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aacharyasdwivedi4678
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Aacharya S Dwivedi

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Aacharya S Dwivedi

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Aacharya S Dwivedi

*रोज रात को सुलझाकर*
       *सिरहाने रखते हैं जिंदगी*

*रोज सुबह ना जाने कैसे* 
       *उलझी मिलती है जिंदगी*

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Aacharya S Dwivedi

*कुछ भी असंभव नहीं है, यह शब्द स्वयं कहता है कि 

‘मैं संभव हूं’ |

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Aacharya S Dwivedi

अनारकली के बाद "मायावती" ही दूसरी ऐसी औरत है,
जिसके
लिए बाप- बेटे में झगड़ा हुआ है।😇

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Aacharya S Dwivedi

मंज़र धुंधला हो सकता है,मंज़िल नहीं. दौर बुरा हो सकता है,ज़िंदगी नहीं.
छल* में बेशक *बल है लेकिन प्रेम में आज भी हल है,,

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Aacharya S Dwivedi

*समकालीन दोहे---*  *#पप्पू_हुआ_न_पास* 
------------------------
*'ताई'  बैठी  सिर  धुनै,  चमचे  खड़े  उदास।* 
*नकल माफिया मर गये, 'पप्पू' हुआ न पास।।*

*'हुआ हुआ' करते रहे, गिरगिट गिद्ध सियार।*

*आया  सीना  तान  कर, वापस  'चौकीदार'।।*

*महामिलावट की नहीं, चली  एक भी  चाल।*

*गली न आम चुनाव में, गठबंधन  की  दाल।।*

*जाति पंथ मत भेद के, बुने गये  सब जाल।*

*फिर भी गल पायी नहीं, गठबंधन की दाल।।*

*माँ  बेटा  बबुआ  बुआ,  हुये  सभी  बेहाल।* 

*बगदीदी  के  हाथ से, खिसक  रहा  बंगाल।।*

*कर   दी    चौकीदार   ने,  पप्पूगीरी   फेल।*

*उनकी छाती पर  गिरा, उनका  ही  राफेल।।*

*जनमत  के  चाटे  पड़े, गाल  हो गये  लाल।* 

*चमचे और गुलाम अब, नोच रहे  क्यों बाल?*

*शौर्य पराक्रम का तुम्हें, लो मिल गया सबूत।*

*अपने हाथों  खोद ली, खुद  अपनी  ताबूत।।*
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Aacharya S Dwivedi

*समकालीन दोहे---*  *#पप्पू_हुआ_न_पास* 
------------------------
*'ताई'  बैठी  सिर  धुनै,  चमचे  खड़े  उदास।* 
*नकल माफिया मर गये, 'पप्पू' हुआ न पास।।*

*'हुआ हुआ' करते रहे, गिरगिट गिद्ध सियार।*

*आया  सीना  तान  कर, वापस  'चौकीदार'।।*

*महामिलावट की नहीं, चली  एक भी  चाल।*

*गली न आम चुनाव में, गठबंधन  की  दाल।।*

*जाति पंथ मत भेद के, बुने गये  सब जाल।*

*फिर भी गल पायी नहीं, गठबंधन की दाल।।*

*माँ  बेटा  बबुआ  बुआ,  हुये  सभी  बेहाल।* 

*बगदीदी  के  हाथ से, खिसक  रहा  बंगाल।।*

*कर   दी    चौकीदार   ने,  पप्पूगीरी   फेल।*

*उनकी छाती पर  गिरा, उनका  ही  राफेल।।*

*जनमत  के  चाटे  पड़े, गाल  हो गये  लाल।* 

*चमचे और गुलाम अब, नोच रहे  क्यों बाल?*

*शौर्य पराक्रम का तुम्हें, लो मिल गया सबूत।*

*अपने हाथों  खोद ली, खुद  अपनी  ताबूत।।*
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Aacharya S Dwivedi

दिल मे छूपा रखा,,,. है मुहब्बत काले धन की तरह... खुलासा नही करता हू कि कही हंगामा ना हो जाये.
,,,,,

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Aacharya S Dwivedi

कान्हा...!!!
तेरी महफि़ल और मेरी आँखें दोनों  भरी भरी सी हैं ....!!!!

🌷🌷🌷

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Aacharya S Dwivedi

*'व्यक्ति ' क्या है..?*
*ये महत्वपूर्ण नहीं है,*
 *परन्तु*
*'व्यक्ति में ' क्या है..?*
*ये बहुत महत्वपूर्ण है...

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