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ramsingh2009
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Ram Singh

I'm Singer and Writer With Poet

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Ram Singh

कविता _ पितृ पक्ष में पितरों पिंडदान।

जिंदा रहे तो जी भर कर सेवा सत्कार किया नही।
बाद मरने के माता पिता को मान पितृ देव तो देखो।

सभ्यता और संस्कृति के बिना समाज कोई चलता नही।
छोटे बड़ो के सम्मान और प्यार के बीना परिवार रहता नही।
शुरू हुआ पितृ पक्ष का समय पितरों को अर्पण तर्पण करना है।
नियम व्रत पिंड दान अन्न दान जल दान उनको समर्पण करना है।
पूर्वज हो प्रसन्न मिले मोक्ष और मुक्ति नाम उनके हवन कर के तो देखो।

पुजो चाहे लाख देवी और देवता अन्न और धन संपदा पितर ही देते।
बन के कृपालु और दयालु परिवार का हर बिपदा ,कर्जा  सब हर लेते।
जितना किया जिंदगी में मान उससे ज्यादा अब देना है सम्मान।
जितना करोगे उतना पाओगे पितरों की कृपा होगा घर का कल्याण।
सात पुश्तों को देखा नही मगर नाम उनका आज लेकर तो देखो।

कासी गया प्रयागराज और हरिद्वार के गंगा घाट पर पिंडदान है होता।
देश विदेश के हिंदुओ का पितृ पक्ष में गया विष्णुपाद महादान है होता।
किया नही गर पिंडदान पितर दर बदर भटकेंगे साथ तुमको लपेटेंगे।
पैसे पैसे के होगे मोहताज धन दौलत कुल क्षति कर्जा में रपेटेंगे।
मांग कर क्षमा सबसे सपरिवार चरण पितरों नमन कर के तो देखो।

©Ram Singh
  #Pinddan#
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Ram Singh

बेटी 

बेटी मां का प्रेम है
बेटी पिता का स्नेह है,
बेटी घर की लक्ष्मी है
बेटी घर की इज़्ज़त है,
बेटी परिवार की आन है
बेटी अपने समाज का मान  है,
बेटी राष्ट्र की शान है
बेटी दुर्गा व आदिशक्ति है,
बेटी सरस्वती है
बेटी नव अवतार है।

बेटी को कभी भी कम नहीं समझो
बेटी सभी क्षेत्रों में सबसे आगे है,
बेटी को अधिकार दो
बेटी की विशेषता तब देखो,
बेटी को ख़ूब पढ़ाओ 
विकसित राष्ट्र को बनाओ,
बेटी को सम्मान करो
जगत् में अपना नाम कमाओ।

©Ram Singh
  #Beti#
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Ram Singh

*जीव-भ्रमण!*

जब से होता अवतरण
निरंतर रहता रण
भावों का मिश्रण
विरल अतिक्रमण
कुण्ठित कण कण
रतिकाल रमण
निरावरण
जुड़ने के क्षण 
भ्रमित वरण
प्राणपण प्रण
प्रेम का प्रकटीकरण
स्मृति-क्षरण
जीवित शोषण 
नहीं कोई किरण
अवांछित निराकरण
व्यथित तृण तृण
रहता आमरण
धैर्य कर धारण
प्रतीक्षित उत्तरायण 
ब्रह्म की शरण
अंतिम गंतव्य मरण
शांति संग तरण
होता शुद्धिकरण...!!!

©Ram Singh
  # Jiv Bharaman #

# Jiv Bharaman #

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Ram Singh

चित्रा धारित बाल रचना 
विषय - परिवार

सुंदर परिवार हमारा
लगता सबको प्यारा।।

दादाजी अखबार पढते
हम शोरगुल नहीं करते।।

मम्मी खाना बनाती
हम चुप टीवी खोल देखते।।

हम शरारत नहीं करते
सब मिलजुल कर रहते।।

पापा सुबह आफिस जाते
शाम ढले घर आ जाते।।

सबके लिए खाने को कुछ लाते
हम सब मिल खुशियां मनाते।।

हम खूब पढते लिखते
शैतानियां कभी नहीं करते।।

सब हम से करते प्यार
सुंदर हमारा परिवार।।

©Ram Singh
  #Bal Rachana #
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Ram Singh

*-:स्कूली छात्र स्कूली शिक्षा-:*साइंस स्कॉलरशिप योजना।  इस योजना का उद्देश्य। मेघावी छात्र को संभल प्रदान करना। जो परीक्षा के माध्यम से दी गई है। राज्य स्तर पर सफल होने पर। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम द्वितीय रैंक आने पर। छात्र को 1 साल के लिए ₹2000 प्रति माह दिया जाएगा। इस परीक्षा में भाग लेने के लिए श्री देव विद्यालयी शिक्षा संस्थान के माध्यम से भाग ले सकते हैं। रजिस्ट्रेशन फीस ₹3500 है।  कक्षा 6 से 12 तक के छात्र भाग ले सकते हैं।

©Ram Singh
  # Scholar Ship #

# Scholar Ship #

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Ram Singh

दोहे
▪️
हिन्दी में बोलें पढ़ें, करें सभी हम काम
समझ बढ़ेगी शब्द की ,होगा जग में नाम
▪️
सुनने में अच्छी लगे, पढ़ने में भी भाय
हिन्दी सम कोई नहीं,ऐसी मेरी राय
▪️
अंग्रेजी को दे रहे,अपनों सा सम्मान
हिन्दी मां है हिन्द की, क्यों करते अपमान
▪️
हिन्दी पढ़कर बन गये,कितने लोग महान
इनमें दिनकर पंत भी,और निराला शान

©Ram Singh
  # Dohe#
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Ram Singh

हार कर रोने लगा
--------------------------
हार कर रोने लगा है प्रात से
आदमी बेबस बहुत हालात से।

जो किया कोशिश सभी नाकाम से
बच न पाया अंतत: वह घात से।

जो चले थे साथ सब बाहर हुए 
साथ देंगे था भरोसा भ्रात से।

दीप छोटा है तो उससे क्या हुआ 
देख कब से लड़ रहा वह रात से।

सोच कर उसने रचा क्या ज्ञात हो
और क्या व्यवहार करते गात से।

दुख की परिभाषा अगर है बूझना
पूछ टहनी से गिरा उस पात से।

माँ-पिता ने जन्म देकर सब सिखाया
फिर भ्रमित लगते कहो किस बात से।

©Ram Singh
  # Har Kar Rone Laga #

# Har Kar Rone Laga #

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Ram Singh

"" श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ""
*******************

मेरे प्रिय भोले श्रीकृष्णा
आ जाओ मेरे घर द्वारे   !
रहा जपते श्रीराधे-राधे.....,
अब दे जाओ दर्शन प्रभु प्यारे  !!1!!

नित्य बनाके भोगप्रसाद लगाऊं
और मनपुष्प पत्र चढ़ाऊं  !
करते चलूं नित भाव आरती.......,
प्रिय गीत भजन आपको सुनाऊं !!2!!

श्रीकृपालु वासुदेवं राधे श्रीगोविन्द
ओ माधव योगेशं श्रीघनश्याम  !
चलूं नित रचते गीतपद.....,
अब तो बनादो मेरे काम  !!3!!

ओ कान्हा केशव योगेश्वर 
मधुर तान छेड़ नित्य रिझाऊं  !
ओ लड्डू गोपाल मेरे परमेश्वर......,
बस, नयनों में तुझे ही बसाऊं !!4!!

आयी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
ख़ूब सजायी मनोहर झांकी   !
आज करके रतजगा व्रत उपवास......,
हूं दर्शनों का मैं अभिलाषी !!5!!


¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

©Ram Singh # Shree Krishana#

# Shree Krishana# #कविता

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Ram Singh

मुस्कुराहटों के दीप...
*********************
रोज़ कार
टेक्सी या बस से
सफ़र करता
थक सा गया हूँ 
काम के बोझ तले
दब सा गया हूँ
मगर क्या करूँ
यारों नोकरी
और पापी पेट का 
सवाल है
घर परिवार की
जिम्मेदारियाँ करती
रोज़ बबाल है
लाख दर्द हो सीनें में
मगर होठों पर
मुस्कुराहट के दीप
जलायें रखता हूँ
जीवन की बगियाँ में
खुशियों का
गुलाब खिलायें रखता हूँ..!!

*********************

©Ram Singh
  # Mushkrahat Ke Deep #

# Mushkrahat Ke Deep #

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Ram Singh

# Maa Ka Kraj #

# Maa Ka Kraj #

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