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rupeshkumarpande9606
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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

।। वो रूठ जाए,तो मनाना अच्छा लगता है,, माँ के सामने, हर कोई बच्चा लगता है।। (कवि/शायर) dob:-20/12/1995 founder and chairman of:- YUVA SANGHARSH FOUNDATION (NGO) BIHAR social activist

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

कदम लड़खड़ाने लगे मेरे, किसी ने हाथ दे दिया....
बचपन का दोस्त था मेरा,आज फिर से साथ दे दिया....

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #फ्रेंडशिपडे  

#FriendshipDay

फ्रेंडशिपडे  #FriendshipDay

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

बातों बातों  में, यूं रूठा नहीं करते..
जो रिश्ते बन जाते हैं,  वो छूटा नही करते ...
और तुम जिस भरोसे की बात  करती हो...
वो बातों बातों में टूटा नहीं करते.....

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) ###हमारी अधूरी कहानी RK

##हमारी अधूरी कहानी RK

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

।।"इतिहास हैं प्रचंड,अखंड मां भारती का मैं शृंगार हूं..
बुद्ध,महावीर संग, दिनकर का मैं विचार हूं....
मैं वहीं  बिहार हूं, मैं वहीं  बिहार हूं....
 आदि गुरुग्रंथ ,सीता मां का संस्कार हूं...
कुंवर,मांझी और हर युवा का ललकार हूं...
मैं वही बिहार हूं, मैं वही बिहार हूं..."।।



।।मेरे कविता की कुछ पंक्तियां।।

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #बिहार दिवस


#Rose
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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

जिसे मरना हैं,मरता हैं क्या....
यूं जलाने से, कोई जलता हैं क्या....

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #Rk ki diary

#holikadahan

#RK ki diary #holikadahan

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

Environment प्रकृति - मैंने सबको जीवन दिया..
,हुए पुराने तो नवजीवन किया..
धरा को हरा किया,भरा किया,
 कण कण का सृजन किया...
सब कुछ हमसे ही हैं,
सब कुछ हम में ही हैं.
मैं हूं तो तुम हो, मैं हूं तो जहां हैं...
मैं ना रहूं, तो भला कोई कहां हैं...
पर बदले में हमको,सबने दगा दिया..
भौतिकता में चूर,हमको दूर भगा दिया...
काट रहे हो हमको, मार रहे हो हमको..
क्या सब भूल गए,जो दिया था मैंने तुमको..
क्या कसूर हैं मेरा,जो सहना पड़ रहा है..
मेरे ही घर से,मुझे उखड़ना पड रहा है..
इतने निर्दई बन बैठे हो,जो हर उपकार को भुला दिया..
उस पार क्या चले गए,इस पार को भुला दिया...
बस  करो अब रहने दो,ऐसे हमको बर्बाद मत करो...
काट कर,मार कर,दूषित कर,अपने को आबाद मत करो..
अगर मैं खतम हुई,तो तुम भी कहां रह पाओगे..
सारी अकड़ धरी रह जाएगी,तुम सब केवल पछताओगे..
अब भी बारी हैं,माफ करूंगी,लौट चलो तुम सब के सब..
फिर से मुझको हरा कर दो, बरना बेमौत मरोगे सब के सब।।।

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) ###Rk (gyanpuri)

#EnvironmentDay2021

##Rk (gyanpuri) EnvironmentDay2021

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

एक तस्वीर है मेरे पास जो  एक तस्वीर थी,एक तस्वीर हैं...
सच बताऊं, तो वह मेरी तकदीर हैं..

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) ###हमारी अधूरी कहानी RK

#AdhureVakya

##हमारी अधूरी कहानी RK AdhureVakya

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

"without risk and pain,you can't gain success..."

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) ###rk ki diary

#AdhureVakya

##rk ki diary AdhureVakya

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

।।जिंदा हो,तो जिंदा दिखना जरूरी है..
चुप क्यूं हो,बताओ क्या मजबूरी है...।।

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #हमारी अधूरी कहानी Rk

#Corona_Lockdown_Rush

#हमारी अधूरी कहानी Rk #Corona_Lockdown_Rush

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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

आज इस नरसंहार के समय में जो लोग मौन हैं,चुप हैं,प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस नरसंहार में शामिल हैं,जिनके लिए जात पात से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं,जिनके लिए राजनीति ही सबकुछ हैं,जिनके लिए आपदा, अवसर के समान है,जो लाशों का व्यापार कर रहे हैं,जों सांसों का मोल भाव कर रहे हैं,जिनके लिए आंसू सिर्फ और सिर्फ पानी की बूंदे हैं,जिनके लिए सत्ता,कुर्सी,पैसा ही इमाम हो...जिनके लिए फायदा ही सबसे बड़ी उपलब्धि हो..जब इतिहास आपसे और आपके अगली पीढ़ी से सवाल करेगा तो क्या जवाब दोगे बेशर्मों,
क्या कह पाओगे कि जब लोगों के आंखों में आंसू थे तो ,हम चैन की नींद सो रहे थे,क्या कह पाओगे की जब मताओं,बहनों का सिंदूर संकट में था तो हम सिंदूर से सौदा कर रहे थे,क्या कह पाओगे की जब बच्चे बिलख रहे थे,बुजुर्ग तड़प रहे थे,तो हम सांसों का सौदा कर रहे थे,क्या कह पाओगे की जब श्मसान लाशों से भरा हुआ था,तो हम लाशों पर अय्याशी कर रहे थे...क्या कह पाओगे की जब देश में कोहराम मचा हुआ था,तो हम शादियों में नाच रहे थे,क्या कह पाओगे जब किसी कि अर्थी निकाल रही थी,तो हम अपनी डोली सजा रहे थे...नहीं कह पाओगे निर्लज्जों,कुछ नहीं कह पाओगे बेशर्मों,तुम्हरा सिर इतिहास के सामने झुका होगा,जैसे सीता मैया के सामने अयोध्या का,और द्रौपदी के सामने हस्तिनापुर का झुका हुआ था,,जब मौका मिला है तो धर्म का साथ क्यूं नहीं देते,मानव में जन्म मिला हैं तो मानवता क्यूं नहीं दिखाते,यही वक्त हैं सुधर जाओ वरना अगली बारी तुम्हारी हैं फिर मत कहना कि मेरे साथ क्यूं हो रहा है,भगवान को दोष मत देना..
जिंदा हो, तो जिंदा दिखना जरूरी है...
धन्यवाद..

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #korona
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RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

चलो फिर से मुलाक़ात करते हैं..
बंद करके जुबां,आओ कुछ बात करते हैं..

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) ###हमारी अधूरी कहानी RK

##हमारी अधूरी कहानी RK

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