मैंने अपने अल्फाज़ो को एक नाम दिया है
अपनी जिंदगी को एक कलाम दिया है,,
उम्मीद है आप को पसंद आयेगी दस्ता ए मोहब्बत,
मैंने अपनी कलम को एक मुक़ाम ,एक सलाम दिया है,,
My poetry book coming soon...
deepak singh
Invites you
World book Fair
Hall No- H8-11 | stall No - 261 261
Pragati maidan | New Delhi
January 4- 12 | 11:00 AM - 8:00 PM
Deepak Singh Ph,- 9953583729
deepak singh
कभी इस करबट कभी उस करबट,,हमनें रात गुजारी है,,
तुम्हे क्या बताऊँ यारों,, की मुझे ईश्क़ की बिमारी हैं।।।
ये रोग ये पुराना है, दावा दारू से कहा जाना है,
बस उसकी एक झलक मिलजाए तो ये बुखार उतर जाना है।।।
deepak singh
एक विषाद सा जीवन हैं
उदासी भरा सफर
घुटती हर रोज ये सासें हैं
है अनंत सी पीड़ा
जख्म कुरेदती रातें हैं
पल पल मरा मै कितनी मोते
बोझ हो रही काया ,
जड़ हो रहा जिस्म मेरा
deepak singh
सफर
गुलजार थी जो बगिया, अब वो सुनसान हो चुकी हैं।
वो दस्तखें, वो आंगन वीरान हो चुके हैं।
मुरझा गये सब फूल-पतियां, क्यारियां बंजर हो चुकी है।
चिडियो के घोंसलों से आवाज़ जा चुकी है।
गुलजार थी जो बगिया, उनसे ख़ुशी जा चुकी है।
दर्द से चीखती आवाज़ दीवारों के अंदर दम तोड़ती है।
जिंदगी इस घर में तिल - तिल कर मरती है।
deepak singh
अगर मै इज़हार करू तो तुम "प्रियंका" मत बन जाना,,
भले ही तोड़ देना दिल लेकिन "पत्थर "मत बन जाना,,
दीपक सिंह
deepak singh
मेरी बोहब्बत मै एक मुकाम आया,,,
उसके हिस्से मै,,
वे इन्तहा वे पनाह मोहब्बत,जो मैंने की ।।
और मेरे हिस्से में ,,,
कभी न खत्म होने बाला इंतजार,जो मैंने किया ।।
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deepak singh
मेरी बोहब्बत मै एक मुकाम आया,,,
उसके हिस्से मै,,
वे इन्तहा वे पनाह मोहब्बत,जो मैंने की ।।
और मेरे हिस्से में ,,,
कभी न खत्म होने बाला इंतजार,जो मैंने किया ।।
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deepak singh
अब जिस्म मै जान कहाँ,
मै अंदर से मर रहा हूँ,,,।।
खोखला है जिस्म मेरा ,
मै अंदर से जल रहा हूँ,।।
अब आँखो से आँसू नहीं गिरते,
मै अंदर से सुख रहा हूँ,,।।