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jitendravijayshr1166
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जीत की नादान कलम से...

मैं नादान हूँ नाचीज़ क़ायनात का हिस्सा हूँ। इंसानियत से प्रेम और अनसुनी कहानियों का किस्सा हूँ।। 📵 only whatsApp 7355016191 Facebook - Jitendra VijayShri Pandey instagram - masoomjeet786

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जीत की नादान कलम से...

कभी-कभी आपकी मेहनत और लगन से किये गए कार्यों के बदले
 आपको वो इज़्ज़त नहीं मिलती जितना आपको मिलनी चाहिए। 
नियमों का परिपालन हर इंसान के लिए समान होता है पर 
जब आपके अपने उस नियम को ताक पर रख देते हैं, 
आप द्वारा की गई मेहनत दूसरे द्वारा की गई चापलूसी
 और दबदबे के बीच दम घोंटती प्रतीत हो तो आवश्यक 
होता है आपको अपने और उस चाटुकार के मध्य अंतर
 स्थापित करने का आवश्यक होता है उस सोच को
 आइना दिखाने का कि एक जिम्मेदार इंसान होने 
के नाते आपको समझना होगा कि उस तलवे चाटने वाले
 और मेहनत करने वाले में अंतर क्या है अन्यथा
 जब दिमाग़ फिर जाता है तो वही सिरफिरा आपका
 सिर फिरा देगा और आप नियमों की दुहाई देते हुए
 स्वयं ही उस चक्रव्यूह में फंस जाएंगे, इसलिए कहते हैं 
Rules are made for everone not for single one.

©जीत की नादान कलम से...
  #againstthetide
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जीत की नादान कलम से...

प्रेम कोई प्रमेय नहीं अपरिमेय है
अफ़सोस उसे भी ज़िस्मों की भूख ने प्रमेय बना दिया?

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #happypromiseday
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जीत की नादान कलम से...

नासमझ होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो दूसरों की मेहनत का मेहनताना
 उस मेहनत करने वाले से छिपा के सौदा करते हैं।

नामर्द होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो ख़ुद की नाकामी को छिपाकर
औरत को कोसते हैं या उन पर हाथ चलाते हैं।

नपुंसक होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो अपने जूनियर के काम का पैसा 
सीनियर होने के नाते दूसरों से ऐंठते हैं।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #hibiscussabdariffa
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जीत की नादान कलम से...

प्रेम करना जितना सरल और सहज होता है उसे निभाना उतना ही दुरूह और कठिन क्योंकि प्रेम में प्रेमी और प्रेमिका दोनों की मज़बूती और कमज़ोरी जानते हैं पर सच्चे प्रेम की सार्थकता तो तभी है न जब आप अपनी  प्रेमिका या प्रेमी के सुख और दुःख दोनों में साथ दे, उसे अपने शब्दों से छलनी न करें, उसमें विद्यमान अवगुणों को और स्वयं में समाहित अवगुणों को दूर करते हुए एक-दूजे का सम्मान करें। प्रेम का रिश्ता जब विवाह में परिणत होता है तो जिम्मेदारी और गहरी हो जाती है क्योंकि वो दोनों समाज से लड़कर आगे क़दम बढ़ाते हैं तो आवश्यक हो जाता है कि मिलकर एक-दूजे में समाहित बुराईयों का दमन करते हुए धीरे-धीरे एक ऐसी मिसाल कायम करने की कि लोगों का विश्वास प्रेम से न उठे अन्यथा सच्चे प्रेम की आहुति इस सामाजिक ताने-बाने में हमेशा के लिए दफ़्न हो जाएगी। आज प्रेम विवाह की असफ़लता के अधिक अवसर इसीलिए दृष्टिगत होते हैं क्योंकि विवाहोपरांत प्रेमी और प्रेमिका के दिल में एक - दूसरे के प्रति सम्मान नहीं होता। विवाह तो पति का पत्नी के प्रति और पत्नी का पति के प्रति सम्मान से ही सृजित होता है। अगर आप केवल प्रेमिका को उसके प्रेम करने की सज़ा उसे दुःख देकर उसे ताने मारकर देंगे तो दुनिया से प्रेम पर किसी का यक़ीन नहीं रह जायेगा। अगर आप प्रेमिका होकर पति के सुख दुःख में साथ नहीं देंगे तो प्रेम मर जायेगा। 

जीवन की उत्पत्ति का तो आधार ही प्रेम है तो फिर इस छोटी-सी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाइये। उस प्रेम को निरर्थक मत होने दीजिए, जिसके भरोसे एक प्रेमिका प्रेमी प्रेमी प्रेमिका के लिए समाज से परिवार से उस पुरातन सोच से लड़कर आपको अपनायी हो। झूठे सब्ज़बाग दिखाकर प्रेम नहीं धोखा किया जाता है। धरातल में रहकर वास्तविकता में जीकर और वास्तविक स्वप्न दिखाकर प्रेमी या प्रेमिका के दिल में प्रेम जागृत करना ही वास्तविक प्रेम है। प्रेम को ताक़त बनाइये। प्रेम की ताक़त तो वो ताक़त है जो दवा में नहीं। आप चाहे जितने बीमार हों दवाएं चल रही हों, जितना आपके प्रेम से बोलने और उसके ख़्याल रखने से उसके स्वास्थ्य में सुधार होगा उतना इन दवाईयों के रासायनिक सम्मिश्रण से कहाँ ? दवाईयां तो शारीरिक रूप से काम करती हैं पर प्रेम मानसिक रूप से विचरता हुआ अपने तन को उस रसायन से अभिपूरित कर देता है जो ये रसायन से बनी दवाईयां भी शायद कर पाएं। इसे ठीक वैसे समझिए कि हम चाहे जितना प्रोटीन ले लें पर जितना रक्त आपके ख़ुश रहने से बढ़ता है उतना खाने से नहीं क्योंकि सारा खेल आपकी मस्तिष्क से विचरने वाली नसों के माध्यम से रक्त के संचरण से उत्पन्न स्रावित प्राकृतिक रसायन का होता है। आपको कभी न ठीक होने वाले रोगों तक से जीत दिला देता है। ये होती प्रेम की ताक़त। कभी इस भगदौड़ और आपाधापी भरे जीवन के साथ अपने अंदर के इंसान के वास्तविक स्वरूप के सामने आईने के सामने बैठकर सोचियेगा ज़रूर, जवाब ख़ुद ब ख़ुद मिल जाएगा।

मेरी राधिका कहा करती है कि प्रेम में उसके शरीर को पा जाना प्रेम थोड़ी न है प्रेम तो वो है जिसे देखकर आज का समाज प्रेम विवाह को भी अपना ले, उसकी सफ़लता इस क़दर परचम लहराए कि समाज को यक़ीन हो कि प्रेम करना गुनाह नहीं और ये सब आज कल के युवाओं के ऊपर है। केवल दैहिक सुख की प्राप्ति कर लेना उसके बाद जैसे ही जीवन में जिम्मेदारी आयी परेशान हो जाएं लड़ाई - झगड़े करने लग जाएं एक दूजे का सम्मान भूल जाएं तो वो प्रेम हो ही नहीं सकता। प्रेम तो जीना सिखाता है जीने में चिंता के बीज बोना और उसे पालना थोड़ी न।

राधे-राधे

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #sunrisesunset
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जीत की नादान कलम से...

माना मुझमें कोई ग़लती नहीं पर
मैं कोई खिलौना तो नहीं।
माना मुझमें कोई कमी नहीं पर
मैं कोई सहनशक्ति का खज़ाना तो नहीं।।

तुझे तेरी ग़लती नहीं दिखती तो
मुझ पर कमियाँ निकालकर क्या फ़ायदा?
तुझे रिश्ते की अहमियत नहीं महसूस होती तो
मुझ पर टिप्पणियाँ कर क्या फ़ायदा?

काश! तुझे कर्म और रिश्ते की ख़ूबसूरती का एहसास हो जाये
काश! तुझे जीवन और ज़िंदगी का असली अर्थ समझ आ जाये।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #Blossom
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जीत की नादान कलम से...

मेरा इक दिल अज़ीज़ मित्र है 
जो सचमुच इत्र है
तू कहता है मैंने तेरे जीवन के उन क्षणों में
 साथ दिया जब कोई साथ नहीं था तेरे
पर हक़ीक़त ये है मैं महज़ माध्यम हूँ सबकुछ 
वो ऊपर वाले कि मर्ज़ी से होता है
पर मैं भी सीखता हूँ तुझसे बहुत कुछ
ज़िंदगी के पथरीले रास्तों में चलना कैसे है
मौन धारण करते हुए आगे बढ़ना कैसे है
तेरी बात को अनसुना करने के नतीजे से वाकिफ़ हो गया
अब तेरा जीत और बदलाव लाएगा क्योंकि
 दुनिया और अपनों का रंग काला से अधिक काला हो गया

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #feelingsad
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जीत की नादान कलम से...

बड़ी बेरहम और ज़ालिम दुनिया है जीत
आपके एक ज़ख्म के हरेपन को 
हथियार बना लोग हर वक़्त 
उस ज़ख्म को ताज़ा करने में लगे रहते हैं
ख़ुद के चेहरे को छिपा दूसरे के चेहरे को सरेआम करते हैं
न जाने क्यूँ लोग दूसरे को बदनाम करते हैं
बड़ी बेरहम और ज़ालिम दुनिया है जीत

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #feelingsad
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जीत की नादान कलम से...

ज़िंदगी सिगरेट सी ही तो है सुलग रही है, 
उसके कश लगाने हैं या उसे सुलगने देना है
 ये आप पर निर्भर करता है।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #ChainSmoking  Aditi Agrawal Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Internet Jockey Neelam jangir Satyaprem Upadhyay

#ChainSmoking Aditi Agrawal Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Internet Jockey Neelam jangir Satyaprem Upadhyay #जानकारी

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जीत की नादान कलम से...

कुछ नहीं रखा है आजकल की तथाकथित मुहब्बत वुअब्बत में
जिस्म की पूर्ति मन की संपूर्ति का महज़ ताना बाना है।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #NightRoad
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जीत की नादान कलम से...

तेरे साथ बिताए हर एक पल उस ऊपर वाले की रहमत है 
वरना लाखों चेहरे तो हर रोज़ अभिरामों से गुज़रते हैं

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #onenight
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