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mahfuzmonu5015
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Mahfuz nisar

लेखक "abhineta" https://www.youtube.com/channel/UC1MCZEmLAIF3iSfRljI2CZQ my YouTube channel,,,

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Mahfuz nisar

constitution#

constitution#

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Mahfuz nisar

रिश्ते कोई फल नहीं होते,जिसको पकते ही तोड़ लें,

रिश्ते पेड़ होते हैं,जिसका हमेशा ख़्याल रखना पड़ता है।।

©Mahfuz nisar रिश्ते कोई फल नहीं होते,जिसको पकते ही तोड़ लें,
रिश्ते पेड़ होते हैं,जिसका ख़्याल रखना पड़ता है।।

©mahfuz nisar

#Twowords

रिश्ते कोई फल नहीं होते,जिसको पकते ही तोड़ लें, रिश्ते पेड़ होते हैं,जिसका ख़्याल रखना पड़ता है।। ©mahfuz nisar #Twowords

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Mahfuz nisar

इश्क़ में मैंने सारे सवाल उनसे सब्जेक्टिव पूछे थे,
मगर वो थे कि सबका जवाब ऑब्जेक्टिव दे गये।।

©Mahfuz nisar इश्क़ में मैंने सारे सवाल उनसे सब्जेक्टिव पूछे थे,
मगर वो थे कि सबका जवाब ऑब्जेक्टिव दे गये।।


©महफूज़ निसार

#Twowords

इश्क़ में मैंने सारे सवाल उनसे सब्जेक्टिव पूछे थे, मगर वो थे कि सबका जवाब ऑब्जेक्टिव दे गये।। ©महफूज़ निसार #Twowords

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Mahfuz nisar

गर हक़ीकत नहीं है मौत,तो बता ऐ ज़िंदगी तू कौन है,
काँधों पर उठा ये गुज़रने वाला काफिला क्यों मौन है।।


©mahfuz nisar

#HeartfeltMessage

गर हक़ीकत नहीं है मौत,तो बता ऐ ज़िंदगी तू कौन है, काँधों पर उठा ये गुज़रने वाला काफिला क्यों मौन है।। ©mahfuz nisar #HeartfeltMessage

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Mahfuz nisar

daagh
#MajesticWords

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Mahfuz nisar

क्या हर्ज़ है?                
क्या हर्ज़ है कि मैंने  उसके बाल संवारे,
क्या हर्ज़ है कि मैंने आज उसके लिए रोटी बनाई, 
क्या हर्ज़ है कि मैंने उसे घी के डब्बे दिये,
क्या हर्ज़ है कि मैंने उसके नाखूनों को रँगे, 
क्या हर्ज़ है कि मैंने आज उसके लिए अलमीरे से कपड़े निकाल दिये, 
क्या हर्ज़ है कि मैंने उसके पसंद की लिपस्टिक ज़रुरत के सामानों के साथ ले लिए, 
क्या हर्ज़ है कि मैंने उससे अपनी उँगली छुड़ा ली,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी सड़कों पर बेपरवाह घूमना है,
क्या हर्ज़ है कि आज अकेले वो सड़क पर निकल गयी, 
क्या हर्ज़ है कि उसका दुपट्टा घर में रहा,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी नज़र चुभती है, 
क्या हर्ज़ है जिस्म में उसके भी रूह बसती है, 
क्या हर्ज़ है कि उसके भी पास एक ज़बान है,
क्या हर्ज़ है,कि उसे भी अच्छे और बुरे की पहचान है,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी पाजामे से बाहर देखना है,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी रात गये,दोस्तों से मिलना है, 
क्या हर्ज़ है कि मुक़्क़ा वो भी किसी को मार दे,
क्या हर्ज़ है कि उसको भी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना है,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी बड़े हर्फ़ में अपना नाम आसमाँ पे लिखना है, 
क्या हर्ज़ है कि उसे भी खुलके रोना-हँसना,गाना है,
क्या हर्ज़ है कि उसे भी खुलके ज़िंदगी को जीना है, 
क्या हर्ज़ है ? है क्या हर्ज़ ? 
अगर है,तो भाई तुम बीमार हो,
तुम्हारा दिमाग़ बीमार है।।
हाहाहा हाहाहा हाहाहाहा , चलो हंस लो,, 
क्या हर्ज़ है।।।। 
                 
         ✍  mahfuz nisa

©Mahfuz nisar #PoetInyou
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Mahfuz nisar

kuch likha shauk se
#lost

kuch likha shauk se #lost

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Mahfuz nisar

ghj

#IshqUnlimited

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Mahfuz nisar

जी,मेरी कमियों का कुछ यूँ शोर हुआ,क्या बताऊँ, 
उंगलियाँ उठी,जज़्बात कमज़ोर हुआ,क्या बताऊँ, 
ज़ोर लगाई मैंने,लेकिन कहाँ इंजोर हुआ,क्या बताऊँ, 
ख़्वाबों में उसके चेहरे ऐसे आते हैं,उफ्फ,क्या बताऊँ,
जुल्फ़ें उसकी मेरे चेहरे पर यूँ लहराते हैं,क्या बताऊँ,
नज़रें मेरी उसके उड़ते दुप्पटे ढँक जाते हैं,क्या बताऊँ, सुनो दिल,आपके अब्र की छाँव चाहते हैं,क्या बताऊँ।


©mahfuz nisar

©Mahfuz nisar जी,मेरी कमियों का कुछ यूँ शोर हुआ,क्या बताऊँ, 
उंगलियाँ उठी,जज़्बात कमज़ोर हुआ,क्या बताऊँ, 
ज़ोर लगाई मैंने,लेकिन कहाँ इंजोर हुआ,क्या बताऊँ, 
ख़्वाबों में उसके चेहरे ऐसे आते हैं,उफ्फ,क्या बताऊँ,
जुल्फ़ें उसकी मेरे चेहरे पर यूँ लहराते हैं,क्या बताऊँ,
नज़रें मेरी उसके उड़ते दुप्पटे ढँक जाते हैं,क्या बताऊँ, सुनो दिल,आपके अब्र की छाँव चाहते हैं,क्या बताऊँ।

जी,मेरी कमियों का कुछ यूँ शोर हुआ,क्या बताऊँ, उंगलियाँ उठी,जज़्बात कमज़ोर हुआ,क्या बताऊँ, ज़ोर लगाई मैंने,लेकिन कहाँ इंजोर हुआ,क्या बताऊँ, ख़्वाबों में उसके चेहरे ऐसे आते हैं,उफ्फ,क्या बताऊँ, जुल्फ़ें उसकी मेरे चेहरे पर यूँ लहराते हैं,क्या बताऊँ, नज़रें मेरी उसके उड़ते दुप्पटे ढँक जाते हैं,क्या बताऊँ, सुनो दिल,आपके अब्र की छाँव चाहते हैं,क्या बताऊँ। #moonlight

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Mahfuz nisar

nazar

#krishna_flute

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