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dineshkumar7090
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Dinesh kumar

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Dinesh kumar

ये कौन लोग हैं जो 
आकाश में उड़ती उनमुक्त तितली को पकड़
नोच देना चाहते हैं।

ये कौन लोग हैं, जो बन्द कली की मुस्कान 
अपने नुकीले पंजो में जकड़ लेना चाहते हैं।

किसने दिया अधिकार इनको
किसने किए बुलंद हौसले इनके।

किसकी शह पर मगरूर हैं ये
किसने धुले हैं दाग इनके।

उठो नारी बहुत हो गया
किरदार त्यागो अबला का अब।

हाथ बाँधे बैठा है समाज देखो
उठो जगो दिखा दो सबको , फिर बदल लोगी कब।

पुरुष परछायी से निकल बाहर
अपना अस्तितव बनाना है।

बहुत हो गया दया भाव अब, 
अपना अस्तित्व खुद ही बचाना है।

अपना अस्तित्व खुद ही बचाना है।
                        दिनेश #Stoprape
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Dinesh kumar

एक औरत के गर्भ से पैदा होने वाला,
एक औरत जो कभी बहन बेटी तो कभी पत्नी व  पालनहार के रूप में एक पुरुष को सवारती है, दुलारती है, ममत्व की छाया में पलने वाला,
उसी औरत की अस्मत को नोचकर अपनी क्षणिक पिपासा को शांत करने वाला क्या पुरुष हो सकता है, नही कभी नही, वह पुरुष वेश में सिर्फ एक शैतान है।
सच्चा पुरुष आज भी इन दरिंदो के कृत्य से कांप उठता है। समय है इस क्रूर कृत्य की भरसक निंदा के साथ ही महिला सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की और इसकी शुरुआत अपने ही घर मे संस्कार डालने से होती है। आईये सम्बल बने हर एक बेटी का हर एक महिला का।
कोमल है कमजोर नहीं तू,
शक्ति का नाम ही नारी ह।
सबको जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है।
                    दिनेश #Stoprape
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Dinesh kumar

सुकून ए फरियाद इस कदर की है रब से दुआओं में मैंने,
अपनी पनाह में बुलाकर सारे रंजो गम भूला दिए परवरदिगार ऐ आलम ने मेरे। 
                 दिनेश #RahatIndori
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Dinesh kumar

इस मोड़ से गुजरे हुए क़दमों की आहट गूंजती है फिजा में अभी भी कहीं,
वो बस कहना चाहती है।
रोक सको तो रोक लो जाने वाले उस अजीज को तुम,
वक़्त की आंधी में जाने वाले लौट कर नहीं आया करते।।
                  दिनेश #मोड़ पर

#मोड़ पर

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Dinesh kumar

फुरसत और जुनून की जंग में हैं न जाने कितने ख्वाब  छूट जाते अधूरे,
वो दिन का अलसायापन वो रातों के ख्वाब गहरे।
सतरंगी शामों की खनकती हँसी और यारों की यारियां,
बहुत कुछ छीन लेती है वक़्त की करवटों के ये फेरे।।
अब आलम ये है कि सुकून के इन पलो में मैं ढूंढता हूँ सुकून के वो पल,
यारो की यारियां वो बिता हुआ कल।
पर उम्मीद है फिर से मिल बैठेंगे अपनी उसी महफ़िल के गुलिस्ता को रोशन करने,
जब भी होता हूं अकेला, जी लेता हूँ बीते सपने सुनहरे।।
                        दिनेश #दोस्त
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Dinesh kumar

हर बार टूटकर बिखरता हूँ,
हर रोज खाक होकर भी जीता हूँ,
सो सवालों के साथ भी, जिंदगी की सुनी आंखों में भी सपने तलाशता हूँ, 
जिद्दी हूँ, हार न मानूँगा, जिंदगी की ठोकरों से इतनी जल्दी,
सपनों को जीता हूँ खुली आँखों से, करने को पूरा रातो को जागता हूँ।
                            दिनेश # मेरी जिंदगी

# मेरी जिंदगी

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Dinesh kumar

दुनिया के अंधड़ से दूर
चलती है चुपचाप सी जिंदगी।
ख्वाहिशों के ढेर पर
मात खाती बदहवास सी जिंदगी।
चुनकर एक एक कतरा उम्मीद का
 फिर से संजो लेते हैं हम कुछ सपने रंग भरे।
वरना तो एहसासों के हर रोज़ 
बदलती है नए नए लिबास जिंदगी
दिनेश #जिंदगी के पल

#जिंदगी के पल

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Dinesh kumar

चल दिए समुद्र के उस पार      
कुछ झुंड पंछियो के गुनगुनाते हुए।
नापने को थाह सागर की
हौसलों के पंख लहराते हुए।।
खींच दी थी जो सीमाएं मानव ने,
 अहम में अपने धरती पर जहाँ तहाँ।
तोड़ डाली हरेक वो लकीर सरहदों की, मासूमों ने,
 हौसलों की उड़ान से चहचहाते हुए।।
                            दिनेश #sea and birds

#Sea and birds

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Dinesh kumar

बदल गया है मेरा आशियाना,
बदल गया है परिंदे के ठिकाना,
पता है मुझे आसान न था सफर मेरा मंजिल के लिए औऱ चलना है अभी बाकी,
मैं गिरकर उठूँगा हर बार,जबतक न मिलजाए मंजिल का ठिकाना।
दिनेश #मंजिल
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Dinesh kumar

इस जमाने मे बहुत से देखे
 जो भी मिला, सब के सब बहुत दुखी मिले
 सच तो ये है कि जब भी खुशी मिली
 अपने अंदर से ही मिली
दिनेश #CupOfHappiness
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