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shankarkumar1489
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Shankar kumar

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Shankar kumar

किसी के दूर जाने से
ताल्लुक टूट जाने से
किसी के मान जाने से
किसी के रूठ जाने से
मुझे अब डर नहीं लगता

 किसी को आज़माने से
किसी के आज़माने से
किसी को याद रखने से
किसी को भूल जाने से
मुझे अब डर नहीं लगता

 किसी को छोड़ देने से
किसी के छोड़ जाने से
ना शम्मा को जलाने से
ना शम्मा को बुझाने से
मुझे अब डर नहीं लगता

©Shankar kumar #safar #Life #thought  #Expectations #poem #Poetry
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Shankar kumar

जब जब तुम्हारा हौसला आसमान में जायेगा।
जब जब तुम्हारा हौसला आसमान में जायेगा॥

सावधान!

तब तब तुम्हारे पंख काटने कोई जरूर आएगा॥

©Shankar kumar #motivatedthoughts #story #poem #Poetry #motivate
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Shankar kumar

तुझे सोचूँ फिर एक बात लिखूं 
ज़ज्बात लिखूं या हालात लिखूं ,
तेरे इश्क़ को अपने साथ लिखूं 
या मेरे हाथों में तेरी हाथ लिखूं,
तुझे देखूं फिर तेरी याद लिखूं
 तारीफ लिखूं या फ़रियाद लिखूं,
साथ तेरे खुद को आबाद लिखूं 
या तन्हाई के चलते बर्बाद लिखूं,
तुझे दिन या खुद को रात लिखूं 
बता आज तू ही कौन सी बात लिखूं

©Shankar kumar #One_sided_love 

#welove
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Shankar kumar

आप भला या बुरा कहाँ कुछ करते हो

हालात है की अब मुझसे कुछ कहा नहीं जाता
मगर आप दिल के किसी कोने में अब भी रहते हो

ग़ज़ब है की आप फिजूल समझते हो निगाहबानियाँ मेरी
वो महज इसलिए की तुम मेरे जिगर में रहते हो

सिर्फ आपके होने से ही फिज़ाओं में रौनक बनी रहती है
भगवान का शुक्र है की आप मेरे शहर में आये थे

मैं इतना हैरान नहीं हूँ की हवाएँ नमी लेकर आयीं है
मुझे पता है आप ठंडक सी इनमें हर वक्त हर पहर में रहते हो

हद है की इतना कुछ हो कर भी आपको कुछ नहीं है मालूम
इतना काफ़ी है हर वक्त मैं आपके खोज-ओ-खबर में रहता हूं 

सिर्फ आपके होने से ही फिज़ाओ में रौनक बनी रहती है
 भगवान का शुक्र है आप मेरे शहर में आये थे

मंज़िलें आसान नहीं होती आसान नहीं होता मुकद्दर पा जाना
जुनून है की बन के आग आप सीने में अब भी रहते हो

ना जाने कब का ही मैंने मान लिया है अपना दिल 

सिर्फ आपके होने से ही फिज़ाओ में रौनक बनी रहती है
भगवान का शुक्र है की आप मेरे शहर में आये थे

©Shankar kumar #loveproposal
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Shankar kumar

आप भला या बुरा कहाँ कुछ करते हो

हालात है की अब मुझसे कुछ कहा नहीं जाता
मगर आप दिल के किसी कोने में अब भी रहते हो

ग़ज़ब है की तुम फिजूल समझते हो निगहबानियाँ मेरी
वो महज इसलिए की तुम मेरे जिगर में रहते हो

सिर्फ तुम्हारे होने से ही फिज़ाओं में रौनक बनी रहती है
भगवान का शुक्र है की आप मेरे शहर में आये हो

मैं इतना हैरान नहीं हूँ की हवाएँ नमी लेकर आयीं है
मुझे पता है आप ठंडक सी इनमें हर वक्त हर पहर में रहते हो

हद है की इतना कुछ हो कर भी आपको कुछ नहीं है मालूम
इतना काफ़ी है हर वक्त मैं आपके खोज-ओ-खबर में रहता हूं 

सिर्फ तुम्हारे होने से ही फिज़ाओ में रौनक बनी रहती है
भगवान का शुक्र है आप मेरे शहर में आये हो

मंज़िलें आसान नहीं होती आसान नहीं होता मुकद्दर पा जाना
जुनून है की बन के आग आप सीने में अब भी रहते हो

ना जाने कब का ही मैंने मान लिया है अपना दिल 

सिर्फ आपके होने से ही फिज़ाओ में रौनक बनी रहती है
भगवान का शुक्र है की आप मेरे शहर में आये हो

©Shankar kumar #poem #love❤ #stoties #onesidelove
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Shankar kumar

Alone  "बेशक अब तुम्हारा नया ठिकाना होगा, मेरा किरदार खत्म हुआ मुझे जाना होगा।

ख्यालों के पत्ते गिर रहे हैं शाखों से अब, हरा भरा इस पेड़ को मुरझाना होगा ।

कुछ मीठी बात लीये आयेगा बसन्त, मुझे उसके रंगों में रंग जाना होगा

घुटन में प्यास लीये बीत रहा साल हूं मैं, मुझको भी अब रिवाज से बदल जाना होगा।

मेरा किरदार खत्म हुआ मुझे जाना होगा

©Shankar kumar #alone # mission

#alone # mission

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Shankar kumar

एक और कहानी लिखना है, तुम पे मर के फिर जीना है,

तुम आँखों की बरसात बनो, इन लबों पे ठहरी मुस्कान बनो,

शाम तुम्हारी चाहत हो, सुबह सुकून -ए-राहत हो

तुम हर पल की ख्वाहिश बनना, लाजों में मोती सा ढलना,

चाहे नाजरों का धोका बन जाओ, तुम मेरी  हो बस इतना कह जाओ,

हर एहसास तुम्हारा नाम लिखेगा, ये दिल तुमको ही प्यार कहेगा...!

©Shankar kumar #love

#reading एक और कहानी लिखना है, तुम पे मर के फिर जीना है,

तुम आँखों की बरसात बनो, इन लबों पे ठहरी मुस्कान बनो,

शाम तुम्हारी चाहत हो, सुबह सुकून -ए-राहत हो

#Love #reading एक और कहानी लिखना है, तुम पे मर के फिर जीना है, तुम आँखों की बरसात बनो, इन लबों पे ठहरी मुस्कान बनो, शाम तुम्हारी चाहत हो, सुबह सुकून -ए-राहत हो

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Shankar kumar

क़ातिल को मेरे ख़याल ए रहम आया है वो दफ़नाने मुझे मेरे शहर लाया है

है ख़बर उसे कि रोशनी है परहेज़ मुझे तोहफ़े में मेरे लिए एक दोपहर लाया है

मांगा था उस्से इस ज़िन्दगी का इलाज मैंने वो मेरे लिए सबसे कड़वा ज़हर लाया है

सुना है होते है फ़ैसले रोज़ ए कयामत पे देखिए वो आज कैसा कहर लाया है

एक तसल्ली ही तो मांगी उससे 'ख़्वाब' हमने मेरी बांसुरी ग़ज़लों को वो बहर लाया है क़ातिल को मेरे ख़याल ए रहम आया है वो दफ़नाने मुझे मेरे शहर लाया है

है ख़बर उसे कि रोशनी है परहेज़ मुझे तोहफ़े में मेरे लिए एक दोपहर लाया है

मांगा था उस्से इस ज़िन्दगी का इलाज मैंने वो मेरे लिए सबसे कड़वा ज़हर लाया है

सुना है होते है फ़ैसले रोज़ ए कयामत पे देखिए वो आज कैसा कहर लाया है

क़ातिल को मेरे ख़याल ए रहम आया है वो दफ़नाने मुझे मेरे शहर लाया है है ख़बर उसे कि रोशनी है परहेज़ मुझे तोहफ़े में मेरे लिए एक दोपहर लाया है मांगा था उस्से इस ज़िन्दगी का इलाज मैंने वो मेरे लिए सबसे कड़वा ज़हर लाया है सुना है होते है फ़ैसले रोज़ ए कयामत पे देखिए वो आज कैसा कहर लाया है #Pain

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Shankar kumar

समंदर भी कहाँ यूंही खारा हुआ होगा कोई बात रही होगी खुदा रोया होगा

सुना है कल बह गए कुछ गाँव सुनामी में शिद्दत से उसने अपना दामन धोया होगा

कोई वजह रही होगी जो हुए रेगिस्तान उसने तो वहाँ भी गुलिस्ताँ ही बोया होगा

कहीं बेशकल कहीं लाखों चेहरे हैं उसके दफत्तन उसने अपनी पहचान को खोया होगा

पत्थर है सीने में उसके धड़कन नहीं मिलती जाने क्या दर्द उसने नब्ज़ मे पिरोया होगा

अब रखता है वो सब हिसाब नमाजों के यकीनन उसने भी पाके किसी को खोया होगा #Isolated समंदर भी कहाँ यूंही खारा हुआ होगा कोई बात रही होगी खुदा रोया होगा

सुना है कल बह गए कुछ गाँव सुनामी में शिद्दत से उसने अपना दामन धोया होगा

कोई वजह रही होगी जो हुए रेगिस्तान उसने तो वहाँ भी गुलिस्ताँ ही बोया होगा

कहीं बेशकल कहीं लाखों चेहरे हैं उसके दफत्तन उसने अपनी पहचान को खोया होगा

#Isolated समंदर भी कहाँ यूंही खारा हुआ होगा कोई बात रही होगी खुदा रोया होगा सुना है कल बह गए कुछ गाँव सुनामी में शिद्दत से उसने अपना दामन धोया होगा कोई वजह रही होगी जो हुए रेगिस्तान उसने तो वहाँ भी गुलिस्ताँ ही बोया होगा कहीं बेशकल कहीं लाखों चेहरे हैं उसके दफत्तन उसने अपनी पहचान को खोया होगा #poem

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Shankar kumar

मैं कौन हूँ , क्या हूँ ,  मुझे हुआ क्या ??? 
 मैं कैसे कहूँ ,    मैं बर्बाद हूँ ,   पर आबाद हूँ  , 
 मैं हारा हूँ ,   पर किसी का सहारा हूँ , 
मैं अधूरा सा और वह शख्स मुझ में  पुरा हैं, 
मैं ढलता शाम सा ,  वह  सवेरा हैं  , 
मैं भटकता मुसाफिर,   वो राहते मंजिल हैं, 
मैं हूँ  गर दर्द  तो वो मेरा दावा हैं , 
कि मैं हूँ इबादत तो वो मेरा खुदा हैं| #faraway#poem#poetry
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