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aachalwasnik0845
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Aachal Wasnik

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Aachal Wasnik

क्या गलती थी मेरी???

जब तुम्हारा मन हुआँ पास आये...
अब जब तुम्हारा मन हुआँ छोड गये...

जब मिलने के मन लगा मिलने बुलायाँ..।
जब मेरा मन हुआँ टाल दियाँ...

एक बार बोल दियाँ होता...
जो आजतक हुआँ शायद नही हुआँ होता...

किस गलती की मुझे सजा़ मिली 
तुम्हे हद से ज्यादा प्यार करने की...

 क्या ईतना कमजोर था मेरा प्यार? 
जो मौत से लड़ रही थी मै.. 

और मुझे पलभर के लिये देखने का उसे खयाल नही आया..
शायद हाँ क्युकी तुमने प्यार ही नही किया मुझसे  

इसिलिये उस हालत मे भी
मेरा प्यार खिच नही लायाँ उसे..

3 Love

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Aachal Wasnik

एक राजा था एक रानी थी..
फिर उसने धोके की ठानी..
अब आयी हमारी बारी..
हमने भी शायरी बना डा़ली...

6 Love

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Aachal Wasnik

क्या दिन था..।
वो बिस्तर पर जिदंगी की लडा़ई लड़ रही थी
इधर वो दोस्तो के साथ ईद मना रहा था..
वो दो घुट पानी के लिये तरस रही थी
इधर जना़ब खीर के मेवे का चसखाँ ले रहा था..
वहा वो अकेली मोत से झूजं रही थी 
यहाँ वो दोस्तो का जन्मदीन मना रहा था

7 Love

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Aachal Wasnik

क्या दिन था..।
वो बिस्तर पर जिदंगी की लडा़ई लड़ रही थी
इधर वो दोस्तो के साथ ईद मना रहा था..
वो दो घुट पानी के लिये तरस रही थी
इधर जना़ब खीर का चसखाँ ले रहा था..
वहा वो अकेली मोत से झूजं रही थी 
यहाँ वो दोस्तो का जन्मदीन मना रहा था..

4 Love

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Aachal Wasnik

कलम छिपा लेना कही
मैं सच लिख न जाऊं ।
भूला देना दिये उन जख़मो को
कही वो घाव छुपा न पाऊं ।

6 Love

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Aachal Wasnik

पढ़नेवाले तो बहुत से है
मेरे अल्फाज़ो को...
तलाश तो उनकी है
जो मेरी खामोशी पढ़ सके....।

3 Love

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Aachal Wasnik

चिमुकली ती आई बाबांची लाडाची होती...
खेळता-खेळता तिला हाक आली...
लगेच न हिचकता काका सारख्या मानसाकडे धावत ती गेली होती...
हातात चाँकलेट देऊन त्यांनी तिला जवळ घेतले...
ती पण काका समझुन त्यांच्या सोबत गेली होती...

एका अंध्याऱ्या खोलीत जेव्हा तिला टाकलं....
गळा दाटून येत होता तिचा..पन रडू ती शकत नव्हती..
त्या बोचणाऱ्या नजरा तिला काहिच करू देत नव्हते...

गिधाडांनी मास तोडत..
चमडी तिची लोळवली..
बांधली नसेल त्यानांही कोणी राखी..
त्यामुळेच त्यांनी दुसऱ्यांची छळली..

ऐकलं होत शिकार फक्त जंगलात होते..
शहरात सुद्धा आता भक्षकांची टोळी फिरते..
शिकार दिसताच  सैतानाची नजर मात्र खिळते...

तिच्या ईच्छा, तिच्या आकांशा..
 एकाच क्षणात मिळाले न धूळीला..
उभं राहायचं होतं तिलाही धैय पूर्ण करायला..
पन खरच तुम्ही तेही लागलेत तोडायला..

काय  चुकी होती त्या चिमुकलीची घडल्या प्रकारात..
मदत नको आता  हवी सर्वाचीं साथ 
त्यानां न्याय मिळावं समाजात.. twinkle... aashifa.....

twinkle... aashifa.....

4 Love

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Aachal Wasnik

अंधेरे ने कबूल कर लिया है सच को..
अब बस सच को उजाला लाना है...

5 Love

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Aachal Wasnik

बदल रहे है खुद को जरा...,
हमे दूर तक जाना है
अभी खामोश रहेने दो जरा,
मेरे अदंर बिखरा आशियाना है....

6 Love

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Aachal Wasnik

क्या पक रही है? 
नेताओं की खिचड़ी....
कोण पक रहा है? 
आम जनता....😃😃

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