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पूर्वार्थ

पूर्वाथ

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पूर्वार्थ

काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
जीवित रहते हाल न पूंछा, तस्वीरों पर हार चढ़ाते हैं
मात - पिता को पानी न देते, भंडारे करवाते है
हक़ मारते भाई, बहन का, दानवीर कहलाते है
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं

कितने त्याग हैं मात पिता के ,कभी नहीं दर्शाते हैं
अपनी क्षुधा सहन लेते , बच्चों को खिलाते हैं
निद्रा पूर्ति हेतु बच्चों की,अपनी रातें गँवाते हैं
आवश्यक हो जावे तो,कर्जा भी ले आते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं

सभी संतानों को वो पालते, कभी नहीं घबराते है
मात पिता हमसे ना पलते, वो दुत्कारे जाते हैं
कुत्तों को घर में रखते हैं, आधुनिक बन जाते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं

©पूर्वार्थ
  #oddone

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पूर्वार्थ

suno

पहले अपनाया खार फूलों का
तब कही पाया प्यार फूलों का

में भी गुलशन समेट लाया हूं
उसने मांगा था हार फूलों का

याद आती है उसकी मत छेड़ो
जिक्र करना यूं बार बार फूलों का

तुझसे मिलने के बाद ये जाना
किस के हाथ है गुलदस्ता फूलों का

फेल जा बन के खुशबू गुलशन मैं
छीन ले अख्तियार फूलों का

तेरी खुशबू से तो चलता है 
आजकल रोजगार फूलों का

दे कर इजहार ए इश्क करते है
उससे समझी अहमियत फूलों का

❤️🔥❤️

©पूर्वार्थ #oddone
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पूर्वार्थ

दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर में वहाँ लौट आते हैं ।
आप अगर किसी के साथ गलत कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं वो ही 
स्थिति आप अपने लिए बुन रहे होते हैं । दूसरों को दुःख में देखकर अगर
 आपके होंठों से हंसी फूट पड़ रही है तो आप निश्चय ही अपनी खुशियों का सौदा
 कर रहे हैं.... भयावह त्रासदियों से । किसी के साथ गलत करने के बाद आप 
अपनी बारी का इंतज़ार जरूर करें ।सभी शास्त्रों का सार यही कहता है प्रकृति का
 स्वभाव है कि वो  आपका किया आपको ही लौटा देती है । अब तय आपको करना 
है कि कर्म के बीज से मनोभूमि पर कैसी फसल उगानी है जिससे खुशहाली की
 खेप काटी जा सके । खैर हँसी आती है कुछ लोगों पर जो खुद को नियति से ज्यादा 
चालाक समझते हैं इन्हें भान तक नहीं कि नियति इनकी हर चाल बारीकी से परख रही है
  ।  आपसे ऊपर भी कोई है जो मुस्कुरा रहा है आपकी मूर्खताओं पर जिन्हें आप
 चालाकी समझ रहे हैं। नियति सबके साथ प्रपंच रचती है सबको समान रूप से
 स्थितियां वितरित करती है । धैर्य रखिए आपको वही विरासत में मिलेंगी ।
  आप उससे धोखा नहीं कर सकते  ।  .......भरोसा रखिए प्रकृति आपको
 आपका  सब लौटा देगी एक रोज 

Karma has no menu ,you get served what you do

©पूर्वार्थ
  #longdrive
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पूर्वार्थ

Love on rebound...
If we have not resolved (healed) the pain and trouble in
 our last relationship, the new one will be plagued with the same issues.
So often, this thing called love is only a reflection of what we are 
missing in ourselves -and it’s so hard to see in the heat of the moment
. Eventually, the missing pieces come out roaring, disturbed, and
 unresolved - and the person we have fallen for becomes a victim of
 our past by carrying our stuff.
“Aerate your emotions. “ - Lyanda Haupt
It is not fair at all if we entangle someone in our darkness.
We have to unite, light up the dark corners, and give ourselves time
 to reconcile the difficulties we have had or they will simply resurface in 
a different form -and this isn’t healthy or sane.
When you can be with yourself, know you have healed yourself, and love 
where you are and where you have been without a twisted feeling, you wil
l be ready to open again - and the next love won’t have to carry any old baggage.
-debbie lynn

"May we all heal from the things we don’t speak about."

©पूर्वार्थ
  #longdrive

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पूर्वार्थ

सुनो दिकु....

होली की रंग-बिरंगी धूम मची है
तुम बिन यह जीवन मुजे खल रहा है।
तुम्हारी यादें छूने लगी इस दिल को
उम्मीदों के दीप में प्रेम जल रहा है।

रंगों की बारिश में भीग जाऊं,  
प्रेम भर उनके संग में खिल जाऊं।  
हर पल तुम्हारी मुस्कान को याद कर उस में डूबा हूँ मैं, 
जी करता है एकदूजे के आलिंगन में मिल जाऊं।

तुम्हारी आँखों में खोया रहूं हरपल,  
तुम्हारी मीठी बातों में पिघल जाऊं।  
होली की धूप में तुम्हारी छाया मिले मुज़े,  
तुम्हारे साथ हर रंग में खुशबू को बिखराऊं।

फिर से पुकारूँ तुम्हें ख्वाबों में,  
होली की मिठास में घुल जाऊं।  
धीरे-धीरे खो रहा हूँ मैं खुद को,  
दिकुप्रेम की छोटी सी दुनिया में सारा संसार भूल जाऊं।

कब आओगी? बस यही सोच से मन मष्तिष्क से मल रहा है।
अब देर ना करो दिकु,
उम्मीदों के दीप में प्रेम बार बार जल रहा है।

*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

©पूर्वार्थ
  #Holi

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पूर्वार्थ

पुराना कुछ भूलने के लिए,

रोज़ कुछ नया लिखना पड़ता है,

नज़र ना आ जायें बेचैनियां किसी को,

इसलिए कल से थोड़ा बेहतर दिखना पड़ता है,

गलती से भी किसी को तकलीफ ना दें दे,

इसलिए कभी कभी बेवजह झुकना पड़ता है,

दिल का बोझ जुबां पे ना आ जाए,

इसलिए रोज़ थोड़ा थोड़ा घुटना पड़ता है,

जो सपने चाह कर भी हासिल ना हो सके,

उनकी याद में रोज़ थोड़ा थोड़ा मिटना पड़ता है,

ये तन्हाईयां कहीं पसंद ना आने लगे,

इसलिए ग़ैरों के साथ भी टिकना पड़ता है......

©पूर्वार्थ
  #holikadahan
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पूर्वार्थ

हममें से लगभग प्रत्येक की स्थिति यही है हम चोट सहकर भी अपने प्रिय को दुलारते रहते हैं और उसकी ओर से सदैव दुत्कार ही मिलती है । हम उस रिश्ते का अंत आरम्भ  और भविष्य सब जानते हैं फिर भी आखिरी सांस तक कोशिश करते रहते हैं .... ये संघर्ष पीढ़ी दर पीढ़ी आगे भी चलता रहेगा । ये नियति का सबसे भयावह दुष्चक्र है जिसका तोड़ मनुष्य, ईश्वर में से किसी के पास नहीं है ।  हम दुत्कारे जाएंगे ....ठुकराए जाएंगे पर हमारी जिजीविषा मृतपर्याय होकर भी ऐसे लोगो के लिए शेष रहेगी । दुत्कारने वाले के हाथ कांपेंगे जरूर पर रुकेंगे नहीं ना उनकी घृणा, अफसोस प्रेम में कभी परिवर्तित हो पाएंगे ....। सदैव दुःख का स्रोत रहे लोग प्रेम का संगम नहीं हो सकते ये बात जानते हुए भी सृष्टि के अंत तक भी प्रयास किए जाते रहेंगे प्रेम को बचाने के .... ये ही त्रासदी  है और प्रेम की खूबसूरती भी .......। आपके पास प्रेम के बाद जीने का विकल्प नहीं बचता  शायद ....

#विरह

©पूर्वार्थ #holikadahan
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पूर्वार्थ

Autumn चैटिंग का युग

चैटिंग का दौर है, संवाद बदल गया, शॉर्टकट और हिंग्लिश ने भाषा को ढल दिया। 
संदेश भेजा, फिर पूछना पड़ा, "क्या लिखा है तुमने?" - अजब गजब युग है!

भाषा का सार, अर्थ, भाव, सब खो गया, सहूलियत के नाम पर, भाषा को कुचल दिया। 
हिंदी की मधुरता, अब ढूंढे कहां? इमोजी और स्टिकर ने भावनाओं को बदल दिया।

बातचीत कम हो गई, चैटिंग बढ़ी, वाणी का स्वर खो गया, टाइपिंग बढ़ी।
 शब्दों का खेल, अब कहां दिखे? "LOL" और "OMG" ने भाषा को क्षीण कर दिया।

यह युग है सहूलियत का, भाषा हो गई आसान, पर क्या खोया है हमने, सोचने की ज़रूरत है।
 हिंदी भाषा का सम्मान, हमें करना होगा, नहीं तो भाषा का ह्रास, हमें रोकना होगा।

आओ मिलकर, भाषा को बचाएं, हिंदी भाषा का गौरव, हम फिर से लाएं।

©पूर्वार्थ #autumn
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पूर्वार्थ

Autumn चैटिंग के दौर में

चैटिंग के दौर ने संवाद की भाषा को बदल दिया है, शॉर्टकट और हिंग्लिश का जमाना है।

अब संवाद में किए संदेश को भी भेजने वाले से पूछना पड़ता है, "क्या लिखा है तुमने?"

अजब गजब युग है, जहाँ भाषा को भी सहूलियत के लिए अर्थहीन और सरल बना दिया गया है।

कहां गई वो भाषा, जो भावनाओं को व्यक्त करती थी?

कहां गए वो शब्द, जो दिल को छू जाते थे?

अब तो सब कुछ emoji में बदल गया है, और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों की जरूरत ही नहीं रही।

लेकिन क्या यह सचमुच प्रगति है? क्या यह भाषा का विकास है?

या यह भाषा का पतन है?

यह तो समय ही बताएगा।

लेकिन एक बात तो तय है, कि चैटिंग के दौर में भाषा का स्वरूप बदल गया है।

और यह बदलाव अच्छा है या बुरा, यह कहना अभी मुश्किल है।

लेकिन हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होगा, और इसके साथ तालमेल बिठाना होगा।

क्योंकि यह बदलाव अब रुकने वाला नहीं है।

©पूर्वार्थ #autumn
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पूर्वार्थ

कोई क्या मिलाएगा खाक में उन्हें हसरत
जिन्होंने उस खाक को जिंदा कर दिया 

भगत सिंह जी पुण्यतिथि 🙏🙏

©पूर्वार्थ
  #shaheeddiwas

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