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pradeepsharma3661
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Pradeep Sharma

Writer from hand,Engineer from thought,Love first letter of name P 💓

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Pradeep Sharma

वो लड़की!!!
अक्सर वो मुझसे बातें करते अपनी नज़रे मुझसे हटा लेती है,
शायद दिल की बात आंखो से ना पढ़ लूं इसलिए वो उन्हें घुमा लेती है।
उलझे हुए उसके बालों की वो लट कुछ ना कह डे इसलिए चुपके से वह उसे सवार लेती है।
हां है वो थोड़ी नासमझ बस यही मासूमियत उसे थोड़ा और निखार देती है।।

प्रदीप शर्मा वो लड़की!!!

वो लड़की!!!

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Pradeep Sharma

प्रकृति खुशी मना रही है, और इंसानों में मातम सा छाया हुआ है,घर अंदर ही रहो एक छोटा से कीटाणु भगवान का दूत और प्रकृति के लिए खुशियां लेकर आया है।।
कुछ कहे बिना सब कुछ कह गए मेरे वो प्यारे जानवर जिन्हें इंसानों ने कैद कर प्रकृति जैसे परिवार से दूर भगाया है,घर के अंदर रहो एक छोटा कीटाणु भगवान का दूत बनकर आया है।।
घर के अंदर रहकर कैसा लगता है यह सब उस छोटे कीटाणु ने बतलाया है और मेरे उन प्यारे जानवरों पर हुए अत्याचार का एक छोटा दृश्य दिखाया है घर के अंदर रहो एक छोटा कीटाणु भगवान का दूत बनकर आया।। #कोरोनावायरस
 Priyambada Singh
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Pradeep Sharma

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=114779179950884&id=101533174608818&sfnsn=scwspmo https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=114779179950884&id=101533174608818&sfnsn=scwspmo

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Pradeep Sharma

बेजुबान।
continued
शाम को भी वह मेरे घर के दरवाजे के पास है मिला।
मेरे घर के बाहर मैदान में संद्यकाल में बच्चे खेलने आते हैं,तो उत्सुकता के कारण मैने एक बच्चे से पूछ लिया कि यह गाय का बच्चा सुबह से यहां घूम रहा है और यहां से जा ही नहीं रहा।
तब उस लड़के ने मुझे बताया कि भैया सुबह कुछ लोग इन्हे यहां डंडों ओर लाठी से पीटते हुए लेे जा रहे थे (उस लड़के के अनुसार करीब २० गाय ),जिनमें से यह बिचढ़ कर इधर आ गई।
तब मुझे उस गाय के बच्चे की पीड़ा का एहसास हुआ कि वह क्यों रो रहा था, वह क्यों घबराया हुआ था।

यह बेजुबान जानवर अपना दर्द बयान नहीं के सकते ,कृपया इन्हे कष्ट ना दे,इन्हे भी अपने परिवार से दूर होने का दर्द होता है।

लेखक:-
प्रदीप शर्मा https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=106392037456265&id=101533174608818&sfnsn=scwspmo

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Pradeep Sharma

बेजुबान।

अभी मैं कुछ ही कदम चला था कि मेरी नजर घर की तरफ आ रहे एक गाय के बच्चे पर पड़ी।
बहुत ही डरा हुआ सा लग रहा था वो,सांसे भी उसकी फूली हुई थी जैसे किसी से भाग कर आ रहा हो या किसी की तलाश में दौड़ रहा हो।
मेरे मन में अचानक से विचार आया क्यों ना इसे पास से देखा जाय पर मैने अपने आप को रोका , क्युकी वो डरा हुआ था तो वो मेरे ऊपर हमला कर सकता था या मुझे चोट पहुंचा सकता था (वैसे गाय या उसका बच्चा काफी मधुर एवम् सीधे स्वभाव के होते हैं अनावश्यक किसी पर हमला नहीं करते)।
पर मैं क्या करता एकाएक मैने अपनी नजर घर के बाहरी दरवाजे की तरफ घुमाई झा से उसने प्रवेश किया था,परन्तु मुझे वहां पर भी कुछ दिखाई नहीं दिया।
मै वापस उस बच्चे की तरफ देखने लगा,ओर मन में फिर वही विचार ओर ख्याल आने लगा कि आखिर मे यह इतना डरा ओर सहमा क्यों है।
मैने हिम्मत करी ओर उसकी तरफ बढ़ चला और मैने देखा कि उसकी आंखो से मनुष्य की तरह आंसू बह रहे थे,मेरा मन एकाएक उसके लिए दया से भर आया और मैने अपनी मां को आवाज़ लगा दी।
मैने बोला मां गाय की रोटी दे दो (हमारे हिन्दू धर्म में पहली रोटी गाय के लिए निकालने का प्रावधान है).
मां ने कहा लेे जाओ ,ओर मैं अंदर जाकर उसके लिए दो रोटी लेे आया।
जब मैने वह रोटी उसके तरफ बढ़ाई तो वो मुझसे दूर हटकर भागने लगा,पर मैने किसी तरह उससे पुचकार कर अपने पास बुला लिया और उसे वह रोटी खिला दी और उसे कुछ पानी भी पिलाया।
उसे रोटी ओर पानी देने के बाद में घर के अंदर चला गया।
कुछ एक घंटे के बाद में अपने घर के दरवाजे पर दोबारा से आया तो मैने देखा कि वह गाय का बच्चा मेरे घर के दरवाजे के बाहर ही सो गया था।
शाम को भी वह मेरे घर के दरवाजे के पास है मिला।
मेरे घर के बाहर मैदान में संद्यकाल में बच्चे खेलने आते हैं,तो उत्सुकता के कारण मैने एक बच्चे से पूछ लिया कि यह गाय का बच्चा सुबह से यहां घूम रहा है और यहां से जा ही नहीं रहा।
तब उस लड़के ने मुझे बताया कि भैया सुबह कुछ लोग इन्हे यहां डंडों ओर लाठी से पीटते हुए लेे जा रहे थे (उस लड़के के अनुसार करीब २० गाय ),जिनमें से यह बिचढ़ कर इधर आ गई।
तब मुझे उस गाय के बच्चे की पीड़ा का एहसास हुआ कि वह क्यों रो रहा था, वह क्यों घबराया हुआ था।

यह बेजुबान जानवर अपना दर्द बयान नहीं के सकते ,कृपया इन्हे कष्ट ना दे,इन्हे भी अपने परिवार से दूर होने का दर्द होता है।

लेखक:-
प्रदीप शर्मा बेजुबान।

बेजुबान।

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Pradeep Sharma

अंधेरे से एक रोशनी चीरती हुई मेरी तरफ आयी,शायद वो किसी की आहट मेरे पास लाई।
जम गई एक ताजी सी याद मेरे दिल ओर दिमाग में,एक धुंधली सी तस्वीर मेरे सामने आई।
कभी बैठा करती थी वो मेरे सामने ,हस ते हुए,गुनगुनाते हुए,अपनी उंगलियों को चलाते हुए ऐसी कुछ उसकी हरकतें मेरे मन में अाई।
कभी सोचा था मैने उसे अपने गले लगाने के लिए पर वो अपने प्यार का इजहार ना कर पाई ना जाने ऐसी क्या मजबूरी उसके सामने आई।
वो रोशनी ऐसी एक तस्वीर मेरे सामने लाई। रोशनी।

रोशनी।

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Pradeep Sharma

आज उसकी याद फिर मेरे जहन और दिमाग में उतर आयी,उसकी एक तस्वीर मेरे दिल की गहराइयों से बाहर आयी और मुस्कान बिखेरते हुए इतराते हुए मेरे नज़दीक आयी।
और बोला,
यूं ना याद करो हमें इतनी सिद्दात से तुम्हारे लिए कुछ कर गुजर जाएंगे,मौत से क्या मौत के सौदागर से भी भिड़ जाएंगे। याद।

याद।

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Pradeep Sharma

हमनें मोहब्बत की और कुछ लोगों ने साजिश करी,
वक़्त ने यूं चेहरे पढ़ना सिखाया जब हमारा यहां से जाने का समय आया।
किसी से उम्मीद करना बेमानी लग रहा है वो फिर भी मुझे अपना सा लग रहा है,
शायद मेरा दिल मुझे फिर से प्यार में पड़ने के लिए बोल रहा है।
पर अब हिम्मत नहीं है इस दिल की किसी से प्यार करने की,
बस एक कोशिश है उसकी यादों में कहीं डूब जाने की।।।। दिल,प्यार और साजिश।

दिल,प्यार और साजिश।

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Pradeep Sharma

#OpenPoetry और अचानक एक आवाज़ आती है, सायद उसके पीछे से, 
लगता है जैसे कोई जानवर है सायद,
जिसे सायद उसी ने पाला था अपनी रक्षा के लिए, पर शायद अब वही भक्षक बन चुका है,
उसने उन मोतियों को अपने गालों से हटा कर जल्दी से अपने घर की तरफ रुख कर लिया है..
फिर वही डर है उसकी आँखों मे, वही शिकन फिर हावी हो गयी है उस मुस्कान पर जो कुछ पलों के लिए ही थी सायद..!!
.
सपना तोड़ने का जी नही करता है..लगता है जाऊं उसके पीछे और लगा लूं पता सारी सच्चाई का..पर कुछ राज़ राज़ ही रहें तो बेहतर होता है..
और अभी हक़ भी तो नही, कि बिन इज़ाज़त चले जाऊं उसकी जिंदगी में दख़ल देने को मैं..!!
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किसी रोज़ फ़िर देखूंगा यही ख़्वाब और ले आऊंगा उसे सारी परेशानियों से छुड़ा कर..
फिर रखूँगा उसे उम्र भर, अपने "आँगन की तुलसी" बनाकर..! Anjani ladki part-3

Anjani ladki part-3 #OpenPoetry

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Pradeep Sharma

#OpenPoetry मुस्कुरा रही है कहीं अकेले में बैठ कुछ पुरानी यादों को हृदय से निकाल कर,
वो लटें जो बार बार ना जाने क्यों उसके गालों पर आ जाती हैं,
और चिड़ते हुए हटाकर उन बेहूदा लटों को फिर गुम हो जाती है उन्ही यादों में,
और फिर हौले से वो मुस्कान उसके चेहरे पर,
सूरज की पहली किरण की तरह ही बिखरने लगती है धीरे धीरे..संवरने लगता है रूप उसका..!!
कुछ ओस की बूंदे हैं सायद जो उसके चेहरे पर किसी क़ीमती जेवर में लगे उस हीरे की तरह चमक रहा है..जो छोटा होता है यक़ीनन, पर जेवर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है..!! Anjani ladki part-2

Anjani ladki part-2 #OpenPoetry

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