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Aditya

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Aditya

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Aditya

कहते हैं जब किसी की नई नई शादी होती हैं तो उसे बाहर ज्यादा घूमना नहीं चाहिए क्यूंकि कहते हैं भूत और आत्मा नए दूल्हे या दुल्हन के पास ज्यादा आकर्षित होते हैं। और इस बात का उदहारण आज की यह कहानी हैं आज की जो यह कहानी हैं यह हमारे ही एक दोस्त के साथ घाटी एक सच्ची घटना हैं। यह बात उसकी शादी के दो दिन बाद की बात हैं जब उसकी बीवी अपने घर गई हुई थी और उस दिन वो अपने कमरे में अकेला ही था। और अब यह कहानी मैं उनके ही शब्दों में जारी रखूँगा।

मेरा नाम नीरज हैं और मैं आज आपको जो घटना बताने जा रहा हूँ उस घटना को मैं याद भी करता हूँ तो मेरा दिल सैहम सा जाता हैं। यह बात मेरी शादी के दो दिन के बाद की बात हैं। उस समय मुझे घर में सब गाँव में बाहर घूमने के लिए मना करते रहते थे पर मैं कहाँ किसी की बात मानने वाला था। और ऐसे ही उस दिन जब मैं शाम को घूम कर घर आया तब थोड़ी थोड़ी बारिश होने लगी थी। घर आते ही मैं कुछ देर घर वालो के साथ बैठ कर बाते कर रहा था उस दिन बारिश होने के करण लाइट भी चली गई थी क्यूंकि अक्सर ऐसा होता हैं गाँव में थोड़ी सी ही बारिश होने के करण लाइट चली जाती हैं।

लाइट जाने के करण हमारे पुरे घर में अंधेरा हो गया था। फिर उसके बाद मैं अपनी जगह से उठ कर घर में जो मिठाईया रखी थी मैं जा कर सभी मिठाईया उठा उठा कर खाने लगा वैसे मैं कभी मिठाई नहीं खाता था पर उस दिन मुझे पता नहीं क्या हो गया था की मैं लगातार मिठाईया खाए जा रहा था। मेरी यह हरकत देख मेरे घर वालो को भी बड़ा अजीब लग रहा था पर उस समय किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा। मिठाईया खाने के बाद मैं अपने कमरे में सोने को चला गया।

अपने कमरे में जाते ही मैंने अपने कमरे के दरवाजे में कुण्डी लगा कर मैं अपने बिस्तर पर सोने चला गया। सोते हुए अभी मुझे आधा घंटा ही हुआ होगा तभी मुझे किसी औरत की आवाज आई और वो बोल रही थी - नीरज कैसे हो और हो गई शादी - मैंने एकदम से आँखे खोल कर देखा तो मेरे सामने एक औरत खड़ी थी जिसने लाल रंग की साड़ी पैहनी हुई थी और वो औरत धिरे धिरे से मेरे पास आते जा रही थी। मैं उसे देखकर यही सोच रहा था की यह हैं कौन और यह अंदर कैसे आ गई क्यूंकि मैंने दरवाजा तो बंद कर दिया था पर ये औरत अंदर कैसे आ गई और ये हैं कौन मैं उसका चेहरा देख कर उसे याद ही कर रहा था।

की तभी मुझे एकदम से याद आया ये तो मेरी बड़ी वाली बुआ हैं पर यह हो कैसे सकता हैं क्यूंकि वो तो लगभग 20 साल पहले ही मर चुकी थी। मैं उसे देखकर यही सब सोच ही रहा था पर तब तक वो मेरे बैड के पास आकर खड़ी हो गई थी। फिर उसके बाद उसने कहा - नीरज शादी कर लिए और मुझे बुलाया भी नहीं - इतना ही बोलकर उसने मेरे छाती पर अपना हाथ रख दिया। पर पता नहीं उनका हाथ रखते ही मेरा दम सा घुटने लगा और मेरे मुँह से कोई आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।

पर किसी तरह मैंने अपने पापा को आवाज दी पर आवाज सही से निकली तो नहीं पर शायद मेरी किस्मत थोड़ी अच्छी थी की मेरी वो हल्की सी ही आवाज मेरे जीजा जी ने सुन ली और मेरे जीजा जी तुरंत समझ गए की कुछ तो गड़बड़ हैं और फिर उन्होंने तुरंत पापा को बताया की नीरज अंदर से आवाज लगा रहा हैं। फिर उसके बाद सबने किसी तरह दरवाजा खोला और सब अंदर आ गए सब अंदर तो आ गए थे पर वो औरत यानी मेरी मरी हूँ बुआ अभी भी मुझे वही पर ही खड़ी दिख रही थी।

फिर उसके बाद सब मुझे बाहर बरांडे में लेकर गए और बरांडे में जाते ही सब मुझसे बार नाराज पूछे जा रहे थे की क्या हुआ पर पता नहीं उस समय मुझे क्या हो गया था की मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था। पर तभी वो मेरी मरी हुई बुआ फिर से मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर से उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रख दिया। सब वही पर ही खड़े थे पर वो औरत यानी मेरी मरी हुई बुआ किसी और को नहीं दिख रही थी। और पता नहीं कब वो एकदम से मेरे ऊपर आकर बैठ गई फिर उस समय मुझे ना जाने क्या हो गया की मैंने अपने पापा की तरफ देखा और कहा - क्या भैया लड़के की शादी कर ली पर मुझे नहीं बुलया - इतना बोलकर मैं रोने लगा पर मैं ऐसा कुछ भी बोलना नहीं चाह रहा था पर उस समय मेरे मुँह से यह शब्द अपने आप ही निकाल रहे थे।

इतना सुनकर मेरे घर वाले भी तुरंत समझ गए थे की मेरे साथ आखिर क्या हो रहा हैं और कौन कर रहा हैं। तभी फिर वो मरी हुई बुआ मेरे ऊपर से नीचे उत्तरी और मुझसे  यह कह ने लगी - चलो नीरज चलो यहाँ से यहाँ कोई तुम्हारा नहीं हम लोग अपने हैं वो देखो वो सब तुम्हे ही लेने को आए हैं - उसकी बात सुनकर मैंने जैसे ही बाहर की ओर देखा तो मेरे डर की कोई सीमा नहीं थी क्यूंकि बाहर बहुत सारे बड़े ही भयानक लोग खड़े थे

और सब बहार से ही यही बोल रहे थे - चलो नीरज जल्दी चलो हम सब तुम्हे ही लेने को आए हैं - फिर उसके बाद एक बार फिर से मेरी मरी हुई बुआ ने मुझे कहा - चलो नीरज वो सब अपने हैं देखो तुम्हे लेने पूरी बारात आए हैं -  मेरे घर वाले सब मेरे पास ही बैठे थे पर उन्हें उनमे से कोई नहीं दिख रहा था पर मुझे भूतों की पूरी की पूरी बारात दिख रही थी। पर तभी मुझे पता नहीं क्या हुआ की मेरा मान भी उन सबके साथ जाने को करने लगा और मैं अपनी जगह से उठने लगा पर मेरे घर वाले मुझे कही नहीं जाने दे रहे थे।

तभी मैंने अपने पापा से कहा की मुझे टॉयलेट जाना हैं मुझे जाने दो इस बार मुझे टॉयलेट जाने दिया पर मेरे साथ मेरे पापा और मेरे जीजा भी गए। इस बार तो मैं टॉयलेट कर के फिर से बरांडे मैं ही कर बैठ गया। फिर कुछ देर वहाँ बैठते ही मैंने एक बार फिर से टॉयलेट जाने को कहा - फिर मेरे पापा ने कहा - अभी तो गया था फिर से - फिर मैंने कहा - हाँ मुझे जाना हैं तो बस जाना हैं - इस बार मेरे साथ मेरे जीजा अकेले गए और जैसे ही मैं टॉयलेट के पास आया तभी मेरी बुआ और उनके साथ वाले लोग जो मेरे घर के बगल में जंगल था वहाँ खड़े होकर मुझे बुलाने लगे। और उनके बुलाते ही मैं भी एकदम से उनके ही पास जाने को भागने को जैसे ही हुआ तभी मेरे जीजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

पर मेरे जीजा मुझे रोक नहीं पर रहे थे क्यूंकि ऐसा लग था मेरे अंदर काई लोगो की जान आ गई हो। मेरे जीजा मुझे रोक नहीं पा रहे थे तभी उन्होंने पापा को आवाज दी उनके आवाज देते ही मेरे पापा और मेरे घर वाले सब वही पर भागते हुए आ गए और मुझे पकड़ कर बरांडे में ही रखे बिस्तर में लेटा दिया। तभी मेरे पापा ने एक आदमी को बुलवाया जो थोड़ा भूतों के बारे में जानता था पर उसने आकर देखा और बोला -  यहाँ वो पहले थी पर अब वो यहाँ से जा चुकी हैं - इतना बोलकर वो तो वहाँ से चला गया पर मुझे वो सब और मेरी मरी हुई बुआ अभी भी दिख रहे थे।

मैं रह रह कर कभी भागने की कोशिश करता और अभी अपने आप ही हंसता और कभी रोता यह देख कर मेरे भाई ने हनुमान चालीसा अपने फ़ोन में चला कर मेरे पास रख दी। हनुमान चालीसा चलते ही मेरी बुआ जो मेरे पास खड़े होकर मुझे बस अपने साथ चलने को बोल रही थी पता नहीं उसे समय क्या होने लगा और गुस्से में मेरी छाती पर बैठ कर मेरा गला दबाने लगी और मैं तड़पने सा लगा। मेरी यह हालत देख कर मेरे घर वालो ने तुरंत हनुमान चालीसा बंद कर दी और हनुमान चालीसा बंद होते ही वो मेरा गला छोड़ कर छाती से नीचे उत्तर गई। और मैं भी एकदम शांत हो गया उस रात मेरा पूरा परिवार मेरे ही पास बैठा रहा और पूरी रात नहीं सोया।

और मेरी मरी हुई बुआ और उनके साथ के लोग भी मुझे पूरी रात दिखते रहे और लगभग सुबह के चार बजे के बाद ही वो सब वहाँ से गए। और सुबह मैंने सारी बात अपने घर में सबको बताया तो मेरे पापा मुझे एक मंदिर में ले गए जहाँ के बाबा भूत देखते थे। उन्होंने मुझे एक ताबीज बना कर दी जिससे उस दिन से मुझे मेरी मरी हुई बुआ और उनके साथ के लोग कभी नहीं दिखे।

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