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msfutera5289
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एमएस उदय

I'm a student, I'm like poetry writing, singing,painting and reading

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एमएस उदय

---#आंशू सभी के एक होते हैं#---

ईराक ईरान का झगड़ा है
अमेरिका अफगान का झगड़ा है
रूस यूक्रेन का झगड़ा है
उन देशों का झगड़ा है
विदेशों का झगड़ा है 
हमें क्या करना

शहरों से उठता धुंआ
नीले आकाश में मिशायलें
राख होते शहर
बच्चों की चीखें,मांओं की पुकारें
खौफ का आलम
मौत के ढेरों पर विलाप

पूरव से पश्चिम,उत्तर से दक्षिण
चीखें सभी की एक होती हैं
आंशू सभी के एक होते हैं

                           -एम एस "अशोकनगर"

©एमएस उदय #chains
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एमएस उदय

-#प्रेस बयान#-

25 फ़रवरी 2022
अखिल भारतीय कमिटी AIDSO

रुस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे हमले और दुनिया में अपना वर्चस्व क़ायम करने के मक़सद से साम्राज्यवादी ताक़तों द्वारा छेड़े जा रही लड़ाइयों की कठोर निंदा

AIDSO के महासचिव सौरभ घोष ने प्रेस को निम्न बयान जारी कर कहा:

“यूक्रेन से आ रही हृदयविदारक खबरों व तस्वीरों ने पूरी दुनिया के संवेदनशील तबके को झकझोर कर रख दिया है। कुछ ही पलों में सैंकड़ों लोग मारे गए, घायल हुए और बेघर हो गए। यह अमेरिकी साम्राज्यवाद और रुसी साम्राज्यवाद के बीच लम्बे समय से चले रहे   दुनिया में अपना-अपना वर्चस्व क़ायम करने के संघर्ष का ही नतीजा है। यह युद्ध दरअसल संकटग्रस्त पूँजीवादी-साम्राज्यवादी ताकतों को किसी भी तरीक़े से जीवित रखने की एक कोशिश है।

पूरी दुनिया में आज बेरोज़गारी, छँटनी, अशिक्षा और सामाजिक असुरक्षा ने मौजूदा व्यवस्था के ख़िलाफ़ लोगों में एक ज़बरदस्त रोष पैदा कर दिया है। यह इन समस्याओं की तरफ़ से लोगों का ध्यान भटकाने की भी एक कोशिश है।

इस युद्ध से आम आवाम का कुछ भला होना तो दूर, उन्हें इस युद्ध का भयंकर दंश झेलना होगा। आम जन-जीवन तबाह हो रहा है। शिक्षा, व्यवसाय, चिकित्सा व्यवस्था हर जगह इस युद्ध का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। 

AIDSO इस युद्ध का पुरजोर विरोध करता है और भारत समेत पूरी दुनिया की आम जनता, विशेषकर छात्रों का आह्वान करता है कि वे एक मजबूत युद्ध विरोधी शांति आंदोलन का निर्माण करने के लिए आगे आयें। हम भारत सरकार से भी आग्रह करते हैं कि यूक्रेन में फँसे भारतीय जनता और छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें और अविलम्ब उन्हें सुरक्षित वापस लाने की व्यवस्था करें।

                                                                               जारीकर्ता
                                                                          शिबाशीष प्रहराज
                                                                           (कार्यालय सचिव) 
                                                                 AIDSO, अखिल भारतीय कमिटी

©एमएस उदय
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एमएस उदय

#Kathakaar
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एमएस उदय

हाॅस्टल के गेट पर बंदूकों की ठोकरें

ओ भाई वाॅक पर चलो सुबह के चार बज गए
ओ भाई जल्दी चलो कोचिंग का टाईम हो गया
ओ भाई कितना पढ़ोगे रात का ढ़ाई बज गया
ओ भाई पापा का फोन था जेवर रखकर फीस ला रहे हैं
ओ भाई मां ने क्या बनाकर भेजा है हमें नहीं खिलाओगे  

यही आवाजें आती थीं हमारे गेट पर अक्सर
पर उस दिन मानो मौत नाच रही थी हमारे दरवाजों पर 
अनगिनत गालियां और खूंखार सी आवाजें

अपनों के अरमानों को पूरा करने का हमने क्यों सोचा
बहन की शादी घर की खुशी का सपना हमने क्यों देखा
देखा तो देखा कुर्सी से सवाल करने की हिमाकत कैंसे की
शायद यही पूछ रहीं थीं 
हाॅस्टल के गेट पर बंदूकों की धड़ा-धड ठोकरें
                                          -एमएस 'अशोकनगर'

©एमएस उदय
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एमएस उदय

वही है आलम वही नीतियां,कितनी सांसे सीख रही
क्या हुआ उस कुर्बानी का, सांझी सहादत पूछ रही 

जिसकी खातिर गोली खाई,जिसकी खातिर घर छोड़ा
झूल गए फांसी के फंदे,मौत से हरदम नाता जोड़ा
कितनी फांसी कितने फंदे,पूछ रहे हैं फिर तुमसे
याद है क्या कुछ भी तुमको,या सारी बातें भूल गए

कितने ऐसे बचपन थे,जो अपना बचपन भूले थे
खुदीराम भगत सिंह को देखो,कैसे फांसी झूले थे
क्या-क्या याद रहा है तुमको,उनकी बगावत पूछ रही 
भूल गए क्या सारी यादें,सांझी सहादत पूछ रही

अशफाक हैं मुस्लिम,बिस्मिल हिंदू,अंग्रेज न उनको बांट सके
हिंदू मुस्लिम सभी एक हैं,न उनकी,ये भावना काट सके
आज वो एकता पूछ रही है,चीख चीखकर फिर तुमसे
 बंटवारे फिर क्यों जिंदा हैं,यही सवाल है फिर तुमसे

कहां लेकर पहुंचेगी,ये नफरत की दुनिया तुमको
कहां सांस लेने देगी ,ये बंटवारे की हिंसा तुमको
जाति और धर्म की हिंसा,इंसा को कैंसे कुचल रही
दंगों की क्यों साजिश फैली,सांझी शहादत पूछ रही

गलत बहुत है दिखता भी है,दिखने कहने से क्या होगा
चैन अमन तो सब खोया है ,ये कहने से क्या होगा
देखोगे और सुनोगे ,या फिर बदल के इसको रख दोगे
युवा तुम कब तक जागोगे,सांझी शहादत पूछ रही
                                 -एमएस "अशोकनगर"

©एमएस उदय
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एमएस उदय

पूंजीवादी जहां भी शासन रहता है
 किसान मजदूर का वहां शौषण रहता है.

उनके महल भरे रहते हैं धन दौलत से 
गरीबों के घर में ना खाने का राशन रहता है.

 हर साल होता है एलान खैरातो का 
जनता की खाते में तो सिर्फ़ भाषण रहता है.

 रियाया तक रियायत पहुंचे नहीं पहुंचे
 अफसरों का मगर तय कमीशन रहता है.

 जनता का,जनता के द्वारा,जनता के लिए नहीं 
यहां सिर्फ धन्ना सेठों के लिए सुशासन रहता है.

हमारे घरों में नही मयस्सर जरा सी रोशनी देखो
उनके आरामगाहो मे चिराग हमेशा रोशन रहताहे.  

हे लोकतंत्र में रहती जिनके पास पूंजी
 उनकी जेब में  हमेशा प्रशासन रहता है.

लोगो ने बदले हैं तख्त ओ ताज इतिहास मे देखो 
होजाए एकहम तो ज्यादा दिन कहाँ ये कुशासन रहता ह
    
          नरेन्द्र जायसवाल

©एमएस उदय #Hope
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एमएस उदय

पगड़ियां संभालने किसान आए थे 

लेकर जान हथेली पर तमाम आये थे।
रख कर दिल में हौसला ये किसान आये थे।।

झुकाकर ही लौटेंगे सिर गुरूर का ।
वह अपने घर से यही ठान आये थे।।

इधर उधर की बातों में वो उलझे नहीं।
हाथों पर दरारें जिसने दी थी।
उसे वो पहचान आये थे।।

इज्जत हमारे गांव की नीलम कर देगा कोई।
अपनी पगड़ियां संभालने किसान आए थे।।
                 -कृष्णा बैरागी'अशोकनगर'

©एमएस उदय
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एमएस उदय

वो कहते थे आतंकवादी हैं

हां क्रांतिकारीयों को आतकंवादी कहा जाता हैं
शहीदों को भी कहा गया था

वो कहते थे आंदोलन जीवी है 
हां क्रांतिकारी आंदोलन जीवी होते हैं 
देश भी आंदोलन से आजाद हुआ था

वो कहते थे कुछ किसान है
हां हमें पता है आप कितना करते सम्मान है
साहब ये कुछ किसान नहीं सारा हिन्दुस्तान हैं

वो कहते थे आंदोलन करने से कुछ नहीं होता
हां हमनें देखा हैं 
सडकों पर बैठने से बहुत कुछ होता हैं 
सडकों पर बैठने से 
इतिहास बदलता भी हैं बनता भी हैं। 
              -विक्की अशोक नगर
                    08/12/21

©एमएस उदय
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एमएस उदय

-: खेती बचाने निकले थे,आज मोर्चे लौट रहे:-

हो आई जीत सभी की,गांव में सारे झूम रहे।
खेती बचाने निकले थे,आज मोर्चे लौट रहे।।

गांव में जैंसे आई दिवाली,बच्चे भंगडे पा रहे।
गाते और बजाते देखो,ट्रेक्टर चलते आ रहे।।

कितने घर कितने बच्चे,उनके आंसू रूकते न।
आंगन सूने देखो तो,अपनों का रस्ता देख रहे।।

इतनी आंखें नम फिर भी,आज वैशाखी लगती है।
इसका कोई दुख भी नहीं,कुछ अपने उनसे बिछड गए।।

कितना जुलुम करेगा जालिम,कदम न इससे डिगते हैं।
जब लड़ने का जज्बा हो अंदर,जालिम भी पीछे हटते हैं।।

लड़ना हो तो लड़ो निड़र हो,क्या लाठी क्या बंदूकें।
फिर जीत भी होकर रहती,रस्ते भले विपरीत रहे।। 
                                  -एमएस 'अशोकनगर'

©एमएस उदय
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एमएस उदय

-:दो कट्टी यूरिया:- 

दिन में रात में,धूप में ठंठ में
बैठकर खड़े हुए,आपस में लड़े हुए,
मन उदास,खाली पेट,मिन्नतें हजार सी
सुन रहा पर आ रहा,खेत उसे बुला रहा
सूख रहे खेत में,आशाएं भी सूखती 
कई दिनों कई सप्ताह,एक माह दो दो माह

उन्हीं चौराहों उन्हीं सड़कों पर
जहां सजते हैं जनसभाओं के मंच
जिन सड़कों पर,सैकड़ों कारों के रोड शो होते हैं 
जहां लगते हैं, सत्ताधीशों के लिए गगनभेदी नारे
जो सड़कें कभी,दुल्हन बनी होती उनके स्वागतों में
खंभे भरे होते हैं,स्वागतातुरों की बेशर्म शक्लों से
जहां स्वघोषित शुभचिंतक,वोटों का आशीर्वाद मांगते

उन्हीं सड़कों पर,उन्हीं सड़कों पर 
उस वोटर को,अन्नदाता को 
खेत में होने की बजाए,जी जान लगाकर
मां-बहनों को लाईनों में लगाकर
पिछले कई दिनों,सप्ताहों,महीनों से 
मिल रहा है,केवल दो कट्टी यूरिया
                    -एमएस "उदय"अशोकनगर

©एमएस उदय
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