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gyanendramishra7748
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Gyanendra Mishra

meet me later

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Gyanendra Mishra

युगों  युगों  के  हम  प्यासे कैसे  अपनी  प्यास बुझाएं।

सरिता तिलमिल उलझ गई है
धाराओं  ने  ऐसे  प्रश्न  उछाले ।
हम संकोचों में ठहरे है  कबसे,
बाधाओं का हल कौन निकाले।

फिर  वीराने  बैठे  हैं देखो  गंगाजल  की  आश लगाए।

शांति  द्वार  पर खड़ा हुआ  है
हाहाकारों का  उठता प्रवलन।
सीतलता परोश रही है पावक
ज्वलन उड़ेल रहा  है ये चंदन।

भाव  विलोमित  होकर  ही  रस्ता  कोई कास दिखाए।

दृष्टियों  में  हमने  रक्खे  जबसे
कुछ कोमल कुछ सपन सुहाने।
हर रोज  खड़े  हो  जाते  अपने
प्रिय ही बैरी बनकर सीना ताने।

पांडव  बनकर भेजे  जाते दुर्योधन  का वनवास उठाए।

हम  प्रवर्तक   है  अमरत्व  के
फिर भी हमें  मात का भय है।
फिर से अपने  मन  भावो का
सिया हरण होगा मानों तय है ।

फिर युग कि चौखट पर रावण बैठेगा अट्टहास लगाए।

युगों  युगों  के  हम प्यासे  कैसे  अपनी  प्यास बुझाएं।

ज्ञानेन्द्र मिश्र युगों युगों के हम प्यासे

युगों युगों के हम प्यासे

7 Love

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Gyanendra Mishra

वो खड़े थे आंसुओ के सागर लिए देहरी पर हमारी,
और हम दिलासा दे न पाए ।

टूटे तब सब अरमान उनके चंद किस्सों में,
और हम आशा दे न पाए ।
वो खड़े थे ......

पूछ रहे थे नयन तुम्हारे ,
कुछ अकेले कुछ सजल।
मन में था कुछ टूटा हुआ ,
व्यर्थ थे सब गीत गजल।

मौन खड़ी थीं उसकी सब पीड़ाएं अब तक 
और हम भाषा दे न पाए।

व्याध थे सारे अपरिचित,
कुछ विचलित, कुछ अलौकिक।
शांत थी वेदनाएं भावों की ,
दे रही थी संकेत मौखिक।

थे कठिन सब वक़्त वैभव सार के
 और हम सुभासा दे न पाए।

मौन प्रतिमाओं के सीर साधक
सब के सब उनके प्रतीक थे।
आज था जो ये वक़्त ऐसा 
एकांतता में सब भयभीत थे।

उठा कर उनके गिरते हौसले को हम 
और उपासा दे न पाए।

वो खड़े थे आंसुओं के सागर लिए देहरी पर हमारी,
और हम दिलासा दे न पाए।

 - - ज्ञानेन्द्र मिश्र और हम दिलासा दे न पाए।

और हम दिलासा दे न पाए।

6 Love

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Gyanendra Mishra

वो अरसे बाद मिला मुझे किसी महफ़िल में और चेहरा छुपाने लगा।

शायद खुद उससे ज्यादा उसे अभी याद हूं मैं।

- - ज्ञानेन्द्र मिश्र

5 Love

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Gyanendra Mishra

जिस दिन तुम्हारी नजर में मैं आ जाऊंगा।

बस उसी दिन अपनी नजर में तुम्हे पा जाऊंगा।

 - - ज्ञानेन्द्र मिश्र ##नजर##

#नजर##

6 Love

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Gyanendra Mishra

तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारा असर बाकी रह गया।

कहीं हमारे प्यार का वो अधूरा सा सफर बाकी रह गया।

हम दोनों ने कोशिश बहुत की एक दूजे को भुलाने की,

मगर इश्क़ था थोड़ा इधर तो थोड़ा उधर बाकी रह गया।

 - - ज्ञानेन्द्र मिश्र थोड़ा इधर तो थोड़ा उधर बाकी रह गया।

थोड़ा इधर तो थोड़ा उधर बाकी रह गया।

7 Love

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Gyanendra Mishra

बरसों से दफ्न है सीने में फिर भी जिंदा पाया गया।



तुम्हारे इश्क़ पर मुकर्रर एक ख्वाब फिर शर्मिंदा पाया गया।

 - - ज्ञानेन्द्र मिश्र

7 Love

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Gyanendra Mishra

 हकीकत

हकीकत #nojotophoto

6 Love

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Gyanendra Mishra

 मोहब्बत

मोहब्बत #nojotophoto

7 Love

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Gyanendra Mishra

हकीकत तो अलग निकली सिर्फ आइने रह गए।

हकीकत तो अलग निकली सिर्फ आइने रह गए।

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Gyanendra Mishra

दर्द आंसू तड़प चोट और जाम क्या क्या है..

दर्द आंसू तड़प चोट और जाम क्या क्या है..

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