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shivamsonisharif8881
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Shivamsoni 'sharif'

तुफानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो मल्लाहो का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो फूलो की दुकाने खोलो, खुशबु का व्यापर करो इश्क खता हैं, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो

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Shivamsoni 'sharif'

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

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Shivamsoni 'sharif'

मुझे जचती ही नहीं और किसी की सूरत
जब ख़याल आता है तेरा ही ख़याल आता है
☺☺☺

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Shivamsoni 'sharif'

कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
shivam

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Shivamsoni 'sharif'

उसकी याद आई है,
सांसों जरा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ती है।

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Shivamsoni 'sharif'

कल तक उड़ती थी जो मुंह तक,
आज पैरों से लिपट गई
चंद बूंदें क्या बरसी बरसात की,
धूल की फितरत ही बदल गई...

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Shivamsoni 'sharif'

उसे भी मालूम है. कि लाजवाब हैं हम...!!
फ़िक्र है सब को खुद को सही साबित करने की.☺

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Shivamsoni 'sharif'

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

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Shivamsoni 'sharif'

फ़रिश्ते आके उनके जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं

अँधेरी रात में अक्सर सुनहरी मिशअलें ले कर
परिन्दों की मुसीबत का पता जुगनू लगाते हैं 

दिलों का हाल आसानी से कब मालूम होता है
कि पेशानी पे चन्दन तो सभी साधू लगाते हैं
shivam

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Shivamsoni 'sharif'

मुझसे बिछड़ के आप भी रोएँगे बहुत
छुपा-छुपा के ही दामन भिगोएँगे बहुत

ये तालुक्कात पल दो पल का तो नहीं
जब आप समझेंगे तो शोर उठाएँगे बहुत

क्या जवाब देंगें सूखे लबों,बेसुर्ख गालों का
आईने से खुद का ही चेहरा छुपाएँगे बहुत

हर शाम चाँद निकलने का इंतज़ार होगा
और फिर उसी गली में दौड़ के आएँगे बहुत

मत पढ़िएगा मेरे पुराने ख़तों को यूँ ही
वर्ना बेवजह खुद को तड़पता पाएँगे बहुत
 shivam

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Shivamsoni 'sharif'

धूप निकली है बारिशों के बाद
वो अभी रो के मुस्कुराए हैं

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