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dhirajchoudhary7482
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Dhiraj Choudhary

बस लिखता हूँ, लिखने की शौक रखता हूँ.. वाक्यों को जोड़ -जोड़ कर शब्दों से मिलवाता हूँ... दिल को दिल से मिलने का शौक रखता हूँ...👍

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Dhiraj Choudhary

उनसे नजरें मिलना , जैसे फिजा हो गयी 
उनसे बातें करना, मानो जैसे सजा हो गयी...❤️ #love
#dheeraj_choudhary
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Dhiraj Choudhary

वैसे तो तेरे हर खबरों के खबर को लिख दूँ अखबार में ,
लेकिन हलचल तब और हो जाएगी, जब सच आजाएगी बाजार में ! खबरें, अखबार

खबरें, अखबार

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Dhiraj Choudhary

जिनके समझ से परे थे, उनके लिए थोड़े बुरे थे   ।
जिन्होंने समझ लिया,  खुद का आईना हमे ,तभी तो उनसे  दिल से  जुड़े थे ।।
©®✍🏻 D K दिल-दोस्ती

दिल-दोस्ती #Life_experience

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Dhiraj Choudhary

 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)

🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) #Shayari #nojotophoto

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Dhiraj Choudhary

उसकी शाम कुछ रँगीन थी, 
मेरा कुछ जाम सा बदनाम था ।

उसकी यादेँ कुछ हसीन थी , 
मेरा हर मिजाज अभि जवान था ।

उसकी हर अदा कातिलाना थी ,
मेरा अपना  अंदाज वही पुराना था ।

वो अब भी शौक से हंसा करती थी , 
मैं उसके उसी हंसी का दीवाना था ---!!

©® dheeraj_choudhary 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)

🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)

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Dhiraj Choudhary

तू शाम सी गुजर जाती हो , 
मैं राहगीर सा देखता रह जाता हूँ , 
तू रोज सुबह सी आ जाती हो , 
मैं तेरे हिं सपने में खोया रह जाता हूँ, 

          तू झटकते जुल्फों से सितम कर जाती हो , 
मैं तुझे देख कर हिं घायल हो जता हूँ ,
तू यदों की हर रात वापिस आ जाती हो , 
मैं स्वप्नों में सोया रह जाता हूँ , 


तू शुरआत प्रेम कहानी की कर जाते हो, 
मैं बस कलम उठा लिखते रह जाता हूँ , 
जब तू नाम से मुझे पुकारती हो , 
मैं बस तुझमें हिं खुद से हो जाता हूँ ---!!
©® dheeraj_choudhary 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)  Rishabh Choudhary Ritika Singh Vallika Poet

🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Rishabh Choudhary Ritika Singh Vallika Poet

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Dhiraj Choudhary

निकल पड़ा हूँ ,जिंदगी की सफर छोड़ ; 
मुझे इस कदर न भुला देना ; 
जो छोड़ा हूँ कुछ किस्सा , अपने हिस्से से बचा के ; 
इस जमाने को मेरा हुनर और सलाम बता  देना ---!! 


बहुत याद आओगे ! ऐसे नही भुला दिए जाओगे --
जब भी नाम लिया जाएगा ,वक्त -बेवक़्त याद आओगे ----!!
 आपके नाम मेरे ये लिखे चन्द पंक्तियाँ !!
©® dheeraj_choudhary

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Dhiraj Choudhary

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Dhiraj Choudhary

उन बारिश की बूंदों की 
क्या उम्मीद  बनूँ मैं मिट्टी बन  
मैं लथपथ बन भींगा हूँ  
व्व बूंदें जो  बरसात बना

मैं न बिखरा ,न टूटा सका 
व्व बूंदों का प्रयास रहा 
व्व निरतंत्र मुझसे पूछता रहा 
तू किस मिट्टी से बना हुआ 

मैं प्यार की किंचित वेदना को 
कैसे अनमोल बूंदों की चेतना से 
अनुभव उसको समझा पाता ,
एकदूसरे की वेदना कैसे जता देता ---?

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Dhiraj Choudhary

जो  बारिश की बूंदे गिरी आसमां से , 
मैं मिट्टी का बन भींग गया हूँ ---
जो थोड़ी खुशबू उठी है तुमसे ,
सौंदी - सौंदी सी, जिससे  बहक गया हूं ---

थोड़ा भूल गया मैं खुद को,
थोड़ा खुद को बचा लिया  हूँ ----
मंजील किसकी  कैसी थी ? (पता नही)
बस सपनों के सफर पे चला दिया  हूँ ---
(धीरज चौधरी) #बारिश की बूंदें

#बारिश की बूंदें #Life_experience

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