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ruchidixit2096
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Ruchi dixit

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Ruchi dixit

 मूल स्वभाव ..
" एक फकीर, फकीरी में भी 
अमीर होता है , 
एक धनवान धनवान होकर 
भी स्वभावगत गरीब होता | "

©Ruchi dixit
  #thought_of_the_day
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Ruchi dixit

हर बार खुद को पिरोती रही ,
तेरी पीड़ा में खुद को डुबोती रही |
मै समझती रही तुझमे रचती रही,
नासमझ थी सच से बचती रही,
है कहाँ खाली कोना कभी न भरे |
एक मै ही कहाँ कोई रौशन करे ,
खुश हो ,खुशिया मुबारक तुम्हे |
कोई काँटा न पाँवो को तेरे चुभे ,
एक दुआ के सिवा कुछ,
 निकलता नही | बदला है तू !
दिल ये बदलता नही |

©Ruchi dixit
  तुम !

तुम ! #कविता

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Ruchi dixit

तुम तलब नही , 
मेरी स्वाँस हो , 
प्राण हो ,
आधार हो , 
अभिलाषा का बीज
जड़ हो , पूर्णता की | तुम 
शाख हो विभिन्न सुगंधित
 पुष्पो की |

©Ruchi dixit
  तुम!

तुम! #कविता

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Ruchi dixit

जिसने तोड़ा है वह जाने !
मैने जोड़ा है तुम जानो !!
जानते हो तुम ! 
कच्ची हूँ ! 
होगे भीतर तुम ! तभी 
शायद अच्छी हूँ |
बाहर संकेत दिया है तो 
आना होगा , 
प्रीत की यह रीत निभाना होगा |
निभाना दोनो ही तरफ से है तुम्हे ही !
बुद्धि,विचार ,विवेक मुझे इनका साथ नही |
साहस तुम्हारे भीतर का प्रेम होगा |

©Ruchi dixit
  प्रीत

प्रीत #कविता

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Ruchi dixit

भावना के साथ छल की सजा छोटी नही ,
मगर ! सजा मे भी तुझे दुआ ही देती हूँ !
जा ! जी ले जिन्दगी !!

©Ruchi dixit
  #कसर
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Ruchi dixit

कोई मासूम था ,
बिछड़ने की पीड़ा लिए |
लौट आने की जिद थमाकर 
विश्वास पूँछता रहा |
फिर एक दिन खुलती गई परते ,
विश्वास को मुँह चिढ़ाती 
उसकी मुस्कान , 
चकाचौंध महफिल के बीच |
 हृदय मे असीमित पीड़ा लिये विश्वास,
झरती आँखो मे प्रश्नचिन्ह लेकर
ढूँढने लगा खुद को |

©Ruchi dixit
  दरख्त

दरख्त #कविता

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Ruchi dixit

हर क्षण गूँजता रहा सवाल 
क्या जीवन के एक झूठे हिस्से ,किस्से को जिया मैने ?
"तु और मै अलग थोड़ेही हैं ?" जहाँ कहा था तुमने |
तुम्हारा मेरे प्रेम पर दृढ़ विश्वास "तुझसे ज्यादा मुझे कोई प्रेम नही कर सकता |"
कहाँ है ? क्या वह सब मिथ्या बाते थी ? मुझमे भावना क्या मर गई | हाँ तो कौन है जो निरन्तर रोता है बैठकर , हृदय को चीरकर निकलने वाली चीख लिए कभी - कभी | जीवन की नीरसता लिए मृत्यु से भी राहत नही आखिर ! क्या है ये या था वह|

©Ruchi dixit
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Ruchi dixit

है बसा अन्तर मे तू ,
बोल कैसे निकाल दूँ ,
है नही बस मे जो मेरे हक,
 जाया कैसे करूँ ,
त्याग दूँ सम्पत्ति विश्व जो भी मेरे नाम हो,
 पर तुझे न बाँट पाऊँ श्याम मेरे श्याम हो |
न अधिक इच्छा मेरी ,एक इच्छा तुम ही हो ,
त्याग दूँ मै प्राण तुममे बस यही इच्छा ही तो |

©Ruchi dixit
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Ruchi dixit

 जमी है धूल मन पर उसको हटा देना ,
 हृदय मे उठ रही जो पीर , 
उसको जगह देना , खड़ी हूँ बीच चौराहे
दिखती डगर है न  , चलूँ किस राह पर गुरूवर मुझको बता देना |😭🙏♥️🌹

©Ruchi dixit
  #सतगुरू

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