क्या........?
बताओं बताओं .... तुम..
ओ ... भारतीय नारी.......


तुम ग़रीब हो,  तुम लाचार हो...
या फिर तुम , बंद एक कीवार हो...
तू आबरू,  तू इज्ज़त ,  तू संस्कार हो
या फिर तुम, एक खुली हुई बाज़ार हो...


तुम लेखनी में मरी हुई, अधिकारों के अंदर फंसी पड़ी 
पैमाने तेरे ख़ाक कुछ भी नहीं,  क्या यही है दशा तेरी
मेरा नारी , क्या राधा रानी..?
हर युवा की यही है, क्या सपना रानी ....


वक्त पर एक पेज़ है,  उसमें भी तू दिखी नहीं
समय एक खेल है, उस खेल का हिस्सा तू नहीं
पर , इंस्टा पर तू  आप  है , यही है हकीकत तेरी ..?
इसके आगे तुम , सबकुछ झूठ लिखों 
और दें दो प्रणाम  अपनी......

एक ताज़ी ताज़ी यौवन अपनी
लिखों पढ़ो, बदलों  ये आदत अपनी ।

 तुम त्याग हो, समर्पण हो,दया हो, करूणा हो
ममता हो, पृथ्वी हो , जगत जननी तुम मां  हो
शास्त्र रचेता तुम, सृष्टि रचेता भी तुम हो
मुहब्बत के गलियारों में , मेरी राधा रानी भी तुम हो...


समाज का केंद्र बिंदु  तुम.. , साहित्य का शेरों शायरी तुम
कविता की मिठास तुम, गीत संगीत की रागिनी भी तुम
राखी का रक्षाबंधन भी तुम,बाप-भाई-पति की शान भी तुम
ये उद्गार, ये चेतना, शब्दों की अभिव्यक्ति भी तुम...


दुनिया फतह करने वाली फ़ाइट जेट की पायलें भी तुम 
 क़लम की महादेवी, सशक्त भारतीय की  मनु भाकर भी तुम...!! 
ऐसी होती है हमारी भारतीय नारी...  
जीती रहो,  जीतती रहो ओ भारतीय नारी..!!

©Dev Rishi #GoodMorning
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Dev Rishi

White तय होती आंखें .. 
उस दिशा में जा रही है.. जहां विरक्तों की महफ़िलें जमती है..!!

©Dev Rishi #Sad_Status
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Dev Rishi

White सच था कि... 
रो रही आंखें   सच पर बैठीं हुई थी।

©Dev Rishi #Sad_Status
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Dev Rishi

रातें....
 अपना धर्म खो देता है 
जगी हुई आशिकों के 
संवाद के शब्द खोकर 
बचीं हुई नींदों को थाम कर,
और....
उसी सनसनाहट में 
खुद को देखता है 
रोने के दो आंसू पकड़े 
संघर्ष के माटी में लगाता हूं 
तब भी....
बचा कुछ 
रह जाता है 
कल के आंखों में... 
आज के लिए...
उत्कर्ष की रातों के लिए......!!

©Dev Rishi #Music
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Dev Rishi

White दिन की चिट्ठियों पर...
 रात का पता है,
बातें आम सी...
जज़्बात हंसी मज़ाक है,
उसे पूछना था 
 कि....तुम्हें मैं याद हूं ,
ये कारवां जो है 
रात को बनता है 
सूखी आंसू संग 
टुटकर बिखर भी जाता है,

©Dev Rishi #sad_quotes
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Dev Rishi

White बहुत सी चीजें.. चांद के उस पार है.. 
______तुम उस पार की सैर करना..! 💯💯





जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई नाखुन परी..!

©Dev Rishi #love_shayari
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Dev Rishi

White कुछ कर गुजरते तो.. भूमि खिल उठती 
नयक के आक कर बहक उठतीं 
तरू के बाहें बैठ.. नयक धर लेती 
नयनों की संगति का आवरण कुछ कह उठती..

©Dev Rishi #Thinking
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Dev Rishi

White लुटा जाएं 
मेरे अंदर जो बचा है, 
मवाद के 
दस्तर पर 
फेंक दिया जाएं 
मैं कोंपलों के 
छाले में रहने  
वाला हूं 
मुझे वही फिर से
छोड़ा जाए...

©Dev Rishi #Thinking
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