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preetigupta2826
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Preeti Gupta

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Preeti Gupta

सोच रही थी, आपको सोचकर 
कुछ नया लिखूं
जो प्रसांगिक भी रहे 
हम जब विवाह में,वचन लेते सात 
फेरों के साथ 
कि सात जन्म तक 
रहेंगें साथ, तब रहता नहीं ज्ञात
कौन सा जन्म है
हम बस ये चाहते हैं
कि गर सात जन्म के बाद भी 
प्रसन्न हो मुझसे ईश्वर
तो भी रहें आप ही वर।

©Preeti Gupta #hugday
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Preeti Gupta

अब कहाँ तुम,
अब कहाँ हम
दोनों ही 
आप हो गए हैं।

©Preeti Gupta #Stars
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Preeti Gupta

यूँ तो सुन्दर स्मृतियों में 
सदा आते-जाते रहते हो
काश,सदा साथ ही रहते तो
झलक होती मेरी प्रतियों में।

प्रीती अमित गुप्ता #feather
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Preeti Gupta

यूँ दूर से ही 
बातें हो जाती है
दर्शन न सही 
मन गति ही
ज्ञात हो जाती है
कहाँ, कौन और कैसा
शब्दों के मानक से
अनुभूति हो जाती है
कोई आवरण नहीं
मित्रता के मध्य
प्रायः हृदय की
पवित्रता समझ
आ जाती है। #Life
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Preeti Gupta

मैं रेत पर रात को लिख रही थी


मैं रेत पर रात को 
लिख रही थी
कुछ बुझी सी 
कुछ थमी सी थी  
हाथ कांप से रहे थे 
दांत किटकिटा रहे थे 
ध्यान से लिखना 
चाह रही थी
कुछ सीखना 
चाह रही थी मैं
समुद्र किनारे ही थी 
मेरी यात्रा का  आरम्भ था
मैं पार करके किनारे 
नहीं आई थी
अभी पार 
करके जाना था 
तैरना नहीं आता था 
इसलिए मैं
किनारे बैठ कर
लिख रही थी।


प्रीती अमित गुप्ता #weather
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Preeti Gupta

'अधर' तो अधीर होते हैं 
हृदय जिनके सुदृढ़ होते हैं
'पीर' की 'पीर' को 
यहाँ कौन जान पाता है
कौन किसका होता है
कौन किसके लिए जीया है
हो कोई भी पीड़ा किसी को
पीड़ा को उसने ही सहा है
नीर नहीं पीर है उसकी
अंखियों से जो जल बहा है
वो कौन है? कैसा है?
ये विचार नहीं रहता है
प्रसन्नचित्त मुख ध्यान रहता है
कितना अच्छा है वो
सदा प्रसन्न रहता है
इतनी ही है सांसारिक समझ
संसार बस यही कहता है।। #weather
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Preeti Gupta

कितने वर्षों बाद 
मैं, तुमसे और
तुम मुझसे मिल थे
न तुम मुझे भूले थे
न मैं तुम्हें भूली थी
उस क्षण बस लगा
ये क्षण, कुछ क्षण 
और ठहर जाए बस
दृश्य नेत्रों में बस जाए
मैं तुम्हें निहारती रहूँ
तुम मुझे निहारते रहो।।


प्रीती अमित गुप्ता






ल #RaysOfHope
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Preeti Gupta

तुम मुझे प्रेम करते थे
मैं तुम्हें प्रेम करती थी
तुम मुझे सोचते रहते थे
मैं तुम्हें सोचती रहती थी
तुम मेरे हृदय में रहते थे
मैं तुम्हारे हृदय में रहती थी
तुम मेरे साथ रहते थे
मैं तुम्हारे साथ रहती थी
दूरियाँ, मजबूरियाँ न थी
अनुभूति ही पर्याप्त थी
तुम मुझे लिख लेते थे
मैं कलम चूम लेती थी
कोई तपस्या नहीं करी थी
तुम्हारी ही प्रतीक्षा रहती थी
जब तक दर्शन न होते
तब तक व्रत ही रहती थी
तुम मुझे प्रेम करते थे
मैं तुम्हें प्रेम करती थी।।

प्रीती अमित गुप्ता #Bestfriendsday
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Preeti Gupta

मेरे मन में नया राग आया है
प्रेम से प्रेम था,प्रेम ही भाया है
'जी' में आता है, प्रेम ही लिखूँ
कोई कुछ भी कहे,प्रेम ही कहूँ
मैं तो बस प्रेम की प्रेमिका हूँ
मिला ,जब से लिखती कविता हूँ। #Freedom
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Preeti Gupta

मैं उड़ती ही जाऊँ असीम आकाश में
पहुँच जाऊँगी वहाँ, मन में विश्वास रहे

मार्ग तो मिलता ही जाता बढ़ने का आगे
दृढ़ संकल्प हो जो हृदय,कड़े प्रयास रहें

मस्तिष्क में भटकाव नहीं, मन में चाव हो
निरन्तर बढ़ती जाए स्वयं से ऐसी आस रहे


सदा ध्यान रखना है बस इतनी ही बात
मिल जाए लक्ष्य तो विनम्रता का भान रहे।। #peace
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