शायद ये जो भीड़ है, मैं उसी का एक हिस्सा हूँ एक मोटी सी किताब है, मैं उसी का एक किस्सा हूँ लोग तो आसानी से कर लेते हैं बयां अपने अपने बारे में पर खुद के परिचय में क्या बतलाऊँ , बस उसी में उलझा हूँ यूँ तो कई नाम, कई कहानियाँ, कई तरह के मेरे चर्चे हैं पर किसी को पता नहीं, असल के उपर कितने चेहरे हैं जिसने जो चेहरा देखा मेरा, उसने वैसा ही मुझको मान लिया बिन जाने समझे मुझको, जो सुना दूसरों से, उसे ही सचा मान लिया
Anup Kumar Tiwari
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