ये जो उलझ गई मेरी उगलियाँ तेरे जुलफो मे....।
अब.. अब सुलझने का नाम नहीं लेती....।।
यू तो कुछ अलग से है रास्ते हमारे....।
मगर तुझसे मोहब्बत का वो सवाल आज भी अधूरा है....।।
ये जो उलझ गई मेरी उगलियाँ तेरे जुलफो मे....।
अब.. अब सुलझने का नाम नहीं लेती....।।
यू तो कुछ अलग से है रास्ते हमारे....।
मगर तुझसे मोहब्बत का वो सवाल आज भी अधूरा है....।।