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पूर्वार्थ

पूर्वाथ

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पूर्वार्थ

White कविता: यह अंत है या शुरुआत है...।

समय का पहिया चल रहा,
हम काल की सीढ़ी चढ़ रहे।
विज्ञान आगे बढ़ रहा,
संस्कार पीछे जा रहे।
                  पर हम समझ न पा रहे,
                  यह अंत है या शुरुआत है...।।

इंसान आगे बढ़ रहा,
इंसानियत है पिछड़ रही।
मनुष्य संख्या में बढ़ रहे,
पर मनुष्यता भुला रहे।।
                  पर हम समझ न पा रहे,
                  यह अंत है या शुरुआत है...।।

क्या ये दुनिया अब है मर रही?
या नया जन्म है ले रही।
क्या काल पृथ्वी का आ रहा?
या यह इस कलयुग का प्रभाव है।।
                  क्योंकि हम समझ न पा रहे,
                  यह अंत है या शुरूआत है...।।

अब नई आपदाएं आ रहीं,
हाहाकार वे मचा रहीं।
कई लोग इसमे मर रहे,
आगे की सोचकर वे डर रहे।।
                     पर हम समझ न पा रहे,
                     यह अंत है या शुरुआत है...।।

क्या ये पृथ्वी हमसे कह रही,
कि सुन लो अब मैं मर रही।
युगों से हूँ मैं चल रही,
अब मेरी अंत घड़ी आ रही।।
            पर फिर भी-हम समझ न पा रहे,
                       यह अंत है या शुरुआत है...।।

क्या फिर से सतयुग आएगा,
व मुर्झाया गुलाब फिर खिल जाएगा?
मेरा बस यही सवाल है,
क्योंकि मच रहा बवाल है।।
                       पर हम समझ न पा रहे,
                       यह अंत है या शुरुआत है...।।
                                             -

©पूर्वार्थ
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पूर्वार्थ

दो मन ,दो जीवन ,दो जीवन से जुड़े कितने ही रंग 
हर रंग ,उमंग ,की राग में 
हो ,उलझ उलझ ,फिर ,सुलझ ,सुलझ 
एक भंवर में धँसते जा रहे हैं 
हैं संग संग हैं अलग थलग 
मन पढ़ सके जैसा 
बस वैसा ही इश्क निभा रहें हैं 
दोनों की हैं ज़िम्मेदारियाँ 
अपनी दोनों के भीगे मन की नदी 
एक हो कर भी ,दो मन ,खुद को 
एक दूसरे से ,दूर ही पा रहे हैं 
सच कहूँ तो स्त्रियांतलाशती हैंघर,
अजनबी शहर की बाहों में..
औऱ
पुरुष ईंट पत्थर इक्कट्ठे में मशगूल हो
सब खो जाते हैं
न घर मिलता किसी को,न मिलता सुकूँ
दिल,दोनों ही पत्थर से हो जाते हैं
दोनों की ही अपनी ज़िम्मेदारियाँ
भारी दोनों ही के ,सपने बड़े
सुकूँ ओढ़ रखे उन्होंने जो हर रँग जीवन
सँग सँग हैं खड़े
तुम प्रेम ईश्वर प्रकृति के साथ कभी
मन का मर्म समझना
जो पढ़ सको तो पढ़ लेना
बोल फलक से बात करना
क्या पता
ज़िन्दगी के कच्चे पके  रँग
फिर से  सँग सँग हंसने रुलाने लगे
ज़िन्दगी फिर एक दफा सँग सँग
मुस्कुराने लगे।।

©पूर्वार्थ
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पूर्वार्थ

Google मनमोहन सिंह: एक युगपुरुष का विदाई गीत
सुनाई दी जब यह दुखद खबर,मन अशांत हुआ, थम गया सब सफर।
एक युगपुरुष, जो इतिहास में अमर,आज छोड़ गए हमें, हुआ हृदय पर असर।
अर्थशास्त्र के ज्ञानी, थे ज्ञान के दीप,देश की अर्थव्यवस्था को दिया नया रूप।
हर नीति में था विकास का मंत्र,उनके प्रयासों से बना भारत सशक्त।
एक साधारण व्यक्तित्व, पर अद्भुत विचार,
सपनों को दिया उन्होंने साकार।
न झुके कभी दबाव में, न रुके संघर्ष में,हर कदम पर दिखाया साहस और धैर्य।
प्रधानमंत्री के रूप में जब थामी बागडोर,हर भारतीय का बढ़ाया उन्होंने गौर।
आर्थिक सुधारों से लिखी नई कहानी,विश्व में बढ़ाई भारत की निशानी।
नवीनता, शांति और विकास के प्रणेता,हर कदम पर रहे देश के हितचिंतक।
उनके निर्णयों में दिखा विवेक और ज्ञान,आज भी गूंजते हैं उनके योगदान के गान।
उनके नेतृत्व ने दिया आत्मनिर्भरता का पाठ,हर भारतीय को सिखाया आत्मसम्मान का साथ।
उनके विचारों की गहराई, उनकी दृष्टि की ऊंचाई,हमेशा प्रेरित करेगी आने वाली पीढ़ाई।
आज विदा लेते हैं, पर स्मृतियां रहेंगी जीवंत,उनके आदर्शों से होगा हर सपना पूर्ण।
मनमोहन, तुम हो अमर हमारे हृदय में,तुम्हारा योगदान रहेगा हर कदम में।
श्रद्धांजलि अर्पित है, तुम्हें हे महान,तुम्हारे बिना अधूरा है भारत का गान।
जगमगाते रहोगे हमारे स्मृति के आकाश में,तुम्हारे कार्यों का प्रकाश रहेगा हर सांस में

©पूर्वार्थ #Manmohan_Singh_Dies
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पूर्वार्थ

Unsplash सफरनामा

जीवन का यह सफर, एक खुली किताब है,
हर पन्ने पर लिखी, कुछ अनकही बात है।
कल कोई मुझको याद करे या न करे,
यह विचार मन में हरदम सवाल सा खड़ा है।

क्यों कोई मुझको याद करे,जब हर कोई अपनी राह में व्यस्त है?
इस दौड़ती-भागती दुनिया में,
कौन अपना वक्त किसी और के वास्ते खर्च करे?

पर क्या सचमुच यादें इतनी मामूली हैं?
क्या यह सिर्फ वक्त का जाया होना है?
या यह वो पुल हैं, जो हमें जोड़ते हैं,
बीते पलों, छूटे रिश्तों और अधूरी ख्वाहिशों से?

सफरनामा यही तो है,हर कदम पर नई कहानी, नया मोड़।
कुछ अपने छूटते जाते हैं,तो कुछ अजनबी अपना बन जाते हैं।

हम सभी इस सफर के मुसाफिर हैं,हर किसी का अपना एक रास्ता है।
कुछ रास्ते साथ चलते हैं,तो कुछ चौराहों पर बिछड़ जाते हैं।

जो याद करता है,वो शायद अपने हिस्से की खुशी ढूंढता है।
जो भूल जाता है,वो शायद दर्द से बचने की कोशिश करता है।

पर क्या यादें सच में भूलाई जा सकती हैं?
क्या बीते लम्हों की छाया से बचा जा सकता है?
शायद नहीं, क्योंकि यही यादें,
हमारे सफर की असली पहचान हैं।

तो अगर कल कोई मुझे याद करे,तो शायद मेरी कहानी का हिस्सा बन जाए।
और अगर न करे,तो भी मेरी कहानी अधूरी नहीं।

क्योंकि हर सफर का एक अंत होता है,और उस अंत में,
यादें ही हमारे साथ रहती हैं।
वो यादें, जो वक्त के बंधन से परे हैं,और जो हमें इस सफर का अर्थ समझाती हैं।

इसलिए,
कल कोई मुझको याद करे या न करे,
यह सफरनामा मेरा अपना है।
और यही मेरी पहचान है।

©पूर्वार्थ #library
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पूर्वार्थ

Unsplash क्यों कोई मुझको याद करे?
क्यों कोई मुझको याद करे,
कैसे कोई फरियाद करे।
मसरूफ़ ज़माना है हर तरफ़,
ख़ुद को क्यों बर्बाद करे।
यादों की चादर ओढ़े हुए,
दिल में दर्द समेटे हुए।
ख़ामोशी का ये आलम है,
हर सपना टूटे हुए।
किसके पास है अब फुर्सत,
जो दिल के हालात समझे।
हर कोई है अपनी धुन में,
कौन पराई बात समझे।
चाहा था जिसे हम दिल से,
वो भी पराया बन बैठा।
अपनों की भीड़ में खोकर,
अपना साया छुप बैठा।
फिर क्यों कोई मुझको याद करे,
कैसे कोई फरियाद करे।
इस दुनिया की उलझनों में,
ख़ुद को क्यों बर्बाद करे।

©पूर्वार्थ #Book
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पूर्वार्थ

White फेक फेमिनिज्म की आधुनिकता"
जहाँ पुरुष अपनी पैंट की,मात्र चैन खुली रह जाने पर
लज्जा में झुक जाते हैं,
वहीं कुछ स्त्रियाँ
अपनी छाती, पीठ, जांघ और कमरदिखाकर गर्व से कहती हैं—
"सिर्फ तुम्हारी सोच गंदी है।"
आधुनिकता का जो झूठा आवरण
ओढ़ लिया है कुछ ने,
उसके पीछे छिपी है
फेक फेमिनिज्म की तस्वीर,
जिसमें स्वतंत्रता का अर्थ है
केवल शरीर को प्रदर्शित करना,
न कि विचारों की आजादी या
स्वाभिमान की समझ।
कहती हैं वे, "तुम्हारी नजरें गंदी हैं,"
पर क्या यह सच है
या सिर्फ समाज को
दोष देने का एक और बहाना?
क्योंकि अगर सच में समानता होती,
तो ये आचरण खुद पर भी लागू होता,
ना कि केवल पुरुषों पर।
क्या आधुनिकता का मतलब सिर्फ इतना है
कि कपड़े कम हों, और विचारों की
गहराई खो जाए?
क्या नारी का अस्तित्व सिर्फ
उसके शरीर के खुलेपन में सिमट गया है,
या उसकी असली ताकत
उसके विचारों की ऊँचाई में है?
फेक फेमिनिज्म की आड़ में
कुछ ने भुला दी है अपनी पहचान,
अपनी संस्कृति, अपनी मर्यादा,
और वो गरिमा जो असली नारीत्व की पहचान थी।
सच की खोज में खोया गया है सम्मान,
और सिर्फ उंगलियाँ उठाने का खेल रह गया है।
अगर सच्ची स्वतंत्रता चाहिए,
तो शरीर नहीं, विचारों को मुक्त करो,
अपनी असली ताकत को पहचानो,
क्योंकि नारी केवल शरीर नहीं,
वो एक सोच है, एक शक्ति है,
जो दुनिया को बदल सकती है।
आधुनिकता के नाम पर
जो फेक फेमिनिज्म की लहर चली है,
उससे निकलकर खुद को
सच में स्वतंत्र करो,
ताकि समाज को दोष देने से पहले
खुद को देख सको।
यही असली नारीत्व है,
यही सच्ची आधुनिकता है।

©पूर्वार्थ #फेमिनिज्म
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पूर्वार्थ

Unsplash तुम लेट सो रहे हो लेट जा रहे हो कुछ किया नहीं दिन भर फिर भी थक रहे हो।
ऐसे होंगे सपने पूरे अपनी जिंदगी के साथ तुम ये कर क्या रहे हो।एक सीजन 
एक दिन में खत्म करना है।टाइम वास्ते हो गया फिर रिग्रेट भी करना है।जहाँ हो
 वही रहना है क्या हमेशा तुम्हें फिर करते रहो स्क्रॉल पुरे दिन अगर यही करना है। 
मीडियोकर लाइफ ही जीनी है तो शिकायत क्यों करते हो ख्वाहिश कम रखो 
फिर अपनी घर मेहनत से डरते हो।न कुछ सीख रहे हो नया तुम ना कोशिश 
कर रहे हो नया करने की बस जितना आता है उसे पकड़ के बैठ गए।आदत हो
 गयी है की काम चलाओ ज़िन्दगी जीने की हमेशा से बेस्ट बनना था तो थकना अफोर्ड नहीं 
कर सकते।आराम कर लो थोड़ी देर पर रुकना अफोर्ड नहीं कर सकते।कितना टालोगे 
चीजों को करना तो पड़ेगा ना बहुत मजा आ रहा है सोने में पर फिर भी जगना तो
 पड़ेगा ना तो क्या कर रहे हो तुम अपने सपनों के लिए मौकेढूंढ ही रहे।हो या बना 
भी रहे हो एक छोटा सा कदम तुम आगे रख कर तो देखो फिर देखो आसमान।
के कितने करीब जा रहे हो ।माना बार बार कोशिश में हार रहे हो। कोई तुमको समझ  नहीं रहा,
सब जज कर रहे है बैठे हो तुमको टोंट दे रहे हो । तुम बस आलसी हो, नाकारा ,नाकाबिल नहीं।
 कीमती पाना है खूब कीमत होगा उसका , चुकाना पड़ेगा अगर तुम उसको जिंदगी में खुद के
 पास रखना चाहते हो।मुफ्त का कुछ नहीं मिले यह लड़ना होगा चलना होगा मंजिल तक उस 
कीमत को अदा करने के लिए। चल एक कोशिश तो करो फिर से। 
तुम चमकोगे मेहनत से सपने पूरे करोगे ।

आलस छोड़ो सफर में निकले जियो जीत में भी , हार कर भी, सीखोगे तभी आगे बढ़ोगे।

मुफ्त का कुछ नहीं है दुनिया में
कीमत चुकाना पड़ेगा चाहिए।
आपका कुछ होना आपके सम्मान ओर पहचान  की वजह है।

"Duniya tumhre failure ki value bhi  tabhi karti hai......
Jab tum successful ho jaate ho "

©पूर्वार्थ #Book
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पूर्वार्थ

Unsplash तुम लेट सो रहे हो लेट जा रहे हो कुछ किया नहीं दिन भर फिर भी थक रहे हो।
ऐसे होंगे सपने पूरे अपनी जिंदगी के साथ तुम ये कर क्या रहे हो।एक सीजन एक दिन में खत्म करना है।
टाइम वास्ते हो गया फिर रिग्रेट भी करना है।जहाँ हो वही रहना है क्या हमेशा तुम्हें
 फिर करते रहो स्क्रॉल पुरे दिन अगर यही करना है। मीडियोकर लाइफ ही जीनी है तो 
शिकायत क्यों करते हो ख्वाहिश कम रखो फिर अपनी घर मेहनत से डरते हो।न कुछ
 सीख रहे हो नया तुम ना कोशिश कर रहे हो नया करने की बस जितना आता है
 उसे पकड़ के बैठ गए।आदत हो गयी है की काम चलाओ ज़िन्दगी जीने की हमेशा से
 बेस्ट बनना था तो थकना अफोर्ड नहीं 
कर सकते।आराम कर लो थोड़ी देर पर रुकना अफोर्ड नहीं कर सकते।कितना टालोगे 
चीजों को करना तो पड़ेगा ना बहुत मजा आ रहा है सोने में पर फिर भी जगना तो पड़ेगा ना 
तो क्या कर रहे हो तुम अपने सपनों के लिए मौकेढूंढ ही रहे।हो या बना भी रहे हो एक
 छोटा सा कदम तुम आगे रख कर तो देखो फिर देखो आसमान।
के कितने करीब जा रहे हो ।माना बार बार कोशिश में हार रहे हो। कोई तुमको समझ  नहीं रहा,
सब जज कर रहे है बैठे हो तुमको टोंट दे रहे हो । तुम बस आलसी हो, नाकारा ,नाकाबिल नहीं। 
कीमती पाना है खूब कीमत होगा उसका , चुकाना पड़ेगा अगर तुम उसको जिंदगी में खुद के 
पास रखना चाहते हो।मुफ्त का कुछ नहीं मिले यह लड़ना होगा चलना होगा मंजिल तक उस 
कीमत को अदा करने के लिए। चल एक कोशिश तो करो फिर से। 
तुम चमकोगे मेहनत से सपने पूरे करोगे ।

आलस छोड़ो सफर में निकले जियो जीत में भी , हार कर भी, सीखोगे तभी आगे बढ़ोगे।

मुफ्त का कुछ नहीं है दुनिया में
कीमत चुकाना पड़ेगा चाहिए।
आपका कुछ होना आपके सम्मान ओर पहचान  की वजह है।

"Duniya tumhre failure ki value bhi  tabhi karti hai......
Jab tum successful ho jaate ho "

©पूर्वार्थ #leafbook
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पूर्वार्थ

White It's ..♥️" Distance + Love " 🤍

मिलों दूर भी एक दास्तान बन जाती है...
फासले हो फिर भी दिल , मिल जाते है
✨
फिर CALL पे बात होती है
आंखे तरस जाती है
प्यास बढ़ जाती है
हम हर पल उसको महसूस करते है
✨
बहुत मुश्किल है ऐसा रिश्ता,
जहां दूर रहकर भी विश्वास करना पड़ता है
✨
छोटा-सा झगड़ा होने पर बेचैनी बढ़ जाती है..
बाहर गया है...किस-किस से मिला होगा
इसी उलझन में रहकर हर वक्त उसका ख्याल रहता है,
उसकी हर कसम-वादों-बातों पर दिल खुद से ज्यादा विश्वास करता है...
✨
वो दूरियां , नज़दीकियों में तब्दील हो जाती है 
वो अज़नबी-सा, एक आवाज में अपना-सा लगता है,
रहता अलग शहर में और दिल में जगह बनाता है...
दुनिया में वही हमदर्द सच्चा-सा नज़र आता है..
✨
हम हर टूटते तारे में उसे मांगते है...
हर ख़्वाइश में उसके ख़्वाब रखते है,
भूख लगे चाहे , नींद हो फिर भी 
सिर्फ़ पहले उसे याद करते है...
कोई मिले ना मिले.. वो एक शख़्स 
मिल जाए कैसे भी.....
बस यही फ़रियाद करते है...
उसका होना ज़रूरी होता है 
✨
वो फांसलो में रहकर भी अपना-सा लगता है
अब वो खुद से ज्यादा जरूरी है.....
सूकूं उसकी आवाज़ से ही मिलती है...
उसे देखने से ही सांसे चलती है...
उसकी एक मुस्कुराहट पर दिल पागल हो जाता है..
✨
आसान नहीं होता रहना, जब ऐसा प्यार हो जाता है
अंजान सा शख्स, जब जान हो जाता है 
खुद का वजूद मिट जाता है आरु...
उसकी क़ीमत झलकती है चेहरे पर 
और वो हमारे शख्सियत की पहचान हो जाता है

©पूर्वार्थ #sad_quotes
31ad3affdc780685f18aea3b46e28da4

पूर्वार्थ

White सपनों की इस आस में,
सफलता की भीनी प्यास में,
कठिनाइयों के वास में,
कहीं भूल खुद को न जाना तुम।

आंखों में सपने लिए,
हाथों में हो पुस्तक लिए,
सफलता की इन राहों पर,
किसी शूल से न टकराना तुम।

कर लो यदि गलती कोई,
भूल तो है सबसे होई,
अपने मन में ग्लानि लिए,
दोषी खुद को न ठहराना तुम।

जीतने की इस  होड़ में,
जिंदगी की कठिन सी दौड़ में,
अग्नि भी मिलेगी धधकती हुई,
कहीं राख ही न बन जाना तुम।

चिड़ियाओं के हल्के शोर में,
तुम जगना सदा ही भोर में,
पर इतना सब करते हुए,
कहीं भूल खुद को न जाना तुम।

©पूर्वार्थ #love_shayari
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