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vikramprashant4081
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

Research Scholar, Poet

tutipanktiyan.in

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

उसने बर्बर होने की परिभाषा  बदल दी है
84 साल के बूढ़े को खतरा बता कर
जेल में सजिसन बंद करके यातना देना बर्बर नही लगता
बीमार होने पे सही इलाज न देना भी बर्बर नही है
और बीमारी के ग्राउंड पे बेल न देना भी कानूनी है
बर्बर जालिम ने अपने पक्ष में कुछ भीड़ खड़ी कर ली है
जो उसकी बर्बरता पर जश्न में डूब जाता है।
वो नए भेष धारण करता है
अपनी बर्बर चेहरे पे मुस्कान लिए
अपनी बाजुएँ फड़फड़ाते हुए मोह लेता है
और जकड़  लेता है भोली मानस को
जो जिंदा रहने देने को ही उपकार समझ लेता है
और मुरीद हुआ जाता है उसकी दयालुता पर।
उसने जिंदा होने की विचार से नफरत पाल रखी है
और जंग छेड़ रखी है जिंदगी की वकालत करने वाले के खिलाफ
उसने बर्बर होना बहुत मामूली बना दिया है
अब बर्बरता ही लोकतंत्र का फैसला  है।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan "
  Rip #Stan_Swamy

#tutipanktiyan 
#vikram_prashant
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

आज हिन्द में
लाखों कविताएं लिखीं जा रहीं है,
पर
ये कविता
प्यार से उपजी हुई नहीं है
और ये
बिछड़े प्रेमी का संवाद भी नही है
किसी पत्रिका के
विशेष अंक में छापी गई नहीं हैं।
ये लिखी जा रही है,
स्याह तप्ती सड़कों पर
खून से लतपथ
फोके पड़े पैरों से
पसीने से
लाचारी से
चीख से
झंनाहट से
भन्नाहट से।
पर
ये कविता
आत्मनिर्भर है,
इसने अपने छापे जाने के लिए
भरोषा नहीं किया
मीडिया पर
पत्रकार पर
कवि पर
कथाकार पर
यूनिवर्सिटी के सेमिनार पर,
सरकार पर
कमिटी की रिपोट पर
सरकारी योजनाओं पर
प्रथम सेवक पर
आम सीएम पर।
ये कविता सक्षम है,
खोखले आदर्शवादी हिंदुस्तान को
आईना दिखाने में,
और चीख चीख कर कह रही है
हिंदुस्तान की कहानी
कह रहीं है
अमीरों के भरोसे
गरीबों की तकदीर छोड़ देनेवाले
नेताओं की कहनीं
ग़ांधी के ट्रुस्टीशिप की
विनोवा के भूदान की
मोदी की
अमीरों से अपील की।
ये कविता
गढ़ रही है,
एक हिंदुस्तान की तस्वीर
जिसे दिखाने की हिम्मत
किसी मीडिया में नहीं थी
जिसे छापने की हिम्मत
किसी पत्रिका में न थी।
जिसे छुपाने की कोशिश की गई,
चीखते नारों से
विश्वगुरु के खोखले वादों से
भव्य इतिहास की आड़ में।
और
जो दब गई थीं,
सपनों की भीड़ में
थक कर सों गईं थीं
पर जिंदा थीं
और
आज
वो
चमक रही है
खून सी
हिंदुस्तान की सड़क पर
पीड़ा लिए
पिघल कर
लड़ कर
सूरज की रोशनी में
रात की अन्धेरी में
टिमटिमाते तारों में
और चीख रही है
मौत
गहरे सन्नाटों में
साजिशों में।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " Read in caption
आज हिन्द में
लाखों कविताएं लिखीं जा रहीं है,
पर
ये कविता
प्यार से उपजी हुई नहीं है
और ये
बिछड़े प्रेमी का संवाद भी नही है

Read in caption आज हिन्द में लाखों कविताएं लिखीं जा रहीं है, पर ये कविता प्यार से उपजी हुई नहीं है और ये बिछड़े प्रेमी का संवाद भी नही है #Mic

12 Love

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

डॉक्टर्स पृथ्वी सूरज में जीवन पाती है
अनवरत चक्कर लगाती है
बिना रुके बिना थके
सबको आसरा देती है
मैं चिकित्सक में सूरज और पृथ्वी दोनो देखता हूँ
और जीवन आसरा ढूंढती है
बिना किसी अपवाद के।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " #DearDoctors
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

डस्टबिन को चाहिए कि वो घर के बाहर रहे
हालांकि कुछ लोग डस्टबिन
 किचन, ड्राइंगरूम, बेडरूममें भी रखते है
कम से कम डस्टबिन को चक्कर नहीं लगाने चाहिए
जहाँ रखा गया है वहीं रहे।

डस्टबिन का कर्त्तव्य

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " डस्टबिन का कर्तव्य

#Mic

डस्टबिन का कर्तव्य #Mic #समाज

7 Love

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

mat kholo Kai guthhiyan

#MusicalMemories 
#tutipanktiyan 
#vikram_prashant 
#nojotohindi 
#NojotoFilms 
#Feel
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

दर्द एक छोटी सी कहानी कहती है
वो चीखती है
वो पुकारती है
प्रतिकार करती है
और जीत जाती है।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " दर्द का अंत
#nojotohindi 
#vikram_prashant 
#tutipanktiyan 

#droplets
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

पर्यावरण  

तपती गर्मी में (सूरज की )रोशनी
दुश्मन नजर आती हो 
पर तुम रहम मत करना
और  बूंदें तुम भी मत आना
जरा उनकी भी रोटी
ताबे में आने से पहले जल जाने दो
जल जाने दो उनके AC और COOLER को
और पिघल जाने दो लोहे के पंखे को
उबाल जाने दो इंजन 
और बिखर जाने दो इंसानों को पानी के लिए
और तड़पने दो तब तक
जब तक राजा को होश ना आ जाए
जल जाने दो राजा की मूर्खता को
और पता चल जाने दो 
ग्लोबल वार्मिंग की आहट उसको भी
जंगल को उजड़ जाने दो 
जब तक प्यार न उमड़ पड़े 
जंगल के लिए
और आदिवासी नजर आने लगें 
इंसान सब को
और सभी पानी पानी करते हुए
भागने लगें सूखी नदी की ओर
और समझ पाए नदी की असली पूजा
कि सिर्फ पुत्र घोषित कर देना ही काफी नहीं हैं
और भव्य आरती नदी की सेवा नहीं है
और (बारिश की) बूंदें जब तुम आना तो
धीरे धीरे मत आना
जैसे तपिस से राहत पहुंचा रही हो
और माफ कर रहीं हो नई नई मूर्खता के लिए
तुम बहुत जोर से आना और
बहा के ले जाना अपने साथ
मूर्ख राजा को
और लालची प्रजा को .......
जरा राहत मिले इंसानों को।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " rahat

#EnvironmentDay2021 
#tutipanktiyan 
#vikram_prashant
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

हर तरफ है तन्हाई
अभी उड़ रहें हैं प्राण
घर बन रहें हैं  कंक्रीट के मकान
दुःख का मौसम है
छाया है मातम इस जहाँ में
अभी तुम सिर्फ अहसास बन कर साथ रहो न
अभी तुम राधा बन कर साथ रहो न।
गुजर जाने दो स्याह भरी रात
हो जाने दो सुबह गुलजार
घुल जाने दो खुशी हर मन में
उदास मौसम के कांटे को गुलाब बन कर खिल जाने दो,
तब तलक तुम सिर्फ अहसास बन कर साथ रहो
अभी तुम ख्वाब बन कर साथ रहो न।
खो गए स्वाद जहाँ से
गायब हो गए है गन्ध सारे
आ जाने दो भीनी भीनी खुशबू वापस
तब तलक तुम अहसास बनकर साथ रहो न
अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न
#तुतिपंक्तियाँ
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#Tutipanktiyan
#vikram_prashant 
#nojotohindi 
#NojotoFilms 
#Rose

अभी तुम राधा बनकर साथ रहो न #तुतिपंक्तियाँ #tutipanktiyan #tutipanktiyan #vikram_prashant #nojotohindi Films #Rose #NojotoFilms

11 Love

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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

#IndiaFightsCorona नदी में लाश
मुसीबत की मार
लोग लाचार।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " #हाइकू 

#IndiaFightsCorona
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Vikram Prashant "Tutipanktiyan "

एक साथ जल रहे सब हैं
बुझा नहीं पाए आँसू की धार अभी
आग लगी है बस्ती बस्ती।
गम के सौदागर खुश है
झूम रहा है वो बस्ती बस्ती
मदमस्त हुआ गुराये वो
सड़क पर पड़ी लाश नोच खाये वो
मदद को जो बढ़ रहे हाथ तोड़ लाये वो।
चल रहीं अंधी उड़ाए हस्ती सबकी
खो गई है सबकी बस्ती अभी
अधूरा हो रहा परिवार
नहीं रुक रहे आंसू के धार।

©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " # नहीं रुक रहे आंसू के धार।

# नहीं रुक रहे आंसू के धार। #कविता

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