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nishirtiwari3087
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NishthaTiwari'Nishi'

Freelance writer and poet

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NishthaTiwari'Nishi'

शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
नदी की जलधारा सी
निर्झर बहती है
निश्छलता समाहित जिसमें
किसी के रोके ना रुकती है
शब्दों के इतर
इक भावना बहती है
शीतल मंद बहते समीर सरीखें 
गर्मियों की दुपहरी में 
शीतलता देती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
ना ख़ामोशी सताती
ना कोई कमी खलती है
मन का पाँखी पर फैलाएं
कल्पना लोक में विचरती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
संगीत की लय सी
धमनियों में रक्त बन 
हृदय को झंकृत करती है
होती ना चाह जिसे लिख देने की
ना आरज़ू कि कोई पढ़े इसे
ये अन्तःमन में 
रजनीगंधा सी महकती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है

शब्दों के इतर इक भावना बहती है......!!!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
नदी की जलधारा सी
निर्झर बहती है
निश्छलता समाहित जिसमें
किसी के रोके ना रुकती है
शब्दों के इतर
इक भावना बहती है
शीतल मंद बहते समीर सरीखें 
गर्मियों की दुपहरी में 
शीतलता देती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
ना ख़ामोशी सताती
ना कोई कमी खलती है
मन का पाँखी पर फैलाएं
कल्पना लोक में विचरती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है
संगीत की लय सी
धमनियों में रक्त बन 
हृदय को झंकृत करती है
होती ना चाह जिसे लिख देने की
ना आरज़ू कि कोई पढ़े इसे
ये अन्तःमन में 
रजनीगंधा सी महकती है
शब्दों के इतर 
इक भावना बहती है

शब्दों के इतर इक भावना बहती है......!!!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

#कथरी

ठंड बहुत हैं माँ!!!भेज दें ना माँ! मुझे वहीं कथरी; जो तूने सिया था मेरे बचपन में अपनी पुरानी साड़ियों से; हाँ! वहीं कथरी..जिसमें लगाया था तूने ममता का निःस्वार्थ आँचल और वात्सल्य के मज़बूत धागे..भेज दे ना माँ मुझे वहीं कथरी जिसमें हो तेरे तन की गर्माहट ओ ममता का आँचल जिसमें छुपाकर मुझे छाती से लगाकर मेरा भूख प्यास तृप्त करती थी,,जिसमें अपने आँसू छुपाकर मेरे आँसू पोछती थी,,उसी आँचल तले मुझे थपकी देकर सुलाती थी..ठंड बहुत है माँ!!! भेज दें ना माँ!!! मुझे वही कथरी,,पता नहीं कब से सुकून की नींद सोई नहीं मैं माँ!!!...क्योंकि पैसे से ख़रीदी बनावटी मखमली रजाई कंबल में मिलती नहीं ओ सुकूँ; ओ वात्सल्य की अनुभूति और ना ही तेरे सानिध्य की गर्माहट,, क्योंकि बनाने वाले ने लगाया ही नहीं वह  मटेरियल जिसमें हो तेरे ममता का निःस्वार्थ आँचल ,ना ही स्नेह के मज़बूत धागे ,ना ही तेरा सानिध्य और ना ही तेरे तन की गर्माहट,,जिसमें सुनाई पड़ते है तो केवल सिक्कों की खनखनाहट जो मुझे सुकूँ से सोने नहीं देते..पता नहीं कब से सोई नहीं मैं माँ; सुकूँ की नींद सोना चाहती हूँ माँ !!! भेज दें ना माँ!!! मुझे वहीं कथरी....!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

गन्तव्य साधे बैठी ज़रा आहट हो तेरे कदमों का |
चार कदम चलों तो सही क्या ही बात रस्मों का |
सुलझन हो कैसे, जब उलझे सारे धागे जीवन के ,
ना कुरेदों पुरानी बातों को बातें हो ताज़े ज़ख़्मों का |

©निष्ठा तिवारी'निशि'

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

दिसंबर बितते बितते,
कुछ लोग बिछड़ जाएंगे...
कुछ साथ चलेंगे
कुछ पीछे छूट जाएंगे
कोई याद रह जाएंगे
कोई भूला दिये जायेंगे

नये साल में फ़िर से,
उम्मीदों के फ़ूल खिलेंगे
नये यार नये दोस्त मिलेंगे
वादे किये जायेंगे
कसमें खाएँगे,
जब तक जियेंगे साथ रहेंगे
जब तक जियेंगे साथ रहेंगे

देखना दोस्तों कही वादे कसमे
झूठी ना रह जाये,
वादा किये हो तो उसे,
दिल से निभाया जाये..
क्यूंकि सच्चे और अच्छे दोस्त,
बड़ी मुश्किल से मिलते है..
ग़र एक बार बिछड़ जाये,
तो वापस लौटना मुश्किल ना हो जाये..!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

तन्हाईयाँ डराती नहीं ,
उदासियाँ रुलाती नहीं ,
मित्रता शब्दों से जब ,,,
ग़म के सायें आसपास
फ़टकते नहीं..….....
ये सरसराती हवा,
ये खुलीं फ़िज़ा,,,,,
छू लेते अन्तर्मन के
पोर पोर को.......
काफ़ी है जो मन की तलहटी में
ग़हरी सेंध करने को,,,,,,
जहाँ से प्रस्फुटित होते 
शब्दों का लावा........
जो चमकते है पन्नों पर ,
लेकर खूबसूरत तहरीरों का स्वरूप....
ये कारीगरी ही तो है शब्दों का,
जिसके होने से छँट जाते सायें
तमाम ,,,उदासियाँ के........
तवज़्ज़ो नहीं बे'फज़ूल बातों का,
फ़िर समझें चाहें कोई 
गुस्ताखियाँ इसे...........!!!!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

#बिछड़े_यार_मिले😍❤️

बरसों के बिछड़े यार मिले
हाय पुराने दिलदार मिले है
यादें ताज़ा हुए सारे
स्कूल कॉलेज के वो दिन
हर रोज़ होती थी मुलाकातें
रह न पाते थे एकदूजे के बिन
पढ़ाई-लिखाई नोट्स शेयर होते थे
कोई चैप्टर समझ न आए
तो दूजा समझाने हाज़िर होते थे
कितना ख़ुशनुमा दौर था वह
दोस्तों के संग जीवन के सारे
चैप्टर सॉल्व होते थे....
कभी जो हो जाते उदास
तो दोस्त रहते दिल के पास
कर लेते बेधड़क दिल की बात
दोस्तों के बीच कभी ना आया जात-पात
साथ लंच बॉक्स शेयर किए
एकदूजे का कितना केयर किए
साथ खेले-कूदे मस्त रहे
एकदूजे संग हम व्यस्त रहे
एक दौर आया जब हमसब
बिछड़ गए......
अपने-अपने नये जीवन मे
रम गए......
बरसो बाद फ़िर से यारों की याद आई
इंटरनेट का कमाल देखों भाई
बिछड़े यार कनेक्ट हुए
कांटेक्ट लिस्ट में ऐड हुए
व्हाट्सएप पर ग्रुप बना
नई पुरानी बातों का सिलसिला शुरू हुआ
अबके जो मिले कभी न बिछड़ेंगे
यारों ये वादा रहा...!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

ग़र अधर मूक है ज्ञात हो भाषा चक्षु की !
क्यूँ नीलाभ रोया  मूल्य जानो  अश्रु की !!

©NishthaTiwari'Nishi' #Her
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NishthaTiwari'Nishi'

वो शाम हसरतों भरी नूरानी शाम,
हौले से शर्वरी के आग़ोश में खो रही
अरमानी शाम......!
तुलसी चौरे का वो एक जलता दीपक
बिखेरता उजास चहुँ ओर,
तारों के रथ पर जैसे आई हो 
सुहानी शाम........!!
लौट आए नीड़ में अपने
वो पाँखियों का झुंड,
तुम भी लौट आओ घर को अपने,
कह रही वो सयानी शाम............!!!
क़िताबों में लफ़्ज़ -लफ़्ज़ महफ़ूज़ दास्तां
कुछ अधूरी , कुछ पूरी सी 
मानो,,,,,,,
कह रही हो 'निशि'दिन वहीं कहानी शाम..!!!!
फ़लक पे चाँद तारे रोशन हो रहे,
एक नये दिन के इंतज़ार में
ढल रही रूहानी शाम........................!!!!!

©NishthaTiwari'Nishi'
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NishthaTiwari'Nishi'

वक्त के साथ सारे सवाल  ज़वाब बन गये ,
छोटी-छोटी कहानियों से क़िताब बन गये !

पुरानी डायरी  में  कुछ   ख़त  मिले  जज़्बातों के ,
टुकड़ों में दबी स्मृतियाँ एकसार हो ग़ुलाब बन गये !

भीख में मांगी  मोहलत  उन्हीं से  उनके वक़्त  का ,
इंतज़ार में गुज़रे तन्हा लम्हें जो  बे'हिसाब बन गये !

पर्दादारी  में कुछ  चेहरे  रखे थे  मुखौटों के भीतर ,
करतूतों से पर्दा हटा सारे नक़ाब बे'नक़ाब बन गये !

इश्क़ का चंद लम्हा देकर उम्र भर की तन्हाई दे गए ,
कभी ओझल न होते थे नज़रों से जो ख़्वाब बन गये !

मंज़िल का पता ना था फिर भी साथ चल पड़े थे उनके ,
टूटा भरोसा उम्रभर की मिली जो रुसवाई ख़िताब बन गये !

©NishthaTiwari'Nishi' #standout
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