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vikasverma6549
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Vikas Verma

15/8/1980

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Vikas Verma

*सांसों की कीमत ?*

भारत में कोरोना संक्रमण से एक 93 साल का बूढ़ा व्यक्ति ठीक हुआ और जब वह अस्पताल से डिस्चार्ज होने लगा तब उसे उस अस्पताल के स्टॉफ ने एक दिन के वेंटिलेटर के इस्तेमाल करने का बिल 3000 रुपए थमा दिया जो किसी कारणवश छूट गया था। जिसे देखकर वह बूढ़ा व्यक्ति ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। उसे देख के डॉक्टर ने उस बूढ़े व्यक्ति को कहा आप रोइए मत, यदि आप यह बिल नहीं भर सकते हैं तो जाने दीजिए।
तब उस बूढ़े व्यक्ति ने एक बात कही जिसे सुनकर सारा स्टॉफ रोने लगे गया। उसने कहा कि मैं बिल की रकम पर नहीं रो रहा और न ही इसे चुकाने में असमर्थ हूँ , मैं यह बिल भर सकता हूँ। मैं तो इसीलिये रो रहा हूँ कि मैं 93 साल से ये सांसें ले रहा हूँ किन्तु मैंने कभी भी उसकी पेमेंट नहीं की। यदि एक दिन के सांस लेने की कीमत 3000 रुपए है तो आपको पता है कि मुझे भगवान को कितनी रकम चुकानी है ? इसके लिए मैंने कभी भी भगवान का धन्यवाद नहीं किया।
ईश्वर का बनाया हुआ संसार, यह शरीर, ये सांसे अनमोल हैं जिसकी पेमेंट हम उसका शुक्रिया करके एवं उसकी स्तुति, प्रार्थना व उपासना करके कर सकते हैं। *सांसों की कीमत ?

*सांसों की कीमत ?

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Vikas Verma

*अंदाज कुछ अलग हैं,*
मेरे सोचने का

सबको मंजिल का शोक हैं.
और मुझे सही रास्तों का.
*ये दुनिया इसलिए बुरी नहीं कीं, 
 यहाॅ बुरे लोग ज्यादा हैं
बल्की इसलिए बुरी हैं कीं,
 यहाॅ अच्छे लोग खामोश हैं. आज एक सुभ विचार

आज एक सुभ विचार

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Vikas Verma

*👌👌*

एक घर मे *पांच दिए* जल रहे थे।

एक दिन पहले एक दिए ने कहा -

इतना जलकर भी *मेरी रोशनी की* लोगो को *कोई कदर* नही है...

तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं।

वह दिया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । 

जानते है वह दिया कौन था ?

वह दिया था *उत्साह* का प्रतीक ।

यह देख दूसरा दिया जो *शांति* का प्रतीक था, कहने लगा -

मुझे भी बुझ जाना चाहिए।

निरंतर *शांति की रोशनी* देने के बावजूद भी *लोग हिंसा कर* रहे है।

और *शांति* का दिया बुझ गया । 

*उत्साह* और *शांति* के दिये के बुझने के बाद, जो तीसरा दिया *हिम्मत* का था, वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया।

*उत्साह*, *शांति* और अब *हिम्मत* के न रहने पर चौथे दिए ने बुझना ही उचित समझा।

*चौथा* दिया *समृद्धि* का प्रतीक था।

सभी दिए बुझने के बाद केवल *पांचवां दिया* *अकेला ही जल* रहा था।

हालांकि पांचवां दिया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह *निरंतर जल रहा* था।
 
तब उस घर मे एक *लड़के* ने प्रवेश किया।

उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ *एक ही दिया* जल रहा है।

वह खुशी से झूम उठा।

चार दिए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ।

यह सोचकर कि *कम से कम* एक दिया तो जल रहा है।

उसने तुरंत *पांचवां दिया उठाया* और बाकी के चार दिए *फिर से* जला दिए ।

जानते है वह *पांचवां अनोखा दिया* कौन सा था ?

वह था *उम्मीद* का दिया...

इसलिए *अपने घर में* अपने *मन में* हमेशा उम्मीद का दिया जलाए रखिये ।

चाहे *सब दिए बुझ जाए* लेकिन *उम्मीद का दिया* नही बुझना चाहिए ।

ये एक ही दिया *काफी* है बाकी *सब दियों* को जलाने के लिए ......✍🏻🍃🍂🍃🍂🍃

👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 एक घर मे जलते पाच दीयो की कहानी

एक घर मे जलते पाच दीयो की कहानी

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Vikas Verma

अटल जी कविता

अटल जी कविता #nojotovideo


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