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vinayshrivastava1736
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Vinay Shrivastava

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Vinay Shrivastava

कुछ बात दिल की कह सकूं
उपहास जग का सह सकूं
सुख—दुख में सम रह सकूं, इतना मुझे अधिकार दो,
मुझको न सुख—संसार दो।
मैं नित नई पालूं व्यथा
मेरी निराली हो कथा
जिसका न आदि न अंत हो, वह प्रेम—पारावार दो
मुझको न सुख—संसार दो।
साहस हृदय में दो अमर
चूमूं तरंगों के अधर
नौका भंवर में डालकर, चाहे न फिर पतवार दो,
मुझको न सुख—संसार दो।
कुछ बात दिल की कह सकूं
उपहास जग का सह सकूं
सुख—दुख में सम रह सकूं, इतना मुझे अधिकार दो,
मुझको न सुख—संसार दो।

©Vinay Shrivastava
  #Distant

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Vinay Shrivastava

एक धुंध छाई हुई है हर जगह,
जो जैसा है, वैसा दिखाई नही देता,
जो है वो आसमां में छुपा कहीं होता,
धुंध बाहर की शायद चली जाएगी,
धुंध भीतर की कहो कैसे जाएगी,
नकली चेहरे घूमते रहते हैं शहर में,
आसमां की दुनियां से बेखबर रहते
अपनी कहानी में बादशाह हैं हुजूर,
आसमां की कहानी के प्यादे भी नहीं,
जो जानते हैं धुंध में छुपी आसमां की दुनियां को,
वो कहते हैं सदा एक ही बात कि,
अंधेरों को मिटाने चिराग जलाने पड़ते हैं,
धुंध को मिटाने सूरज उगाने पड़ते हैं ।।

©Vinay Shrivastava
  #sadak

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Vinay Shrivastava

Festival of lights  स्वस्थ हो तन, शांत हो मन,
पुलकित हो सबकी आत्मा,
दिल में हो केवल प्रार्थना,
करुणा के घी में प्रेम की बाती बनाकर,
मुस्कुराहट का दीपक जलायें ।
आज सबको खुशी दें, हंसाये ।  
कल के सभी गम भुलाकर,
आज के उत्सव को दिल से मनायें ।
आओ हम मिलकर दिवाली मनायें ।।
आओ हम मिलकर दिवाली मनायें ।।

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

 विनय श्रीवास्तव

©Vinay Shrivastava
  #Diwali

Diwali

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Vinay Shrivastava

आइए मानस मंथन करें,
एक नई सुबह का आगाज करें,
चले मनन का क्रम अंतर में,
लहरें उठे हृदय सागर में,
अपने ही मनो विकारों से संघर्ष करें,
आइये मानस मंथन करें ।
एक नई सुबह का आगाज करें।।

निज बुराई को बाहर करके,
शुद्ध विचार जगा कर उर के,
रत्न निकालें सद्गुण वाले,
जिनकी चमक से विश्व नहा ले,
आलस को त्यागकर जीवन पद्धति में परिवर्तन करें,
आइये मानस मंथन करें ।
 एक नई सुबह का आगाज करें।।

चांद की शीतलता अपनाएं,
श्रम की लक्ष्मी को ले आएं,
दया, क्षमा, ममता और सेवा,
वितरित करें प्यार का मेवा,
दिव्य गुणों से मानवता का शुभ अभिनंदन करें,
आइये मानस मंथन करें ।
एक नई सुबह का आगाज करें।।

संवेदनाओं का जल बन जायें,
सबको ही यह अमृत पिलाएं,
मानव रहे देवता बनकर,
स्वर्ग उतर आए धरती पर,
निज अमृत से अपना ही जलाभिषेक करें,
आइये मानस मंथन करें ।
एक नई सुबह का आगाज करें।।

©Vinay Shrivastava #desert
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Vinay Shrivastava

ख़ुशी का पता ढूढ़ते वो ताउम्र भटकते रहे,
दौलतों, शोहरतोँ, ऐशो आराम के,
 शहरों में उसे खोजते रहे,
नाउम्मीदी में ज़िन्दगी से खीझते रहे,
 मुद्दतों बाद ख़ुशी ने तरस खाकर,
 उन्हें एक खत भेजा,
बड़ी उम्मीदों से उन्होंने वो ख़त खोला,
उसमें निकली सर्दी की धूप,
पलाश का फ़ूल,
बारिश की एक बूंद ।।

©Vinay Shrivastava #Happiness
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Vinay Shrivastava

बुद्ध भगवान,
अमीरों के ड्राइंगरूम,
रईसों के मकान
तुम्हारे चित्र, तुम्हारी मूर्ति से शोभायमान।
पर वे हैं तुम्हारे दर्शन से अनभिज्ञ,
तुम्हारे विचारों से अनजान,
सपने में भी उन्हें इसका नहीं आता ध्यान।
शेर की खाल, हिरन की सींग,
कला-कारीगरी के नमूनों के साथ
तुम भी हो आसीन,
लोगों की सौंदर्य-प्रियता को
देते हुए तसकीन,
इसीलिए तुमने एक की थी
आसमान-ज़मीन?

©Vinay Shrivastava #God
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Vinay Shrivastava

मेरे सपनों से संकल्प निकलेंगे,
मेरे क़दमों से ही पंख निकलेंगे,
अँधेरो को चीरकर रोशनी मैं पाउँगा,
बादलों के पार मैं उड़ जाऊंगा,
बनके सूरज आसमां में छाऊंगा ।।

©Vinay Shrivastava #Dreams
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Vinay Shrivastava

राहें खूबसूरत हैं मंजिलों से,
राहें जो सदा चलना सिखातीं,
रोज़ कुछ नया हममें ज़गातीं,
 मंजिलें तो बस अहंकार को बढ़ाती,
रोककर हमें वहां मुर्दा बनातीं ।।

©Vinay Shrivastava #Destination
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Vinay Shrivastava

इस नश्वर जीवन में कुछ तो अमर होगा,
भागदौड़ में आराम कहीं होगा, 
विचारों के शोर में,
शांति का संगीत भी कहीं होगा,
लहरों के भीतर सागर स्थिर भी होगा ।।

संघर्षों के पार जीवन सरल भी होगा,
पतझड़ आया तो बसन्त भी होगा,
जेठ अगर तपा है तो सावन भी होगा,
लहरों के भीतर सागर स्थिर भी होगा ।।

कांटा अगर मिला है तो फूल भी होगा,
दुख की रातों के बाद सुख का सबेरा होगा,
नफरत अगर कहीं है तो प्यार भी होगा,
लहरों के भीतर सागर स्थिर भी होगा ।।

©Vinay Shrivastava #dost
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Vinay Shrivastava

भीगी पलकों से मत देखो
दर्पन झूठा कह लायेगा।

अपना अन्तर्मन तुम झाँको
कमी नजर आ जायेगी !
तुम यदि इसको दूर करो तो
मस्ती सी छा जायेगी ! 
वर्षो से जो जमा है दिल मे
पलक झपकते बह जायेगा।

अनजाने की गलती अक्सर
कहाँ दिखाई पड़ती है !
अपनी कमी छिपा कर दुनिया
सबसे खूब अकड़ती है !
अहंकार यह शीश महल सा
पल में इक दिन ढह जायेगा।

करो तमन्ना फूलों की तो
शूलों की सौगात मिले!
तपिस चाहिए यदि सांसो की
उमस भरी फिर रात मिले !
किन्तु रहो ईमान सहेजे
यही जगत में रह जायेगा

©Vinay Shrivastava #FindingOneself
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