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पूर्वार्थ

पूर्वाथ

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पूर्वार्थ

White मन को स्थिर रखो सदा, चाहे आए आँधियाँ,  
धैर्य रखो हर हाल में, मिटेंगी सब कठिनियाँ।  

जीवन की इस राह में, दुःख-सुख आते जाते,  
जो सहन करना जान ले, वे ही आगे जाते।  

तूफानों से डर नहीं, बनो पर्वत तुम अडिग,  
धैर्य धरो, विश्वास रखो, बढ़ो निरंतर निर्भीक।  

अंधकार कितना भी हो, दीप जलाए रखना,  
आशा के इन किरणों संग, राह बनाए रखना।  

संघर्षों के बीज से, सृजन नया होगा,  
धैर्य की इस छाँव में, भविष्य खिला होगा।  

"मन को स्थिर रखो सदा, चाहे आए आँधियाँ,  
धैर्य रखो हर हाल में, मिटेंगी सब कठिनियाँ...!!!!

सुप्रभात।
मन को स्थिर रखो,
मन को थिर रखो...
#मनकोस्थिररखो

©पूर्वार्थ #Thinking
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पूर्वार्थ

White मर्द ~

जिंदगी की सारी खूबसूरत चीज एक तरफ, और
 जब एक मर्द प्यार में होता है उसका नूर एक तरफ!

लड़कों को ना अक्सर मोहब्बत बदल कर जाती है, मेरे ख्याल से
 एक लड़के से आदमी तक का भी सफर मोहब्बत उन्हें करवाती है!

जो सख़्त था एक समय पर,
वो कितना नरम हो जाता न,
जो ध्यान कुछ भी नहीं देता था वह
 एकदम से रिस्पांसिबल बन जाता है!

तभी कहते हैं ना लड़कों को सिर्फ मोहब्बत में
 होने की देर है कि असली इश्क करते कैसे है!

~😎

©पूर्वार्थ #love
#मर्द
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पूर्वार्थ

बहुत सरल सा एग्जाम है रीट पात्रता
और कठिन भी हो तो ईश्वर और माता पिता द्वारा प्रदत्त जीवन यों थोड़ा छोड़ने को होता है
कभी दबाव न आने दीजिए
REET की तैयारी कर रही छात्रा फंदे से लटकी
आत्महत्या कभी अंतिम विकल्प नहीं होती,छिछोरे और महेंद्र सिंह धोनी जैसी फिल्मों में अभिनय 
कर संघर्ष से उठकर जिंदादिली का पाठ सिखाने वाले सुशांत सिंह राजपूत 
ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली ।

©पूर्वार्थ #आत्महत्या
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पूर्वार्थ

White पिछ्ले कुछ सालों में IAS और फिल्मी दुनिया के बहुत से लोगों की आत्महत्या
 इस बात की ओर इशारा कर रही है कि सफलता की परिभाषा जो
 हमें समाज में दिखाई जा रही है, वह पूर्णतः सत्य नहीं है ।

मैं रोज बहुत से युवाओं का Status सोशल-मीडिया पर देखता हूँ,
Feeling alone, feeling sad, जैसे Status से सोशल-मीडिया भरा पड़ा है,,,
अधिकतर युवा आकर्षण वाले प्रेम के दलदल से खुद को बाहर निकाल ही नहीं पा रहे हैं,
नौकरी, परिवार और भी पता नहीं कौन-कौन से दर्द, युवा अपने मन में लिये घूम रहे हैं,,

सोशल-मीडिया पर भले ही आपके दोस्तों की लिस्ट बहुत लंबी हो पर वास्तविकता यह है, की वर्तमान में अधिकतर युवा अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं,
ऐसे सभी युवाओं से मेरी अपील है कि ,आभासी दुनिया (सोशल-मीडिया) पर नहीं वास्तविक दुनिया में दोस्त बनायें,
ऐसे दोस्त जिनको आप अपने मन की बातें बता सकें, और जो आपको
 अच्छी सलाह दे सकें,
ऐसे दोस्त जिनके साथ आप खुल के हँस सकें,

और इतनी सी उम्र में ये चिंता लेना छोड़ दीजिए,
खुल के जीना सीखिये,
अपना कर्तव्य पूरा करते रहिए बस और सब कुछ उस ईश्वर पर छोड़ दीजिए ।
अपनी खुशियों पर बंदिश मत लगाइये कि कुछ हो जायेगा फिर खूब खुश होंगे, 
अभी हँसना सीखिये,
बिन बात के हँसना सीखिये, वो गाना तो सुना ही होगा,
 "Love you Zindgi" बस अब यही करना है,

याद रखिये ये समय अगर निकल गया, ये उम्र अगर निकल गई फिर
 कभी वापस नही आएगा, कभी भी नहीं....
क्या आप किसी Person या Problem ,की वजह से अपनी ज़िंदगी 
ही जीना ही छोड़ देंगे क्या,,,
कल सुबह जल्दी जागिये, छत पर जाइये, प्रकृति को चारों तरफ देखिये, 
smile के साथ गहरी साँस अंदर भरिये और विश्वाश के साथ खुद से कहिये,,
,' बस अब और नहीं अब से मुझे बस खुश रहना है, में सब कुछ कर सकता/सकती हूँ ।'

©पूर्वार्थ #आत्महत्या
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पूर्वार्थ

White सूरज में आग है
चांद में भी दाग है
धाराएं प्रतिकूल कहां
बदला मौसम का हाल है

ना पहले सा ज्ञान यहां
ना कोई  लेता संज्ञान यहां
एक दिन माटी में मिल जाना 
ना करना कोई अभिमान यहां 

कब रात घनेरी टिकती है
भोर रोज गले जब मिलती है
हो जाता है जीवन सुनहरा
प्रीत की रीत बस चलती है

पतझड़ को भी आना है 
फिर बसंत को खिल जाना है
कण कण में विश्वास भरो
  दुःख सुख आना और जाना है

©पूर्वार्थ #Thinking
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पूर्वार्थ

White "टूटे सपने, रूठे अपने"

सपने टूट गए तो क्या हुआ, अपने रूठ गए तो क्या हुआ? अभी साँस बाकी है सीने में, अभी हौसला जिंदा है ज़मीन में।

गिरकर भी हमने चलना सीखा, अंधेरों में दीप जलाना सीखा। जो बिछड़ गए, उनकी याद सही, पर खुद को खो देना भी क्या सही?

बादल घने हैं, घबराने दो, बारिश बन बरस जाने दो। धूप फिर निकलेगी नयी उमंग से, फूल खिलेंगे इसी तरंग से।

जो चला गया, वो बीता पल था, जो आया नहीं, वो कल था। आज की मिट्टी में बीज बोते हैं, फिर नई राहों की ओर होते हैं।

सपने टूटे तो नए बुन लेंगे, अपने रूठे तो खुद को चुन लेंगे। हर दर्द के बाद सवेरा होगा, हर बिछड़न के बाद बसेरा होगा।

©पूर्वार्थ #life

life #Poetry

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पूर्वार्थ

White यश का पथ

अगर जग में यश का मार्ग कहीं, तो मैं उसको ढूँढ़ निकालूँ,
और गर न मिले वो राह कहीं, तो खुद अपनी राह बना लूँ।

संघर्ष मेरा साथी होगा, तप ही मेरा संबल,
हर मुश्किल से लड़ जाऊँगा, बन जाऊँगा मैं अद्वितीय मिसाल।

सपनों के दीप जलाने को, अंधेरों से खेलना होगा,
हर हार को जीत में ढाल, खुद को कुंदन बनाना होगा।

न ज्ञान मेरा थमेगा कहीं, न साहस मेरा हारेगा,
समय की धार में बहकर भी, मैं पर्वत सम अडिग रहूँगा।

कदम-कदम पर असफलता हो, तो भी न रुकूँगा कभी,
हर ठोकर से सबक लेकर, नयी कहानी लिखूँगा अभी।

ये परीक्षा सिर्फ कलम की नहीं, आत्मबल की भी कसौटी है,
जो गिरकर भी उठे, वही असली वीर की परिभाषा है।

शब्दों की तलवार लिए चलूँ, विचारों का रण सजाऊँ,
जो बाधाएँ आएँ पथ में, मैं उनको भी मुस्कान दिखाऊँ।

क्योंकि अगर जग में यश का मार्ग कहीं, तो मैं उसको ढूँढ़ निकालूँ,
और गर न मिले वो राह कहीं, तो खुद अपनी राह बना लूँ।

©पूर्वार्थ #good_night
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पूर्वार्थ

White || बेआवाज़ ||
बहुतों को बे-सबब राह तकना अजीब लगता है,
मुझे अच्छा लगता है, इसमें एक साया होता है...
आपकी आमद की हल्की-सी आहट का,
जो हवा में घुली रहती है, अनकही, अनदेखी...

बहुतों को अल्फ़ाज़ में लिपटा हुआ अलविदा भाता है,
मुझे वो अलविदा पसंद है जो कभी कहा न जाए...
जो अधूरा रहे, जो निगाहों में ठहरा रहे,
जिसमें लौटने की एक वजह बची रह जाए...

बहुतों को शिकवे-शिकायतें भारी लगती हैं,
मुझे आपकी शिकायतों की गर्माहट अच्छी लगती है...
जब आप कहे कि मैं देर से आया हूँ,
तब मैं आपकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दूं,
आप उसे मोड़ दें, और दर्द के मारे मेरे उफ्फ् करने पर
आप जोर से खिलखिला दें,
कि चलो, कुछ तो मेरा हिसाब लिया आपने...

बहुतों को मोहब्बत की नुमाइश चाहिए,
मुझे वो लम्हे अच्छे लगते हैं जब आप खामोश बैठी हो,
और मैं आपके चेहरे के उतार-चढ़ाव में
आपके दिल का हाल पढ़ लूं...
जब आप एक लफ्ज़ भी न कहे,
और मैं सब समझ जाऊं...

बहुतों को इश्क़ में एक मंज़िल चाहिए,
मुझे वो सफ़र अच्छा लगता है,
जहाँ हर मोड़ पर आप मेरे साथ चल रही हो,
बिना किसी दावे, बिना किसी शर्त के...
बस यूँ ही, हाथों में हाथ लिए,
सदियों तक, एक-दूसरे को पढ़ते हुए...

मुझे आपसे कुछ ज़्यादा नहीं चाहिए था,
बस इतना कि जब मैं थक जाऊं,
तो मेरा सर आपके हाथों में सुकून पा जाए,
और जब आप रूठ जाए,
तो मेरे पास आपको मनाने की मोहलत बची रहे...
🍂🥀🌿🍁🌷

______________________________________________

✍️ बात कुछ यूँ है,,, इंतज़ार, अलविदा और शिकवे—ये तीनों मिलकर मोहब्बत की एक अनमोल तस्वीर बनाते हैं। वो इंतज़ार जिसमें एक उम्मीद सांस लेती है, वो अलविदा जो अधूरा होकर भी जुड़ा रहता है, और वो शिकवे जो मोहब्बत की गहराई का सबूत होते हैं। यह रचना उन लम्हों का इज़हार है, जो ख़ामोशी से भी कह जाते हैं कि मोहब्बत बस महसूस करने की चीज़ है, जताने की नहीं।

©पूर्वार्थ #इश्क
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पूर्वार्थ

White || आरज़ू का सफ़र ||
कभी मिलो तो तुमको बताएँ हम,कि दिल की दुनिया कैसे जलाएँ हम।
चाँदनी रातों की नर्म आहट की तरह,तुम्हारे ख़्वाबों में उतर जाएँ हम।

जो ग़ज़लें लिखी थीं चाहत में,उन लफ़्ज़ों को क्यूँ न जलाएँ हम।
जैसे ख़ुशबू महके दरिया के संग,तुम्हारी रूह तक बह जाएँ हम।

तुम्हारा इश्क़ तुमसे ही चुरा कर,तुम्हारे ख़्वाबों को तोड़ आएँ हम।
सुब्ह के मोती से लिपटे किरन ज्यूँ,तुम्हारी पलकों पे यूँ झिलमिलाएँ हम।

कभी धूप बन के झुलसा दें तुमको,कभी छाँव बन के खुद बचाएँ हम।
बहारों की शफ़्फ़ाफ़ ख़ुशबू बन,तुम्हारी साँसों में उतर जाएँ हम।

तुम्हारी नींदों में ऐसा ख़्वाब रख दें,कि जागो तुम और सो न पाएँ हम।
सितारों की लोरी बनकर रात भर,तुम्हारी आँखों में चमक जाएँ हम।

तुम्हारी चाहत से दूर भी रहें,तुम्हारी रूह में भी समा जाएँ हम।
कभी बारिश की कोमल फुहार बनें,कभी तूफ़ानों से भी टकराएँ हम।

जो तुम रूठ जाओ तो हाल पूछें,मुस्कराओ तो ग़ज़ल बन जाएँ हम।
जो तुम रो पड़ो तो अश्क़ बनें,जो सोचो तो ख़याल बन जाएँ हम।

कभी चुपके से आ तुम्हारी आँखों में,कभी ओस बनके गिर जाएँ हम।
कभी बर्फ़ सी ठंडी हवा बनकर,कभी शोला बन पिघल जाएँ हम।

तुम्हारी रूह का आईना बन सकें,तुम्हारी साँसों में घर बनाएँ हम।
कभी मीठे गीतों की तान बनें,कभी यादों में बिखर जाएँ हम।

इश्क़ को इस तरह निभाएँ हम,कि सदियों तलक गुनगुनाएँ हम।
तुम्हारी चाहत में मिट भी जाएँ,तो फिर जनम ले के आएँ हम।

कसम से इतना तुम्हें चाहें हम, हो कसम झूठी तो मर जायें हम।

©पूर्वार्थ #Thinking
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पूर्वार्थ

White कभी मिल जाए फुर्सत 
तो 
मिलना कभी 
वादी-ए-इश्क में 
मुझसे इत्मीनान से, 
जहाँ केवल 'हम' और बस हम हो, 
फ़िर चूमकर परेशानी मेरा
समझा देना नैनो से 
प्रेम की सरल,सहज सी परिभाषा, 
हाँ - 
जब लगा लोगी अपने आलिंगन से और बोलो गी
हम तो आप के परीक्षा ले रहे थे,
आपके धैर्य की
आपके प्रेम की
आप की समर्पण की
आपकी प्रतीक्षा की 
आप की व्यवहार की
जो मुझें अपने सर की मुकुट कहते हैं 
वो सिर्फ कहते हैं ही है या मानते भी हैं
आज तसल्ली हो गया मुझे आप पर
आओ और कसकर करो आलिंगन और
चुम कर मेरे ललाट को धारण करो
अपने सिर पर इस मुकुट को..

ख्वाहिशों का मुक़म्मल होना 
बस काश बन कर रह गया.

😊❤️⚡💐

©पूर्वार्थ #Thinking
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